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सामाजिक न्याय

स्तनपान पर जागरूकता बढ़ाने हेतु अभियान

  • 14 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ (Unicef) ने संयुक्त रूप से प्रारंभिक स्तनपान पर जागरूकता बढ़ाने के लिये एक नया 10 सूत्रीय मार्गदर्शन जारी किया है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund)-यूनिसेफ:

  • यूनिसेफ का गठन वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र के एक अंग के रूप में किया गया था।
  • वस्तुतः इसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध से प्रभावित हुए बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने तथा उन तक खाना और दवाएँ पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया था।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में है। ध्यातव्य है कि वर्तमान में 190 देश इसके सदस्य हैं।

प्रमुख बिंदु: 

  • शिशु मृत्यु दर भारत की स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है साथ ही यह एक स्थापित तथ्य है कि स्तनपान बाल मृत्यु दर को कम करता है। 
  • WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार पहले दो वर्षों तक स्तनपान कराने से सालाना 8,20,000 से अधिक शिशुओं की जान बचाई जा सकती है। 
  • जन्म के बाद पहले स्तनपान के माध्यम से शिशु को कोलोस्ट्रम प्राप्त होता है।
  • कोलोस्ट्रम में एंटीबॉडी का उच्च स्तर पाया जाता है, साथ ही यह हाइपोथर्मिया (Hypothermia) से मृत्यु के जोखिम को कम करता है और बच्चों को संक्रामक रोगों से भी बचाता है।
  • स्तनपान करने वाले शिशुओं में दस्त, निमोनिया और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा कम होता है साथ ही स्तनपान के माध्यम शिशुओं की आँत भी तेज़ी से परिपक्व हो जाती हैं।
  • राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर में कमी के बावजूद भी भारत के कुछ राज्यों में शिशु मृत्यु दर अभी भी अधिक है। शिशु मृत्यु दर के कारकों में स्तनपान न कराया जाना एक प्रमुख कारण है।
  • स्तनपान की अपर्याप्तता से दस्त और श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियाँ होती हैं जो अंततः शिशु मृत्यु दर का कारण बनती हैं।
  • भारत में स्तनपान दर में सुधार के लिये महिलाओं और स्वास्थ्य प्रदाताओं को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।    
  • प्रत्येक माँ को स्तनपान हेतु उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। इस प्रशिक्षण में डॉक्टर और चिकित्सा पेशेवर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • शिशु के जीवन के पहले 24 घंटों को एक महत्त्वपूर्ण अवधि माना जाता है। यदि बच्चे को स्तनपान नहीं कराया जाता है तो उसके अस्थमा, मधुमेह, बचपन के ल्यूकेमिया, मोटापे और एलर्जी जैसी विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होने की अधिक संभावना होती है।

दुर्भाग्य से समाज का एक बड़ा हिस्सा अभी भी जागरूकता की कमी से प्रभावित है जिसके कारण वह स्तनपान के फायदे को समझने और इसका उपयोग करने में असमर्थ है। इसलिये स्वास्थ्य मंत्रालय जागरूकता कार्यक्रमों के साथ साथ देश भर में मानव दुग्ध बैंकों (Human Milk Banks) के नेटवर्क को बढ़ाने की भी योजना बना रहा है।

मानव दुग्ध बैंक

(Human Milk Banks):

  • मानव दुग्ध बैंकों में स्तनपान कराने वाली माताओं द्वारा दान किये गए दुग्ध को एकत्रित किया जाता है।
  • ये बैंक उन माताओं के लिये एक समाधान प्रदान करते हैं जो अपने शिशु को किसी कारणवश अपना दुग्ध नहीं पिला पाती हैं।

स्रोत: द हिंदू

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