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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वड़ोदरा में भारत का पहला राष्‍ट्रीय रेल तथा परिवहन विश्‍वविद्यालय

  • 22 Dec 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मानव संसाधनों में कुशलता तथा क्षमता सृजन के लिये वड़ोदरा में देश के पहले राष्‍ट्रीय रेल तथा परिवहन विश्‍वविद्यालय (National Rail and Transport University – NRTU) को स्‍थापित करने को स्‍वीकृति प्रदान की।

  • इस विश्‍वविद्यालय को यू.सी.जी. की नोवो श्रेणी (novo category) नियमन (Institutions Deemed to be Universities, Regulations), 2016 के अंतर्गत मानित विश्‍वविद्यालय के रूप में स्‍थापित किया जाएगा। 
  • सरकार द्वारा अप्रैल 2018 तक इस संबंध में सभी आवश्यक स्‍वीकृतियाँ देने तथा जुलाई-2018 में इसके पहले शैक्षिक सत्र को शुरू करने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं।

गैर-लाभकारी कंपनी

  • इसके प्रबंधन के लिये रेल मंत्रालय कंपनी अधिनियम, 2013 के सेक्‍शन 8 के अंतर्गत एक गैर-लाभकारी कंपनी (not-for-profit Company) स्थापित की जाएगी। 
  • कंपनी विश्‍वविद्यालय को वित्‍तीय तथा संरचना संबंधी समर्थन प्रदान करेगी तथा विश्‍वविद्यालय के कुलपति तथा प्रति-कुलपति की नियुक्ति भी करेगी। 
  • पेशेवर लोगों तथा शिक्षाविदों वाला प्रबंधन बोर्ड प्रबंधक कंपनी से स्‍वतंत्र होगा। 
  • साथ ही इसे अपने सभी अकादमिक तथा प्रशासनिक दायित्‍व निभाने की स्‍वायत्ता भी प्राप्त होगी।

प्रमुख बिंदु

  • इस विश्वविद्यालय के निर्माण हेतु वड़ोदरा स्थित भारतीय रेल की राष्‍ट्रीय अकादमी (National Academy of Indian Railways - NAIR) की वर्तमान भूमि और अवसंरचना का इस्‍तेमाल किया जाएगा। 
  • यह एक पूर्णकालिक संस्‍थान होगा तथा इसमें तकरीबन 3,000 पूर्णकालिक विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे। 
  • इस विश्‍वविद्यालय/संस्‍थान का वित्त-पोषण पूरी तरह से रेल मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।

लक्ष्य

  • इस विश्‍वविद्यालय की मुख्य योजना पढ़ाने के नए तरीकों तथा टैक्‍नोलॉजी एप्‍लीकेशनों (सैटेलाइट आधारित ट्रैकिंग, रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान तथा कृत्रिम गुप्‍तचर) को अपनाने पर बल देना है, ताकि ऑन-जॉब कार्य प्रदर्शन तथा उत्‍पादकता में सुधार लाया जा सके। 
  • भारतीय रेलवे के साथ घनिष्‍ट सहयोग से सभी हितधारकों की रेल सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित की का सके।
  • यह ‘लाइव लैब’ के रूप में काम करेगा और वास्‍तविक जीवन की समस्‍याओं के निराकरण में सक्षम होगा।
  • विश्‍वविद्यालय में अत्‍याधुनिक नवीनतम टैक्‍नोलॉजी की उच्‍च गति वाली ट्रेन को प्रदर्शित करने वाले ‘उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र’ ('Centres of Excellence) भी स्थापित किये जाएंगे।

लाभ 

  • यह विश्‍वविद्यालय न केवल भारतीय रेल को आधुनिकीकरण के रास्‍ते पर ले जाएगा, बल्कि रेलवे की उत्‍पादकता बढ़ाने के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को भी प्रोत्‍साहन प्रदान करेगा। वस्तुतः यह परिवहन क्षेत्र में भारत को विश्व स्तरीय पहचान बनाने में सहायता प्रदान करेगा।
  • विश्‍वविद्यालय टेक्‍नोलॉजी को सक्रिय करके तथा टेक्‍नोलॉजी प्रदान करके ‘स्‍टार्ट अप इंडिया’ एवं ‘स्किल इंडिया’ को समर्थन देगा।
  • उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ बड़े स्‍तर पर रोज़गार के अवसर प्रदान करेगा।
  • इससे रेलवे तथा परिवहन क्षेत्र में परिवर्तन होगा, साथ ही लोगों और वस्‍तुओं की आवाजाही में भी तेज़ी आएगी।
  • भारत वैश्विक साझेदारी और अत्‍याधुनिक टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से विशेषज्ञता के वैश्विक केंद्र के रूप में उभरेगा।

निष्कर्ष

भारतीय रेल उच्‍च गति की ट्रेनें (bullet train), व्‍यापक अवसंरचना आधुनिकीकरण (massive infrastructure modernization), डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडॉर (Dedicated Freight Corridors – DFCs), सुरक्षा पर फोकस जैसी महत्त्‍वाकांक्षी परियोजनाओं को पूरा करने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है। भारत में बहुत लंबे समय से परिवहन क्षेत्र में अप्रत्‍याशित वृद्धि, योग्‍य मानव शक्ति की बढ़ती आवश्‍यकता तथा कौशल और क्षमता जैसे प्रेरक उपायों से विश्‍वस्‍तरीय प्रशिक्षण केन्‍द्र की आवश्‍यकता महसूस की जा रही है।

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