वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की 19वीं बैठक | 31 Oct 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त और कार्पोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (Financial Stability and Development Council-FSDC) की 19वीं बैठक संपन्न हुई।
प्रमुख बिंदु
- इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्तमान वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थिति तथा वित्तीय क्षेत्र के कामकाज की समीक्षा की।
- परिषद की इस बैठक के दौरान वास्तविक ब्याज दर, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा म्युचुअल फंड में क्षेत्रवार तरलता स्थिति जैसे अनेक विषयों पर चर्चा हुई। इस संबंध में परिषद ने निर्णय लिया कि नियामक संस्था और सरकार स्थिति पर निगरानी रखेगी और सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
- FSDC की इस बैठक में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. उर्जित आर. पटेल, वित्त और राजस्व सचिव डॉ. हंसमुख अढिया, सेबी के अध्यक्ष श्री अजय त्यागी एवं बीमा नियामक तथा विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र खुंटिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
- FSDC की बैठक में वैधानिक ढाँचे के अंतर्गत वित्तीय क्षेत्र में कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉस टीम के गठन में प्रगति सहित वित्तीय क्षेत्र में साइबर सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करने पर भी चर्चा की गई।
- उल्लेखनीय है कि परिषद ने वित्तीय क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सूचना ढाँचे की पहचान करने और उसे प्राप्त करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की। परिषद ने गुप्त (क्रिप्टो) परिसंपत्ति/ मुद्रा की चुनौतियों पर भी चर्चा की।
- परिषद को इस विषय पर सचिव (आर्थिक कार्य) की अध्यक्षता में उच्च समिति द्वारा की गई चर्चा की जानकारी दी गई ताकि निजी क्रिप्टो मुद्रा पर पाबंदी के लिये उचित कानूनी ढाँचा तैयार किया जा सके और 2018-19 के बजट में घोषित वितरित खाता टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद
- वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (Financial Stability and Development Council - FSDC) का गठन दिसंबर 2010 में किया गया था। परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की जाती है।
- इसके सदस्यों में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, सेबी के अध्यक्ष, इरडा के अध्यक्ष, पी.एफ.आर.डी.ए. के अध्यक्ष को शामिल किया जाता है।
यह क्या कार्य करता है?
- परिषद का कार्य वित्तीय स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र के विकास, अंतर-नियामक समन्वय, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय समावेशन तथा बड़ी वित्तीय कंपनियों के कामकाज सहित अर्थव्यवस्था से जुड़े छोटे-छोटे मुद्दों का विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण करना है।
- इसके अतिरिक्त इस परिषद को अपनी गतिविधियों के लिये अलग से कोई कोष आवंटित नहीं किया जाता है।
स्रोत : पीआईबी