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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सोना-सिलिकॉन इंटरफेस आधारित फोटोडिटेक्टर

  • 09 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सोना-सिलिकॉन इंटरफेस आधारित फोटोडिटेक्टर

मेन्स के लिये:

सोना-सिलिकॉन इंटरफेस आधारित फोटोडिटेक्टर से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

‘जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च’ (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research-JNCASR) के वैज्ञानिकों द्वारा एक किफायती एवं ऊर्जा-कुशल ‘वेफर-स्केल फोटोडिटेक्टर’ (Wafer-scale Photodetector) (पतले टुकड़े पर आधारित) विकसित किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह शोधकार्य ‘अमेरिकन केमिकल सोसाइटी’ की ‘एप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक मैटेरियल्‍स’ (Applied Electronic Materials) पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
  • उल्लेखनीय है कि ‘वेफर-स्केल फोटोडिटेक्टर’ को सुरक्षा अनुप्रयोगों हेतु सोना- सिलिकॉन इंटरफेस का उपयोग करते हुए तैयार किया गया है। 
    • सोना (Au)- सिलिकॉन (Si) इंटरफेस जो प्रकाश के प्रति उच्च संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हुए फोटोडिटेक्शन का कार्य करता है।
    • सोना (Au)- सिलिकॉन (Si) इंटरफेस को ‘गैल्वेनिक डिपॉज़िट’ द्वारा तैयार किया जाता है।
    • गैल्वेनिक डिपॉज़िट: यह धातुओं की इलेक्ट्रोप्लेटिंग हेतु एक तकनीक है जिसमे जल आधारित घोल (इलेक्ट्रोलाइट्स) का उपयोग कर धातुओं को आयन के रूप में जमा किया जाता है।
  • एक नैनोस्ट्रक्चर Au फिल्म पी-टाइप सिलिसाइड ( p-type Silicide) (धनात्‍मक चार्ज की अधिकता) के ऊपर जमा की गई जो एक चार्ज कलेक्टर के रूप में कार्य करता है।
  • यह शोधकार्य उच्च प्रदर्शन वाले फोटोडिटेक्टर के लिये एक सरल और किफायती समाधान आधारित निर्माण विधि प्रदान करता है।
  • इसकी प्रक्रिया काफी तेज़ी से होने के साथ ही किसी भी मध्‍यवर्ती क्षेत्र का डिटेक्टर बनाने में महज़ कुछ ही मिनट लगते हैं।

वेफर-स्केल फोटोडिटेक्टर की विशेषताएँ:

  • यह अवांछित गतिविधि के संकेत के रूप में कमज़ोर बिखरे हुए प्रकाश का पता लगाने में मदद कर सकता है।
  • यह फोटोडिटेक्टर 40 माइक्रोसेकंड की त्‍वरित प्रतिक्रिया प्रदर्शित करता है और कम तीव्रता वाले प्रकाश का पता लगा सकता है।
  • अल्ट्रावायलेट (Ultraviolet) से लेकर इन्फ्रारेड (Infrared) तक के लिये इस फोटोडिटेक्टर में एक व्यापक स्‍पेक्‍ट्रल रेंज है।
  • इस फोटोडिटेक्टर की प्रतिक्रिया में 5% से कम भिन्नता वाले सक्रिय क्षेत्र में उत्कृष्ट एकरूपता दिखती है।
  • घोल यानी विलयन आधारित तकनीक होने के कारण यह विधि काफी सस्ती और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिये उपयुक्त है।

फोटोडिटेक्टर (Photodetectors):

  • फोटोडिटेक्टर किसी भी ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक सर्किट का मुख्य भाग है जो प्रकाश का पता लगा सकता है।
  • फोटोडिटेक्टर बाहरी आकाशगंगा से विकिरण का पता लगाने के अलावा सुपरमार्किट में स्वचालित प्रकाश व्यवस्था को नियंत्रित करता है। साथ ही सुरक्षा से संबंधित अनुप्रयोगों में व्‍यापक तौर पर उपयोग किया जाता है।
  • हालाँकि, बढ़ती सामग्री की लागत और जटिल विनिर्माण प्रक्रियाओं के कारण दैनिक अनुप्रयोगों के लिये उच्च प्रदर्शन वाले डिटेक्टर की कीमत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जवाहरलाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र

(Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research-JNCASR):

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) द्वारा JNCASR की स्थापना वर्ष 1989 में की गई थी।
  • शोधकार्यों को नौ इकाइयों में विभाजित किया गया है, जैसे-रासायनिकी एवं पदार्थ भौतिकी, अभियांत्रिकी यांत्रिकी, आण्विक जैविकी एवं आनुवंशिकी, तंत्रिका विज्ञान, इत्यादि।

स्रोत: पीआईबी 

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