अंतर्राष्ट्रीय संबंध
24वीं आसियान-भारत बैठक
- 17 Jun 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:आसियान, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक। मेन्स के लिये:भारत के लिये आसियान का महत्त्व, भारत-आसियान सहयोग के क्षेत्र। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 24वीं आसियान-भारत वरिष्ठ अधिकारी बैठक (SoM) का आयोजन दिल्ली में किया गया।
- भारत और आसियान ने अपने संवाद संबंधों की 30वीं वर्षगांँठ मनाई।.
- इससे पहले भारत के साथ आसियान देशों के डिजिटल मंत्रियों (ADGMIN) की दूसरी बैठक आयोजित की गई तथा इस दौरान क्षेत्र में भविष्य के सहयोग के लिये भारत-आसियान डिजिटल कार्य योजना वर्ष 2022 को अंतिम रूप दिया गया।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ:
- परिचय:
- यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
- इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापकों, अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर एवं थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई।
- इसके सदस्य राज्यों को अंग्रेज़ी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर इसकी अध्यक्षता वार्षिक रूप से प्रदान की जाती है।
- आसियान देशों की कुल आबादी 650 मिलियन है और संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह लगभग 86.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार के साथ भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- सदस्य:
- आसियान दस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम को एक एक मंच पर लाता है।
प्रमुख बिंदु
- SOM ने आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी और इसकी भविष्य की दिशा की समीक्षा की।
- नेताओं ने साझेदारी के तीन स्तंभों- राजनीतिक-सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक के तहत सहयोग की प्रगति पर अपना आकलन किया।
- बैठक में आसियान-भारत कार्ययोजना (2021-2025) के आगे कार्यान्वयन के लिये चरणों पर विचार-विमर्श किया गया।
- दोनों पक्षों ने कोविड-19 महामारी और महामारी के बाद के सुधार सहित पारस्परिक हित के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
- भारत-प्रशांत क्षेत्र के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने के लिये आसियान आउटलुक ऑन इंडो-पेसिफिक (AOIP) के सहयोग पर आसियान-भारत संयुक्त वक्तव्य के कार्यान्वयन पर ज़ोर दिया गया।
- आसियान ने इस क्षेत्र में आसियान और आसियान के नेतृत्त्व वाले निर्माण के लिये भारत के समर्थन की सराहना की।
आसियान-भारत संबंध:
- परिचय:
- आसियान 10 देशों का समूह, दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है।
- भारत और अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।
- आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुए।
- यह दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर-स्तरीय साझेदारी की ओर अग्रसरा हुआ।
- परंपरागत रूप से भारत-आसियान संबंधों का आधार साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों के चलते व्यापार एवं लोगों से लोगों के बीच संबंध रहा है, हालिया क्षेत्रों का अभिसरण का एक और ज़रूरी क्षेत्र चीन के उदय को संतुलित कर रहा है।
- भारत और आसियान दोनों का लक्ष्य चीन की आक्रामक नीतियों के विपरीत क्षेत्र में शांतिपूर्ण विकास के लिये एक नियम-आधारित सुरक्षा ढांँचा स्थापित करना है।
- सहयोग के क्षेत्र:
- आर्थिक सहयोग:
- आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- भारत ने वर्ष 2009 में वस्तु क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौता और 2014 में आसियान के साथ सेवाओं व निवेश में एक एफटीए पर हस्ताक्षर किये।
- भारत का आसियान क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता है, जिसके परिणामस्वरूप रियायती व्यापार और निवेश में वृद्धि हुई है।
- राजनीतिक सहयोग:
- आसियान-भारत केंद्र (एआईसी) की स्थापना भारत और आसियान में संगठनों एवं थिंक-टैंक के साथ नीति अनुसंधान, वकालत व नेटवर्किंग गतिविधियों को विकसित करने के लिये की गई थी।
- वित्तीय सहायता:
- भारत, आसियान-भारत सहयोग कोष, आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास कोष और आसियान-भारत ग्रीन फंड जैसे विभिन्न तंत्रों के माध्यम से आसियान देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- कनेक्टिविटी:
- भारत, भारत-म्याँमार -थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना जैसी कई कनेक्टिविटी परियोजनाएँ चला रहा है।
- भारत आसियान के साथ एक समुद्री परिवहन समझौता स्थापित करने का भी प्रयास कर रहा है और नई दिल्ली तथा हनोई के बीच एक रेलवे लिंक की भी योजना बना रहा है।
- सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग:
- आसियान के माध्यम से लोगों से लोगों की बातचीत को बढ़ावा देने के लिये कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जैसे कि आसियान के छात्रों को भारत में आमंत्रित करना, आसियान राजनयिकों के लिये विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सांसदों का आदान-प्रदान आदि।
- रक्षा सहयोग:
- संयुक्त नौसेना और सैन्य अभ्यास भारत एवं अधिकांश आसियान देशों के बीच आयोजित किये जाते हैं।
- वियतनाम परंपरागत रूप से रक्षा मुद्दों पर घनिष्ठ मित्र रहा है, सिंगापुर भी उतना ही महत्त्वपूर्ण भागीदार है।
- आर्थिक सहयोग:
भारत के लिये आसियान का महत्त्व:
- भारत को आर्थिक और सुरक्षा कारणों से आसियान देशों के साथ घनिष्ठ राजनयिक संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है।
- आसियान देशों के साथ जुड़ाव भारत को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति में सुधार करने की आवश्यकता पर बल देता है।
- ये कनेक्टिविटी परियोजनाएंँ पूर्वोत्तर भारत को केंद्र में रखती हैं, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों की आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित होती है।
- आसियान देशों के साथ बेहतर व्यापार संबंधों का अर्थ होगा इस क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को भारत के आर्थिक विकास और वृद्धि से प्रतिसंतुलित करना।
- आसियान भारत-प्रशांत में नियम-आधारित सुरक्षा में एक केंद्रीकृत स्थिति रखता है, जो भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसका अधिकांश व्यापार समुद्री सुरक्षा पर निर्भर है।
- पूर्वोत्तर में उग्रवाद का मुकाबला करने, आतंकवाद का मुकाबला करने, कर चोरी आदि के लिये आसियान देशों के साथ सहयोग आवश्यक है।
आगे की राह
- चीन के पास भारत की तुलना में दक्षिण-पूर्व एशिया के लिये तीन गुना अधिक वाणिज्यिक उड़ानें हैं, भारत और आसियान देशों के बीच हवाई संपर्क भी सुधार एजेंडे में उच्च प्राथमिकता के साथ शामिल होना चाहिये।
- आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया परियोजनाओं के सफलतापूर्वक लागू होने के बाद भारत सैन्य भागीदार बन सकता है।
- आसियान देशों को शामिल करने और QUAD+ व्यवस्था बनने के लिये QUAD की अवधारणा का विस्तार करने की आवश्यकता है।
- वियतनाम और इंडोनेशिया ने इस क्षेत्र में क्वाड पर सकारात्मक टिप्पणी की है।
- दोनों पक्षों द्वारा कुछ रचनात्मक ब्रांडिंग के साथ भारत और आसियान के बीच पर्यटन को प्रोत्साहित किया जा सकता है।