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रूस के साथ आईएनएफ संधि से अलग होगा अमेरिका

  • 23 Oct 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि उनका देश शीतयुद्ध के दौरान रूस के साथ की गई परमाणु हथियार नियंत्रण संधि (Cold War-era Nuclear Weapons Treaty) यानी मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि (INF) से अलग हो जाएगा। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि रूस कई वर्षों से इस समझौते का उल्लंघन कर रहा है।

प्रमुख बिंदु 

  • मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि (Intermediate-range Nucleare Forces Treaty-INF) की अवधि अगले दो साल में खत्म होनी है। 1987 में हुई यह संधि अमेरिका और यूरोप तथा सुदूर पूर्व में उसके सहयोगियों की सुरक्षा में मदद करती है। 
  • यह संधि अमेरिका तथा रूस को 300 से 3,400 मील दूर तक मार करने वाली ज़मीन से छोड़े जाने वाले क्रूज मिसाइल के निर्माण को प्रतिबंधित करती है। इसमें ज़मीन आधारित सभी मिसाइलें शामिल हैं।
  • 1987 में अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और उनके तत्कालीन यूएसएसआर समकक्ष मिखाइल गोर्बाचेव ने मध्यम दूरी और छोटी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइलों का निर्माण नहीं करने के लिये INF संधि पर हस्ताक्षर किये थे।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि जब तक रूस और चीन एक नए समझौते पर सहमत नहीं हो जाते तब तक यह समझौता खत्म माना जाएगा और फिर अमेरिका हथियार विकसित कर सकेगा। 
  • ट्रंप ने आरोप लगाया कि रूस ने समझौते का उल्लंघन किया है। रूस कई वर्षों से इसका उल्लंघन कर रहा है। अमेरिका का कहना है कि जब तक रूस और चीन हमारे पास आकर यह नहीं कहते कि हम में से कोई उन हथियारों का निर्माण नहीं करेगा तब तक अमेरिका उन हथियारों का निर्माण करता रहेगा।

क्या रूस ने इस संधि का उल्लंघन किया है? 

  • अमेरिका का कहना है कि रूस ने मध्यम दूरी का एक नया मिसाइल बनाकर इस संधि का उल्लंघन किया है। रूस के इस मिसाइल का नाम नोवातोर 9M729 है। नाटो देश इसे MSC-8 के नाम से जानते हैं।
  • रूस इस मिसाइल के ज़रिये नाटो देशों पर तत्काल परमाणु हमला कर सकता है। रूस ने इस मिसाइल के बारे में बहुत कम सूचना दी है और वह आईएनएफ़ संधि के उल्लंघन के आरोप को ख़ारिज कर रहा है।
  • विश्लेषकों का मानना है कि रूस के लिये यह हथियार पारंपरिक हथियारों की तुलना में एक सस्ता विकल्प है।
  • कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका पश्चिमी प्रशांत में चीन की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए इस संधि से बाहर निकलना चाहता है।
  • ज़ाहिर है कि इस संधि में चीन शामिल नहीं है इसलिये मिसाइलों की तैनाती और परीक्षण को लेकर उसपर कोई बंधन नहीं है।
  • इससे पहले 2002 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने एंटी बैलिस्टिक मिसाइल संधि से अमेरिका को बाहर कर लिया था।
  • चीन इंटरमीडिएट रेंज की परमाणु मिसाइल बनाने और उसकी तैनाती को लेकर स्वतंत्र है।
  • ट्रंप प्रशासन को लगता है कि आईएनएफ़ संधि के कारण उसे नुक़सान हो रहा है क्योंकि चीन वह सारा काम कर रहा है जिसे अमेरिका इस संधि के कारण नहीं कर पा रहा है।

क्या है आईएनएफ संधि?

  • यह संधि प्रतिबंधित परमाणु हथियारों और ग़ैर-परमाणु मिसाइलों की लॉन्चिंग को रोकती है। अमेरिका रूस की एसएस-20 की यूरोप में तैनाती से नाराज़ है। इसकी रेंज 500 से 5,500 किलोमीटर तक है।
  • इस पर दोनों देशों ने शीतयुद्ध की समाप्ति पर हस्ताक्षर किये थे। दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद 1945 से 1989 के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण पूरी दुनिया में युद्ध की आशंका गहरा गई थी।
  • इस संधि के तहत 1991 तक क़रीब 2,700 मिसाइलों को नष्ट किया जा चुका है। दोनों देश एक-दूसरे के मिसाइलों के परीक्षण और तैनाती पर नज़र रखने की अनुमति देते हैं।
  • 2007 में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि इस संधि से उनके हितों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। रूस की यह टिप्पणी 2002 में अमेरिका के एंटी बैलिस्टिक मिसाइल संधि से बाहर होने के बाद आई थी।

संधि से क्या हासिल हुआ?

  • शीतयुद्ध के दौरान हुए आईएनएफ संधि का ऐतिहासिक नतीजा सामने आया था।
  • इसके तहत 2,700 मिसाइलों के साथ ही उनके लॉन्चर भी नष्ट कर दिये गए थे।
  • इससे अमेरिका-सोवियत संघ के संबंधों को प्रोत्साहन मिला था।

आगे की राह 

  • ट्रंप प्रशासन को लगता है कि रूस में मिसाइल सिस्टम को लेकर हो रहा काम और इनकी तैनाती चिंताजनक विषय है। लेकिन ट्रंप का इस समझौते से बाहर निकलने का हथियारों के नियंत्रण पर तगड़ा प्रभाव पड़ेगा। 
  • कई विश्लेषकों का मानना है कि अभी वार्ता जारी रहेगी और उम्मीद है कि रूस इस बात को समझेगा।
  • डर है कि हथियारों की होड़ पर शीतयुद्ध के बाद जो लगाम लगी थी वह होड़ कहीं फिर से न शुरू हो जाए।
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