गोरखा राइफल्स में गैर-गोरखाओं की भर्ती | 09 Nov 2020
प्रिलिम्स के लियेगोरखा राइफल्स, आंग्ल-नेपाल युद्ध मेन्स के लियेगोरखा राइफल्स में गैर-गोरखाओं की भर्ती से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
अपने एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत निर्णय में सेना मुख्यालय ने गोरखा राइफल्स (Gorkha Rifles-GR) में उत्तराखंड के गैर-गोरखाओं की भर्ती को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- मौजूदा व्यवस्था
- वर्तमान में भारतीय सेना के पास लगभग 40 गोरखा राइफल्स (GR) बटालियन हैं, जिसमें केवल नेपाल-अधिवासित गोरखाओं (NDG) और भारतीय-अधिवासित गोरखाओं (IDG) को ही क्रमशः 60 और 40 के अनुपात में भर्ती किया जाता है।
- हालाँकि कुछ वर्ष पूर्व एक पूर्णतः भारतीय-अधिवासित गोरखाओं (IDG) की बटालियन भी बनाई गई थी। अब गोरखा राइफल्स (GR) की सात में 3 रेजिमेंटों में उत्तराखंड के गैर-गोरखाओं की भर्ती को भी मंज़ूरी दे दी गई है।
- कारण:
- यद्यपि एक ओर अलग-अलग गोरखा राइफल्स (GR) बटालियन में नेपाल से होने वाली भर्तियों में कोई कमी नहीं है, किंतु कुछ इकाइयों में भारतीय गोरखाओं की कमी देखी जा रही थी, जिसे पूरा करने के लिये यह कदम उठाया गया है।
- वर्तमान में गोरखा राइफल्स (GR) बटालियन में गैर-गोरखाओं की भर्ती करने का निर्णय केवल दो वर्ष के लिये लिया गया है।
- प्रभाव
- ध्यातव्य है कि भारतीय सेना के इस महत्त्वपूर्ण निर्णय से उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ के युवा गोरखा राइफल्स (GR) में भर्ती होने के लिये योग्य माने जाएंगे, जिससे इस क्षेत्र के युवाओं के लिये रोज़गार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी।
- हालाँकि गोरखा राइफल्स (GR) के कई पूर्व सैनिकों ने इस कदम को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए कहा है कि गोरखा राइफल्स (GR) में केवल गोरखा लोगों की ही भर्ती की जानी चाहिये।
- पृष्ठभूमि
- नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच वर्ष 1947 में हुए एक त्रिपक्षीय समझौते के मुताबिक, भारत और ब्रिटेन को अपनी सेनाओं में नेपाल के गोरखा सैनिकों की भर्ती करने की अनुमति दी गई है।
- इस समझौते के तहत तत्कालीन दस गोरखा राइफल्स (GR) रेजिमेंटों में से छह भारत के तथा चार ब्रिटेन के हिस्से में आई थीं। समझौते के तहत भारतीय सेना के हिस्से में नंबर 1, 3, 4, 5, 8 और 9 गोरखा राइफल्स रेजिमेंट आईं और ब्रिटिश सेना के हिस्से में नंबर 2, 6, 7 और 10 गोरखा राइफल्स रेजिमेंट आईं।
- बाद में भारत ने 11 नंबर गोरखा राइफल्स रेजिमेंट भी बनाई और इस तरह भारत के पास कुल 7 रेजिमेंट हैं।
- ‘आंग्ल-नेपाल युद्ध’ (वर्ष 1814-16) जिसे ‘गोरखा युद्ध’ भी कहा जाता है, के दौरान जब अंग्रेज़ सेना को अधिक क्षति हुई थी तब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहली बार अपनी सेना में गोरखाओं को भर्ती किया था। यह युद्ध वर्ष 1816 की सुगौली की संधि पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ था।
- ‘आंग्ल-नेपाल युद्ध’ के समय ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लाॅर्ड हेस्टिंग्स थे।