राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद | 11 Oct 2018
चर्चा में क्यों?
मंत्रिमंडल ने कौशल विकास के मद्देनज़र मौजूदा नियामक संस्थानों- राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (National Council for Vocational Training- NCVT) और राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (National Skill Development Agency- NSDA) को मिलाकर राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (National Council for Vocational Education and Training- NCVET) की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है।
NCVET के बारे में
- NCVET दीर्घकालीन और अल्पकालीन दोनों तरह के व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण के काम में लगे निकायों के कामकाज को नियमित करेगा तथा इन निकायों के कामकाज के लिये न्यूनतम मानक तैयार करेगा। NCVET द्वारा किये जाने वाले प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
- निर्णायक निकायों, मूल्यांकन निकायों और कौशल संबंधी सूचना प्रदाताओं की मान्यता तथा उनका नियमन।
- निर्णायक निकायों और क्षेत्र कौशल परिषदों (Sector Skill Councils- SSCs) द्वारा विकसित पात्रताओं की मंज़ूरी।
- निर्णायक निकायों और मूल्यांकन एजेंसियों के ज़रिये व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों का अप्रत्यक्ष नियमन।
- अनुसंधान एवं सूचना प्रसार से संबंधित शिकायत का निवारण।
परिषद का स्वरूप
- परिषद का नेतृत्व एक अध्यक्ष के हाथ में होगा तथा इस परिषद में कार्यकारी और गैर-कार्यकारी सदस्य होंगे।
- चूँकि NCVET को दो मौजूदा निकायों को आपस में मिलाकर स्थापित करने का प्रस्ताव है, इसलिये मौजूदा अवसंरचना तथा संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाएगा।
- उपरोक्त के अलावा कामकाज को आसान बनाने के लिये अन्य पदों का भी सृजन किया जाएगा।
- नियामक निकाय, नियमन प्रक्रियाओं के उत्कृष्ट व्यवहारों का पालन करेगा, जिससे परिषद का कामकाज और संचालन प्रोफेशनल तरीके से तथा मौजूदा कानूनों के तहत सुनिश्चित किया जा सकेगा।
NCVET की स्थापना से होने वाले लाभ
- इस संस्थागत सुधार से गुणवत्ता में वृद्धि होगी, बाज़ार में कौशल विकास कार्यक्रमों की प्रासंगिकता बढ़ेगी जिसके फलस्वरूप व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण की साख में इज़ाफा होगा।
- कौशल क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ेगी।
- यह संभव हो जाने से व्यावसायिक शिक्षा के मूल्यों और कुशल श्रमशक्ति को बढ़ाने संबंधी दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इसके कारण भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने के विषय में प्रधानमंत्री के एजेंडा को बल मिलेगा।
- NCVET भारत की कौशल ईको-प्रणाली की एक नियामक संस्था है, जिसका देश में व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण में संलग्न सभी व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- कौशल आधारित शिक्षा के विचार को आकांक्षी आचरण के रूप में देखा जाएगा, जिससे छात्रों को कौशल आधारित शैक्षिक पाठ्यक्रमों में हिस्सा लेने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।
- इस उपाय से उद्योग और सेवा क्षेत्र में कुशल श्रमशक्ति की स्थिर आपूर्ति के ज़रिये व्यापार में सुगमता होगी।
पृष्ठभूमि
- पहले देश की कौशल प्रशिक्षण आवश्यकताओं को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा चलाए जाने वाले पाठ्यक्रमों के ज़रिये पूरा किया जाता था। इसके अलावा, इस आवश्यकता को NCVT द्वारा नियमित प्रमापीय नियोजन योजना के ज़रिये पूरा किया जाता था। चूँकि यह व्यवस्था देश की बढ़ती कौशल जरूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं थी और कुशल श्रमशक्ति की आवश्यकता भी बढ़ रही थी, इसलिये सरकार ने कौशल प्रयासों को बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए।
- इस समय कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिये 20 मंत्रालय/विभाग मौजूद हैं, जिनमें से अधिकतर निजी क्षेत्र के प्रशिक्षण प्रदाताओं की सहायता से चल रहे हैं।
- वर्ष 2013 में राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (NSDA) की स्थापना के ज़रिये नियमन उपायों की कोशिश की गई थी, ताकि सरकार और निजी क्षेत्र के कौशल विकास प्रयासों में समन्वय बनाया जा सके। NSDA की प्रमुख भूमिका राष्ट्रीय कौशल पात्रता संरचना को संचालित करने की थी, ताकि क्षेत्रवार आवश्यकताओं के लिये गुणवत्ता तथा मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।
निष्कर्ष
- कौशल आधारित अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण के सभी पक्षों को पूरा करने के लिये एक समेकित नियामक प्राधिकार की आवश्यकता थी और NCVET को एक ऐसे संस्थान के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो उन सभी नियामक कार्यों को करेगा, जिन्हें NCVT तथा NSDA करते रहे हैं।