इनपुट टैक्स क्रेडिट पर रोक के संबंध में CBIC के दिशा-निर्देश | 12 Nov 2021

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, वस्तु एवं सेवा’ कर, इनपुट टैक्स क्रेडिट

मेन्स के लिये:

इनपुट टैक्स क्रेडिट संबंधी प्रावधान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड’ (CBIC) ने ‘वस्तु एवं सेवा’ कर के फील्ड अधिकारियों द्वारा टैक्स क्रेडिट को अवरुद्ध किये जाने संबंधी दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि इस तरह का अवरोध 'भौतिक साक्ष्य' के आधार पर होना चाहिये, न कि केवल 'संदेह' के आधार पर।

प्रमुख बिंदु

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट:
    • इसका अभिप्राय ऐसे कर से है, जिसका भुगतान एक व्यवसाय द्वारा खरीद के समय किया जाता है और जब वह बिक्री करता है तो वह अपनी कर देयता को कम करने के लिये इसका उपयोग कर सकता है।
    • इसका अर्थ है कि आउटपुट पर टैक्स का भुगतान करते समय इनपुट पर पहले से चुकाए गए टैक्स को कम किया जा सकता है और शेष राशि का भुगतान किया जा सकता है।
    • अपवाद: ‘कंपोज़िशन स्कीम’ के तहत शामिल व्यवसाय इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकते हैं। व्यक्तिगत उपयोग के लिये या छूट प्राप्त सामानों के लिये भी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं किया जा सकता है।
      • ‘कंपोज़िशन स्कीम’ वस्तु एवं सेवा कर के तहत एक योजना है, जिसे जटिल औपचारिकताओं से छुटकारा पाने के लिये चुना जा सकता है। इसे कोई भी करदाता चुन सकता है जिसका टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए से कम है।

Input-Credit

  • ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ का दावा करने संबंधी प्रावधान:
    • CGST (केंद्रीय जीएसटी) नियम, 2017 के संशोधित नियम 36 (4) में प्रावधान है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब माल आपूर्तिकर्त्ता प्रत्येक बिल के माध्यम से आपूर्ति का विवरण ऑनलाइन अपडेट और अपलोड करता है।
  • नए दिशा-निर्देश:
    • इसने कुछ विशिष्ट परिस्थितियों को निर्धारित किया जिसमें इस तरह के ITC को एक वरिष्ठ कर अधिकारी द्वारा अवरुद्ध किया जा सकता है।
    • इनमें बिना किसी चालान या किसी वैध दस्तावेज़ के क्रेडिट प्राप्त करना या ऐसे चालान पर खरीदारों द्वारा क्रेडिट प्राप्त करना शामिल है, जिस पर विक्रेताओं द्वारा जीएसटी का भुगतान नहीं किया गया है।
    • आयुक्त या उनके द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी, जो सहायक आयुक्त के पद से नीचे का न हो, को मामले के सभी तथ्यों पर विचार करते हुए अपने विवेक के आधार पर ITC को अवरुद्ध करने संबंधी निर्णय लेना चाहिये।
      • सरकार ने दिसंबर 2019 में जीएसटी नियमों में नियम 86A पेश किया था, जिससे करदाताओं के इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेज़र में उपलब्ध आईटीसी को ब्लॉक करने का प्रावधान किया गया था, यद्यपि अधिकारी के पास मज़बूत कारण उपलब्ध थे कि आईटीसी का धोखाधड़ी से लाभ उठाया गया था।
    • यह निर्णय 86A के उप-नियम (1) के तहत शर्तों के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट के कपटपूर्ण लाभ के संबंध में उपलब्ध या एकत्र किये गए भौतिक साक्ष्य के आधार पर होना चाहिये।
    • इन दिशा-निर्देशों ने टैक्स क्रेडिट को अवरुद्ध करने पर आयोगों, संयुक्त आयुक्तों और सहायक आयुक्तों के बीच शक्तियों के विभाजन के लिये मौद्रिक सीमा की सिफारिश की है।
      • एक डिप्टी या असिस्टेंट कमिश्नर 1 करोड़ रुपए तक, अतिरिक्त या ज्वाइंट कमिश्नर 1 करोड़ रुपए से ऊपर लेकिन 5 करोड़ रुपए से कम और प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर 5 करोड़ रुपए से ऊपर ITC को ब्लॉक कर सकता है।
    • यदि कोई अधिकारी उचित प्रक्रिया के तहत आईटीसी को अवरुद्ध करता है, तो करदाता को जीएसटी पोर्टल पर कार्रवाई के साथ-साथ उस अधिकारी के विवरण के बारे में सूचित किया जाएगा जिसने इसे अवरुद्ध किया है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC):

  • यह वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग का एक हिस्सा है।
  • जीएसटी लागू होने के बाद वर्ष 2018 में ‘केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड’ (CBEC) का नाम बदलकर CBIC कर दिया गया था।
  • यह सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय जीएसटी (CGST) और एकीकृत जीएसटी (IGST) अधिरोपित करने एवं संग्रह करने से संबंधित नीति तैयार करने के कार्य में संलग्न है।
    • जीएसटी कानून में शामिल हैं- (i) केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (ii) राज्य माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (iii) केंद्रशासित प्रदेश माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (iv) एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (v) माल और सेवा कर (राज्यों को मुआवज़ा) अधिनियम, 2017।

स्रोत: द हिंदू