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1 अप्रैल से लागू होगा ‘गार’

  • 28 Jan 2017
  • 7 min read

सन्दर्भ

वित्‍त मंत्रालय ने कहा है कि गार (General Anti-Avoidance Rules-GAAR) 1 अप्रैल 2017 से लागू कर दिया जाएगा|  केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड(Central Board Of Direct Taxes-CBDT) ने जीएएआर प्रावधानों के लागू करने पर स्पष्टीकरण जारी किया है जिससे इसके लागू होने का रास्ता साफ हो गया है| गार करों की चोरी और कालेधन पर रोकथाम के लिये बनाया गया खास कानून है जिसे लागू करने में अब सरकार किसी तरह की देरी नहीं करना चाहती है|

क्‍या है ‘गार’? 

  • कर चोरी और काले धन को रोकने के लिये गार एक प्रकार का नियम है| गार को लागू करने के सरकार का उद्देश्य यह है कि जो भी विदेशी कंपनी भारत में निवेश करे, वह यहाँ पर तय नियमों के मुताबिक ही करें|
  • इसका मुख्‍य उद्देश्‍य कराधान की खामियाँ दूर करना और कर चोरी करने वालों की पहचान करना है|
  • गार यह सुनिश्चित करता है कि कर चोरी के उद्देश्य से किये गए लेन-देन तथा तथा अनुचित तरीके से कराधान के दायरे से बाहर रखी गई आय को कराधान के दायरे में लाया जाए| 

गार का इतिहास

  • गार नियम मूल रूप से प्रत्यक्ष कर संहिता (Direct Taxes Code-DTC) 2010 में प्रस्तावित है और आम बजट 2012-13 को प्रस्तुत करते समय तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने गार के प्रावधानों का उल्लेख किया था|
  • विदित हो कि विदेशी कंपनियाँ कई तरीकों से कर बचाती रही हैं| इस पर रोक लगाने के लिये सरकार ने गार कानून को लाने का प्रस्ताव रखा था| लेकिन तब विदेशी निवेशकों के निवेश संबंधी चिंताओं के मद्देनज़र इसे स्थगित कर दिया गया|गार के प्रावधानों एवं संबंधित चिंताओं पर गौर करने के लिये पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई| पार्थसारथी शोम समिति की प्रमुख सिफारिशें कुछ इस प्रकार हैं-

       →  पार्थसारथी शोम समिति ने सिफ़ारिस दिया कि गार नियमों के क्रियान्वयन को तीन साल के लिये टाल दिया जाए|
       →  कर लाभ की मौद्रिक सीमा 3 करोड़ रुपये या इससे अधिक होने पर ही गार नियमों के तहत कार्यवाही की जाए|
       →  कंपनियों के अन्तः समूह लेन-देन पर गार नियमों को लागू नहीं किया जाए|
       →  आयकर कानून में संशोधन कर उसमें व्यवसायिक पूंजी को शामिल किया जाए|

वर्तमान परिस्थितियाँ

  • पार्थसारथी शोम समिति ने गार नियमों के क्रियान्वयन को तीन साल के लिये टाल दिया था लिहाजा गार को 1 अप्रैल 2014 से लागू करने का जो प्रस्ताव था| वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015 के बजट में गार के क्रियान्वयन को और 2 साल के लिये टाल दिया था| ज़ाहिर है गार को 1 अप्रैल 2017 से लागू करने की दिशा में सरकार कदम बढ़ा चुकी है| सरकार ने यह भी कहा है कि 31 मार्च 2017 तक किये गए निवेश को गार के तहत नहीं लाया जाएगा और यह  3 करोड़ रुपये से अधिक के कर लाभ वाले दावों पर ही लागू होगी|
  • गार की शुरुआत 2 चरणों में की जाएगी| पहले चरण में गार नियमों  के अंतर्गत कार्यवाही मुख्य आयकर आयुक्त के स्तर पर होगी और दूसरे चरण में हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति के स्तर पर|
  • गार, करदाता के लेन-देन के चयन के तरीके के अधिकार में आड़े नहीं आएगा यानि करदाता अपने लेन-देन के तरीके चुनने को स्वतंत्र होगा| गार के तहत कर अपवर्जन के सामान्य नियम एक अप्रैल 2017 से प्रभावी होंगे|
  • यदि कोई कर लाभ ‘लाभ पर कर संधि’ के  प्रावधानों के तहत है तो वह गार के दायरे से बाहर होगी| गार, ऐसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर लागू नहीं होगा, जिनका मुख्‍य उद्देश्‍य कर लाभ लेना नहीं है और विदेशी पोर्टफोलियों निवेशकों की चिंताएँ दूर करने की दिशा में यह एक सकारात्मक कदम है|

निष्कर्ष

पूरी दुनिया में कंपनियाँ अपने व्यापार और निवेश की संरचना इसी तरह करती हैं कि वह कर से बच सकें| उदाहरण के लिये अमेरिका की कई बड़ी कंपनियाँ, अपने लाभ को देश से बाहर रखती हैं जिससे उन्हें अमेरिकी कंपनी के उच्च कर दर का भुगतान न करना पड़े| यदि भारत में गार नियमों में बिना किसी सुधार के ही उन्हें लागू कर दिया जाता तो हर एक लेन-देन जिसमें कि कर लाभ शामिल है उस पर सवालिया निशान खड़ा हो सकता था| इन्ही सभी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गार में बहुत से सुधार किये हैं| सरकार ने यह भी कहा है कि वर्ष 2018-19 में वह इसका पुनरीक्षण भी करेगी अतः इसमें कोई दो राय नहीं है कि गार का लागू होना कर सुधारों की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है|

स्रोत-‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘बिज़नेस स्टैण्डर्ड’

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