भारतीय अर्थव्यवस्था
बिजली क्षेत्र में सुधार हेतु उच्च-स्तरीय समूह का गठन
- 27 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र ने देश में विद्युत की बिक्री और खरीद की संरचना और व्यवस्था को बदलने के लिये सिफारिश करने हेतु एक उच्च-स्तरीय समूह का गठन किया है।
प्रमुख बिंदु:
- इस उच्च स्तरीय समूह का नेतृत्व विद्युत मंत्रालय के अपर सचिव संजीव नंदन सहाय द्वारा किया जाएगा।
- यह समूह पावर पर्चेज़ एग्रीमेंट (Power Purchase Agreements-PPAs) में आवश्यक सुधारों और विद्युत बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने के लिये सिफारिश करेगा।
- पावर पर्चेज़ एग्रीमेंट - यह दो पक्षों के मध्य एक अनुबंध होता है, जिसमें एक पक्ष विद्युत का उत्पादन करता है और दूसरा पक्ष विद्युत खरीदता है।
- समूह को अपनी सिफारिशें देने के लिये 6 महीनों का समय दिया गया है।
- यह समूह विद्युत की बिक्री और खरीद की वर्तमान प्रणाली का अध्ययन करेगा, जो मुख्य रूप से PPA, पावर ट्रेडिंग (Power Trading) और विद्युत की बिक्री तथा खरीद में लेन-देन के अन्य तरीकों के आधार पर नियमित किया जाता है।
विद्युत क्षेत्र की समस्याएँ
- पावर सेक्टर ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान क्षमता विकास के मामले में भारी वृद्धि देखी है, लेकिन मांग और पूर्ति में असंतुलन के कारण यह सेक्टर सदैव ही तनाव में रहा है।
- ऊर्जा पर 37वीं स्थायी पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 34 बिजली संयंत्रों में लगभग 1.40 लाख करोड़ रुपए की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets-NPA) हैं।
- NPA में वृद्धि के कारण -
- कोयला आपूर्ति का मुद्दा
- उत्पादकों को भुगतान करने हेतु वितरण कंपनियों की अक्षमता
- विनियामकों से जुड़े मुद्दे
- इक्विटी को बढ़ावा देने के लिये प्रमोटरों की अक्षमता
- नियमों का असफल कार्यान्वयन
- बिजली व्यापार में कीमतों की अस्थिरता: पावर एक्सचेंजों (Power Exchanges) के माध्यम से प्राप्त की गई बिजली तुलनात्मक रूप से काफी कम है जिसके कारण बिजली एक्सचेंजों में उसकी कीमत अस्थिर हो जाती है।
- पावर एक्सचेंज - पावर एक्सचेंज एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसके माध्यम से बिजली का लेन-देन किया जाता है अर्थात् बिजली को खरीदा या बेचा जाता है।