भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) | 04 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB), भाखड़ा नांगल बांँध, सिंधु जल संधि। मेन्स के लिये:सिंधु जल संधि और संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के सदस्यों के चयन के लिये एक नया मानदंड अपनाने का फैसला किया है।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड नियमों में किये गए बदलाव:
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड नियम, 1974 में संशोधन करने के लिये एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसके तहत बोर्ड के पूर्णकालिक सदस्यों के चयन के मानदंड में बदलाव किया गया है।
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड नियम, 1974 के अनुसार भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में पॉवर और सिंचाई से संबंधित स्थायी सदस्य क्रमशः पंजाब तथा हरियाणा से थे, लेकिन संशोधित नियमों में उनकी स्थायी सदस्यता को हटा दिया गया है।
- नए नियम नियुक्तियों के लिये तकनीकी योग्यता का उल्लेख करते हैं और न केवल पंजाब तथा हरियाणा से बल्कि पूरे भारत से सदस्यों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
- नए नियमों का विरोध इंजीनियर व किसानों के साथ-साथ पंजाब के राजनीतिक दलों ने भी किया है।
- इंजीनियर्स का कहना है कि शायद ही कोई इंजीनियर नए विनिर्देशों के अनुसार नियुक्ति हेतु अर्हता प्राप्त करेगा, ये नियम पंजाब और हरियाणा के बाहर से नियुक्त किये जाने वाले कुछ कर्मियों के लिये तैयार किये गए प्रतीत होते हैं।
- दूसरी ओर अधिकारियों ने तर्क दिया है कि जगमोहन सिंह बनाम भारत संघ मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक फैसले के अनुसरण में परिवर्तन किये गए हैं।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड की उत्पत्ति:
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड की उत्पत्ति वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि में निहित है।
- संधि के तहत तीन पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का पानी विशेष उपयोग हेतु भारत को आवंटित किया गया, जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों का जल पाकिस्तान के लिये आवंटित किया गया था।
- भारत में सुनिश्चित सिंचाई, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के लिये इन नदियों की क्षमता का दोहन करने हेतु एक मास्टर प्लान तैयार किया गया था।
- इस योजना का एक प्रमुख हिस्सा भाखड़ा और ब्यास परियोजनाएँ हैं तथा तत्कालीन अविभाजित पंजाब एवं राजस्थान के संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित की गई थीं।
- 1 नवंबर, 1966 को पंजाब के पुनर्गठन और हरियाणा राज्य के निर्माण के बाद भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 79 के तहत किया गया था।
- भाखड़ा नांगल परियोजना का प्रशासन, रखरखाव और संचालन 1 अक्तूबर 1967 को भाखड़ा प्रबंधन को सौंप दिया गया था।
- पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 80 के प्रावधानों के अनुसार, ब्यास परियोजना कार्य पूरा होने के बाद ब्यास निर्माण बोर्ड (BCB) से भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड को स्थानांतरित कर दिया गया था।
- इसके तहत ही भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड का नाम बदलकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) कर दिया गया, जो 15 मई, 1976 को प्रभाव में आया।
- तब से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ के लिये पानी और बिजली की आपूर्ति को विनियमित करता है।
BBMB का प्रबंधन:
- इसमें एक अध्यक्ष और दो पूर्णकालिक सदस्य शामिल हैं जो पंजाब और हरियाणा राज्यों से हैं।
- उन्हें क्रमशः पंजाब और हरियाणा से विद्युत सदस्य और सिंचाई सदस्य के रूप में नामित किया गया है।
- संबंधित राज्य सरकारों द्वारा नामित सदस्य के साथ ही राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित प्रत्येक सदस्य राज्य का प्रतिनिधित्व है।
- BBMB में लगभग 12,000 कर्मचारी हैं और इनमें से 696 समूह ‘A’ के अधिकारी हैं तथा सहयोगी राज्यों में कार्यरत हैं।
ब्यास परियोजना:
- ब्यास-सतलुज लिंक योजना में मंडी ज़िले (हिमाचल प्रदेश) में ब्यास नदी पर पंडोह में 76.2 मीटर ऊंँचा रॉकफिल डायवर्ज़न बांँध शामिल है।
- पोंग मुकेरियां बांँध, हिमाचल प्रदेश के मुकेरियां ज़िले से 40 किमी. दूर ब्यास नदी पर एक बहुउद्देश्यीय पृथ्वी और रॉकफिल बांँध (Multipurpose Earth & Rockfill Dam) है। यह पंडोह बांँध के नीचे की ओर हिमालय की तलहटी में स्थित है।
- BBMB द्वारा वर्ष 1978-83 से इस परियोजना को कमीशन किया गया।
भाखड़ा नांगल बांँध की विशेषताएंँ:
- भाखड़ा बांँध सतलुज नदी पर निर्मित एक ठोस गुरुत्वाकर्षण बांँध है और उत्तरी भारत में पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों की सीमा पर निर्मित है।
- यह टिहरी बांँध (261 मीटर) के पास 225.55 मीटर ऊंँचा भारत का दूसरा सबसे ऊंँचा स्थान है।
- इसका जलाशय, जिसे "गोबिंद सागर" (Gobind Sagar) के नाम से जाना जाता है, 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर तक पानी को संग्रहीत करता है
- नांगल बांँध भाखड़ा बांँध के नीचे निर्मित एक और बांँध है। कभी-कभी दोनों बांँधों को एक साथ भाखड़ा-नांगल बांँध कहा जाता है, हालांँकि ये दो अलग-अलग बांँध हैं।