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सामाजिक न्याय

बहिनी योजना

  • 14 Mar 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बहिनी योजना, मासिक धर्म स्वच्छता योजना, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य की स्थिति, महिलाओं से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

सिक्किम सरकार मुफ्त सैनिटरी पैड प्रदान करने हेतु वेंडिंग मशीन स्थापित करने के लिये एक योजना (बहिनी) की घोषणा करने को तैयार है।

  • यह पहली बार है जब किसी राज्य सरकार ने कक्षा 9-12 में पढ़ने वाली सभी लड़कियों को इस प्रकार के कार्यक्रम के तहत कवर करने का निर्णय लिया है।

योजना का उद्देश्य क्या है?

  • इसका उद्देश्य "माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जाने वाली लड़कियों को मुफ्त व सुरक्षित सैनिटरी पैड तक 100% पहुँच" प्रदान करना है।
  • इसका उद्देश्य स्कूलों से लड़कियों की ड्रॉपआउट को रोकना और मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी है।
  • यह योजना सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से राज्य सरकार द्वारा 2018 में शुरू किये गए एक प्रयोग पर आधारित है, जहाँ कुछ स्कूलों में वेंडिंग मशीनें लगाई गई थीं।
    • सुलभ इंटरनेशनल भारत आधारित एक सामाजिक सेवा संगठन है जो शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिये काम करता है।

भारत में मासिक धर्म की स्थिति क्या है?

  • डेटा:
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4) 2015-16 के अनुसार, भारत में 355 मिलियन से अधिक मासिक धर्म वाली महिलाएंँ हैं।
      • हालाँकि केवल 36% महिलाओं द्वारा स्थानीय या व्यावसायिक रूप से उत्पादित सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करने की सूचना मिली थी।
    • मासिक धर्म के दौरान इन उत्पादों का उपयोग करने वाली महिलाओं के प्रतिशत में देश भर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, विशेष रूप से दमन और दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली, पश्चिम बंगाल व बिहार में, जैसा कि हाल ही में जारी एनएफएचएस-5 के पहले चरण में अनुमान लगाया गया था।
      • इसके बावजूद भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य एक कम प्राथमिकता वाला मुद्दा बना हुआ है, जो वर्जनाओं, शर्म, गलत सूचनाओं वस्वच्छता सुविधाओं तथा मासिक धर्म उत्पादों तक खराब पहुँच का कारण प्रभावित है।
  • मुद्दे:
    • सामाजिक प्रतिबंध:
      • मासिक धर्म के दौरान सामाजिक प्रतिबंध महिलाओं के स्वास्थ्य, समानता और निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
        • कई उपाख्यानों से पता चलता है कि महिलाओं और लड़कियों को अलग-थलग रखा जाता है, उन्हें धार्मिक स्थानों या रसोई में प्रवेश करने, बाहर खेलने या यहाँ तक कि मासिक धर्म के दौरान स्कूलों में जाने की अनुमति नहीं होती है।
    • स्कूल ड्राप-आउट:
      • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) द्वारा एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना के तहत वर्ष 2018-19 में किये गए एक सर्वेक्षण में बताया गया है कि कक्षा VI-VIII में नामांकित कुल लड़कियों में से एक-चौथाई से अधिक जल्दी स्कूल छोड़ देती हैं।
    • शिक्षा तक असंगत पहुँच:
      • मासिक धर्म स्वास्थ्य पर शिक्षा तक असंगत पहुँच के कारण युवा लड़कियों के लिये मासिक धर्म का अनुभव और भी कठिन है।
    • कार्यबल में कम भागीदारी:
      • कई नियोक्ता मासिक धर्म वाली महिलाओं को एक समस्या के रूप में देखते हैं, क्योंकि वे मासिक धर्म को काम में अक्षमता और कार्यबल में कम भागीदारी के साथ जोड़ते हैं।
        • उत्पादकता के नुकसान के डर से मासिक धर्म वाली महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता दिखाने वाले कॉर्पोरेट कार्यस्थलों के वास्तविक उदाहरण हैं।
  • संबंधित पहलें:
    • केंद्र सरकार:
      • वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश पेश किये थे।
      • मासिक धर्म स्वच्छता योजना (2011) और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (2014 में), 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों में मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिये शुरू किये गए हैं।
      • सरकार ने 6,000 जन औषधि केंद्रों के माध्यम से 1 रुपए में 5 करोड़ से अधिक ब्रांड के सैनिटरी पैड वितरित किये हैं।
    • राज्य सरकार:
      • केंद्र सरकार की योजनाओं के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल राज्य सरकारों ने स्कूलों में सैनिटरी पैड वितरित करने के कार्यक्रम भी शुरू किये हैं।
      • बिहार सरकार किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत किशोरियों को सैनिटरी पैड खरीदने के लिये 300 रुपए प्रदान करती है।

मासिक धर्म स्वच्छता योजना

  • मासिक धर्म स्वच्छता योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:
    • किशोरियों में मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों के लिये उच्च गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन तक पहुँच और उपयोग में वृद्धि करना।
    • पर्यावरण के अनुकूल तरीके से सैनिटरी नैपकिन का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम:

  • RKSK का प्रमुख उद्देश्य है:
    • यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार।
    • मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि।
    • चोटों और हिंसा की रोकथाम।
    • पदार्थों के दुरुपयोग को रोकना। 

आगे की राह

  • समय की आवश्यकता एक ऐसी रणनीति पर ध्यान केंद्रित करना है जो सरकार में प्रमुख विभागों- स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला व बाल विकास एवं ग्रामीण विकास को एक साथ लाती हो तथा मासिक धर्म स्वास्थ्य प्रबंधन से संबंधित मुद्दों के प्रति जवाबदेही में सुधार करती हो।
  • आगे की राह एक समुदाय-आधारित दृष्टिकोण में निहित है जिसमें स्थानीय प्रभावकों और निर्णय निर्माताओं को इस मुद्दे के लिये संवेदनशील माना जाता है तथा पुरुषों व महिलाओं दोनों पर लक्षित व्यवहार परिवर्तन अभियान मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करने के उद्देश्य से तैनात किये जाते हैं।
  • इस तरह के अभियान चलाने और ग्रामीण व अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों के लिये किफायती मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक पहुंँच बढ़ाने हेतु सार्वजनिक-निजी सहयोग सुनिश्चित करने का भी एक बड़ा अवसर है।
    • यह कार्य प्रमुख सार्वजनिक स्थानों, कार्यस्थलों, स्कूलों और कॉलेजों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के आंँगनवाड़ी केंद्रों या चाइल्डकेयर केंद्रों पर सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनों की स्थापना के माध्यम से किया जा सकता है।
  • यह स्वीकार करना आवश्यक है कि मासिक धर्म स्वास्थ्य केवल महिलाओं का मुद्दा नहीं है, बल्कि मानवाधिकार का मामला है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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