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बीटी बैंगन की अवैध खेती

  • 26 Apr 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा के एक ज़िले में ट्रांसजेनिक बैगन की किस्म (Transgenic Brinjal Variety) की खेती किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। हालाँकि भारत में अभी तक इसकी खेती की अनुमति नही दी गई है।

  • बीटी बैंगन (Bt brinjal) के उत्पादन से देश के पर्यावरण संरक्षण कानूनों का उल्‍लंघन होने की आशंका है।

बीटी बैंगन

  • बीटी बैंगन जो कि एक आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल है, इसमें बैसिलस थुरियनजीनिसस (Bacillus thuringiensis) नामक जीवाणु का प्रवेश कराकर इसकी गुणवत्ता में संशोधन किया गया है।
  • बैसिलस थुरियनजीनिसस जीवाणु को मृदा से प्राप्त किया जाता है।
  • बीटी बैंगन और बीटी कपास (Bt Cotton) दोनों के उत्पादन में इस विधि का प्रयोग किया जाता है।

आनुवंशिक संशोधित फसल
Genetically Modified Crops

  • आनुवंशिक संशोधित या जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें (Genetically Modified Crops) वे होती हैं जिनके गुणसूत्र में कुछ परिवर्तन कर उनके आकार-प्रकार एवं गुणवत्ता में मनवांछित परिवर्तन किया जा सकता है।
  • यह परिवर्तन फसलों की गुणवत्ता, कीटाणुओं से सुरक्षा या पौष्टिकता में वृद्धि के रूप में हो सकता है।

फसलों का परीक्षण

  • फसलों को कीटों से सुरक्षा प्रदान करने के लिये किये गए परीक्षण में वैज्ञानिकों द्वारा जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग कर एक जीवाणु प्रोटीन (Bacterial Protein) को पौधे में प्रवेश कराया गया।
  • प्रारंभिक परीक्षण में जीएम-फ्री इंडिया (CGFI) के लिये गठबंधन का प्रतिनिधित्व कार्यकर्ताओं ने किया।
  • इस मामले में जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) और राज्य कृषि विभाग को पहले ही सूचित कर दिया गया है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति
(Genetic Engineering Appraisal Committee- GEAC)

  • यह समिति (GEAC) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत कार्य करती है।
  • इस समिति की अध्यक्षता पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव द्वारा की जाती है, जैव प्रौद्योगिकी विभाग का एक प्रतिनिधि इसका सह-अध्यक्ष होता है।
  • वर्तमान में इसके 24 सदस्य हैं।
  • नियमावली 1989 के अनुसार, यह समिति अनुसंधान और औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में खतरनाक सूक्ष्मजीवों एवं पुनः संयोजकों के बड़े पैमाने पर उपयोग संबंधी गतिविधियों का पर्यावरणीय दृष्टिकोण से मूल्यांकन करती है।
  • यह समिति प्रायोगिक क्षेत्र परीक्षणों सहित आनुवंशिक रूप से उत्पन्न जीवों और उत्पादों के निवारण से संबंधित प्रस्तावों का भी मूल्यांकन करती है।

पूर्व के संदर्भ में बात करें तो

  • वर्ष 2010 में सरकार ने महिको द्वारा विकसित बीटी बैंगन के व्यावसायिक उत्पादन पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी थी।
  • उसी दौरान भारत में जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों को इस पर स्वतंत्र रूप से अध्ययन करने के लिये बुलाया गया। क्योंकि भारत बैंगन के लिये (घरेलू और जंगली दोनों क्षेत्र में) विविधता का केंद्र है।
  • लेकिन उसी ट्रांसजेनिक किस्म को 2013 में बांग्लादेश में व्यावसायिक खेती के लिये अनुमोदित किया गया था।

शासन की विफलता

  • जैसा कि देखा जा रहा है देश में अवैध रूप से की जाने वाली बीटी बैंगन की खेती स्पष्ट रूप से संबंधित सरकारी एजेंसियों की विफलता को दर्शाती है।
  • हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। गुजरात में बीटी कपास की बड़े पैमाने पर अवैध खेती की शिकायतें मिलीं। जब तक इस पर रोक के लिये कदम उठाया है जाता तब तक यह लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में फैल चुकी होती हैं।
  • 2017 के उत्तरार्द्ध में गुजरात में अवैध रूप से जीएम सोया की खेती किये जाने का भी पता चला था।
  • जीएम फसलों की अवैध खेती की शिकायत GEAC के पास दर्ज कराने पर भी तत्काल कोई कार्रवाई नही की जाती है।

स्रोत- बिज़नेस लाइन (द हिंदू), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट

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