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भारतीय अर्थव्यवस्था

WEF ने पेश की ‘फ्यूचर ऑफ वर्क इन इंडिया’ रिपोर्ट

  • 08 Oct 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सहयोग से ‘फ्यूचर ऑफ वर्क इन इंडिया’ रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में काम की अनिश्चितता है लेकिन भारत में भरपूर अवसर हैं।

प्रमुख बिंदु

  • यह रिपोर्ट भारत में रोज़गार सृजन, कार्यस्थल, रोज़गार के रुझानों और संबंधों तथा काम की प्रकृति को लेकर परिवर्तनीय प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर प्रकाश डालती है।
  • इसके अलावा, इस रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में कंपनियाँ भविष्य को लेकर आशावादी हैं और नई प्रौद्योगिकियों तथा डिजिटलीकरण द्वारा प्रस्तुत की गई उन संभावनाओं के लिये खुली हैं जो नवाचार को प्रोत्साहित करने और नई तकनीक को अपनाने तथा विकास एवं प्रगति में तेज़ी लाने वाली हों।
  • रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में उच्चतम संवृद्धि वाली कंपनियाँ पुरुषों को भर्ती करना पसंद करती हैं। इस प्रकार प्रौद्योगिकी पर आधारित यह रोज़गार की वृद्धि महिलाओं से अधिक पुरुषों को लाभ देती है जो लैंगिक समानता तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में भारत के अभियान पर चिंता करने का बड़ा कारण बनती है।

उल्लेखनीय बिंदु

  • कंपनियाँ रोज़गार सृजन की उम्मीद करती हैं: इस व्यापक चिंता के विपरीत कि मशीनें और तकनीक मानव श्रमिकों को विस्थापित कर रही हैं, कंपनियाँ पिछले पाँच सालों से लगातार अतिरिक्त श्रमिकों को भर्ती कर रही हैं और वे उम्मीद करती हैं कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। यदि सावधानी पूर्वक प्रबंधन किया जाए तो भारत में ये तकनीकी बाधाएँ वास्तव में काम करने योग्य आबादी के लिये पर्याप्त लाभकारी रोज़गार के अवसरों का निर्माण कर सकती हैं।
  • कंपनियाँ वस्तु अंतरजाल (IoT) और बिग डेटा की क्षमता को पहचानती हैं: कंपनियों ने सूचित किया कि आईओटी के कई पहलू उनकी कंपनियों में मौजूद हैं या वे अगले पाँच वर्षों में इसके पहलुओं को पेश करने की योजना बना रही हैं। इसी प्रकार, बिग डेटा के उपयोग की प्रवृत्ति बढ़ी है।
  • कंपनियाँ रोज़गार दे रही हैं, लेकिन महिलाओं को नहीं: भारतीय श्रम बाज़ार में महिलाओं का समावेशीकरण सामाजिक तथा आर्थिक दोनों तरह से अनिवार्य है। IMF के अनुमान के मुताबिक यदि भारत के कर्मचारियों में पुरुषों व महिलाओं की बराबर साझेदारी होती तो भारत की अमीरी 27% से जाती।
  • रिपोर्ट में शामिल अन्य उल्लेखनीय बिंदु
  • बढ़ती हुई संविदाकरण
  • मज़दूरों के बचाव, सुरक्षा और लाभ पर दोबारा सोचने की जरूरत
  • स्वतंत्र भविष्य

आगे की राह

आर्थिक संवृद्धि ज़रूरी है लेकिन रोज़गार सृजन के लिये यह पर्याप्त शर्त नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत को वर्तमान रोज़गार दर बनाए रखने के लिये सालाना 84 लाख से अधिक रोज़गार का सृजन करना होगा। महिलाओं, युवाओं और अन्य हाशिये वाले समुदायों, जो पहले अर्थव्यवस्था में समान रूप से भाग लेने में असमर्थ थे, को बराबर अवसर प्रदान करने के लिये यह उचित समय है।

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