भारत में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन
हाल ही में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने 'स्थानीयकरण के लिये वैश्वीकरण: बड़े पैमाने पर निर्यात और पारिस्थितिकी तंत्र को गहन करना उच्च घरेलू मूल्यवर्धन के लिये महत्त्वपूर्ण है' (Globalise to Localise: Exporting at Scale and Deepening the Ecosystem are Vital to Higher Domestic Value Addition) शीर्षक से एक रिपोर्ट लॉन्च की है।
- इसके अलावा, भारत सरकार वर्ष 2026 तक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
- परिचय:
- रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर अनुसंधान के लिये भारतीय परिषद (Indian Council for Research on International Economic Relations-ICRIER) द्वारा इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के सहयोग से तैयार की गई है, जिसमें यह बताया है गया है कि किस प्रकार भारत 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन लक्ष्य प्राप्त कर सकता है और वर्ष 2025-26 तक 120 अमेरिकी डॉलर का निर्यात कर सकता है .
- यह सफल निर्यातक देशों में घरेलू मूल्यवर्धन और निर्यात के मध्य अनुभवजन्य संबंध और इसके की हिस्सेदारी की जाँच करता है।
- यह भारत को आपूर्ति शृंखला व्यवधानों को कम कर अधिक लचीला बनाने के लिये घरेलू विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने पर ज़ोर देता है, इसका उद्देश्य वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभरना है।
- रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर अनुसंधान के लिये भारतीय परिषद (Indian Council for Research on International Economic Relations-ICRIER) द्वारा इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के सहयोग से तैयार की गई है, जिसमें यह बताया है गया है कि किस प्रकार भारत 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन लक्ष्य प्राप्त कर सकता है और वर्ष 2025-26 तक 120 अमेरिकी डॉलर का निर्यात कर सकता है .
- वर्तमान स्थिति:
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है।
- एक क्षेत्र के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ार वर्ष 2022 में भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में छठे स्थान पर पहुँच गया है।
- मोबाइल फोन भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का सबसे बड़ा घटक है।
- कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में अगले वर्ष तक मोबाइल फोन निर्यात के लगभग 50% का योगदान देने की संभवना व्यक्त की गई है।
- एक क्षेत्र के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ार वर्ष 2022 में भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में छठे स्थान पर पहुँच गया है।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है।
- मुद्दे:
- वैश्विक मूल्य शृंखला में बदलाव:
- कोविड -19 महामारी के बाद विश्व इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य शृंखलाओं के स्तर पर व्यापक परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है।
- चूँकि चीन की सरकार की अनिश्चित नीतियों और अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के कारण प्रमुख विनिर्माण कंपनियाँ चीन से बाहर अपने उत्पादन संयंत्र स्थापित रही हैं।
- कोविड -19 महामारी के बाद विश्व इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य शृंखलाओं के स्तर पर व्यापक परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है।
- वैश्विक मूल्य शृंखला में बदलाव:
- अवसर:
- भारत को आपूर्ति शृंखलाओं को चीन से बाहर स्थानांतरित करने और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में बड़े पैमाने पर पहुँचने के लिये आक्रामक रूप से निर्यात करने के अवसर का लाभ उठाना चाहिये।
- बढ़ते निर्यात से आपूर्ति शृंखला की मज़बूती के लिये एक सुदृढ़ नेटवर्क स्थापित होगा, परिणामस्वरूप आपूर्ति शृंखला में निवेश भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स परिदृश्य में मूल्य वर्धन करेगा।
- भारत को आपूर्ति शृंखलाओं को चीन से बाहर स्थानांतरित करने और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में बड़े पैमाने पर पहुँचने के लिये आक्रामक रूप से निर्यात करने के अवसर का लाभ उठाना चाहिये।
- सिफारिशें:
- अन्य देशों की नीति को अपनाना:
- अध्ययन में पाया गया है कि चीन और वियतनाम ने 'पहले वैश्वीकरण, फिर स्थानीयकरण' के सिद्धांत को अपनाया है, जिसका अर्थ है कि शुरुआती वर्षों में इन देशों ने निर्यात में वैश्विक स्तर प्राप्त करने का प्रयास किया, तपश्चात् स्थानीय सामग्री के अधिक से अधिक उपयोग पर जोर दिया।
- इसलिये रिपोर्ट अनुक्रमिक दृष्टिकोण की सिफारिश करती है जो भारत के निर्यात को चीन और वियतनाम के समान बढ़ा सकती है।
- भारतीय नीतिगत उपाय:
- यह भारत के भीतर व्यापक इलेक्ट्रॉनिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये आवश्यक कई कदमों और नीतियों का सुझाव दिया है।
- इसके अतिरिक्त, गति शक्ति, और उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना (PLI) जैसी नीतियाँ भी भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने में मदद करेंगी।
- यह भारत के भीतर व्यापक इलेक्ट्रॉनिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये आवश्यक कई कदमों और नीतियों का सुझाव दिया है।
- प्रतिस्पर्द्धी घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र:
- यह भारत के लिये प्रौद्योगिकी उन्नयन कार्यक्रमों, सोर्सिंग मेलों को आयोजित करने और सहायक उद्योग विकास कार्यक्रमों को शुरू करने के माध्यम से सहायक आपूर्तिकर्त्ताओं का प्रतिस्पर्द्धी घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की तत्काल आवश्यकता की ओर संकेत करता है।
- अन्य देशों की नीति को अपनाना:
विनिर्माण हेतु अन्य संबंधित योजनाएँ:
- संबंधित पहल:
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (ICRIER)
- परिचय:
- यह एक स्वायत्त आर्थिक नीति थिंक टैंक है, जो वर्ष 1981 से परिचालन में है।
- लक्ष्य:
- विश्लेषणात्मक अनुसंधान, वस्तुनिष्ठ नीति सलाह और व्यापक नेटवर्किंग कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय नीति निर्माताओं को निर्णय लेने में मदद करना।
- विश्लेषणात्मक अनुसंधान, वस्तुनिष्ठ नीति सलाह और व्यापक नेटवर्किंग कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय नीति निर्माताओं को निर्णय लेने में मदद करना।
भारत सेलुलर और इलेक्ट्रॉनिक संगठन (India Cellular and Electronics Association-ICEA)
- परिचय:
- यह मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिये शीर्ष उद्योग निकाय है जिसमें निर्माता, ब्रांड मालिक, प्रौद्योगिकी प्रदाता, VAS ऐप्लीकेशन और समाधान प्रदाता, वितरक तथा मोबाइल हैंडसेट एवं इलेक्ट्रॉनिक्स की खुदरा शृंखलाएँ शामिल हैं।
- दृष्टिकोण:
- यह मोबाइल हैंडसेट और कलपुर्जों के उद्योग में प्राप्त लाभ को समेकित करते हुए मोबाइल हैंडसेट के अलावा अन्य घटकों में भारतीय विनिर्माण और डिज़ाइन के निर्माण के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है।
- ICEA पूरी तरह से सरकार के मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करके उद्योग की प्रतिस्पर्द्धात्मकता और विकास में सुधार करने के लिये समर्पित है ताकि मज़बूत, कानूनी और नैतिक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग बनाया जा सके, जिससे देश में अभिनव बाज़ार वातावरण तैयार हो सके।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स):31 अगस्त, 2022
अफ्रीकी मूल के लोगों हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 31 अगस्त, 2022 को अफ्रीकी मूल के लोगों हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है। अफ्रीकी मूल के लोगों हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस पहली बार 31 अगस्त, 2021 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र का इस दिवस का मानाने का उद्देश्य दुनिया भर में अफ्रीकी प्रवासी के असाधारण योगदान को बढ़ावा देना एवं अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दिसंबर 2020 में अफ्रीकी मूल के लोगों के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना के प्रस्ताव को अपनाया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन की स्थापना समाज के विकास हेतु अफ्रीकी मूल के लोगों की विविध विरासत, संस्कृति और योगदान के लिये अधिक मान्यता एवं सम्मान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की थी। यह दिन उनके मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के लिये सम्मान को बढ़ावा देने का भी प्रयास करता है। इसके अलावा यह दिवस डरबन घोषणा और कार्रवाई कार्यक्रम (Durban Declaration and Programme of Action-DDPA) के 20 साल बाद नस्लवाद को समाप्त करने की दिशा के आलोक में महत्त्वपूर्ण है। दूसरी तरफ लैटिन अमेरिका में अफ्रीका के लगभग 134 मिलियन लोग हैं और वे गरीबी, बुनियादी सेवाओं तक पहुँच की कमी एवं असमानता से पीड़ित हैं। ब्राज़ील में कुल गरीबी दर 11.5% है जबकि वहाँ अफ्रीकी मूल के लोगों में गरीबी 25.5% है।
‘रंग स्वाधीनता ’
भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संगीत नाटक अकादमी ने ‘रंग स्वाधीनता’ का आयोजन किया, जो भारत को साम्राज्यवाद की बेड़ियों से मुक्त करने के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को सँजोने का उत्सव था। यह उत्सव 27 से 29 अगस्त, 2022 तक मेघदूत सभागार में आयोजित किया गया था। इस वर्ष का उत्सव विशिष्ट रूप से लोक गायन शैलियों पर केंद्रित था। इस उत्सव में भारत के 9 राज्यों की कुल 12 टीमों और लगभग 100 कलाकारों ने हिस्सा लिया। ‘रंग स्वाधीनता’ में देश भर की लोक संगीत परंपराओं को प्रस्तुत किया जाता है। ‘रंग स्वाधीनता’ के पहले दिन का शुभारंभ सुभाष नगाड़ा एंड ग्रुप की प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसने कहरवा ताल पर अनेक धुन प्रस्तुत की, लोकप्रिय आल्हा कलाकार श्री रामरथ पांडेय ने देवी दुर्गा का आह्वान करने के साथ अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की और इसके साथ ही चंद्रशेखर आज़ाद की वीरता की गाथाओं को भी सुनाया, आल्हा गायन आमतौर पर मानसून के दौरान प्रस्तुत किया जाता है, जिसे आल्हा छंद के रूप मेंं गाया जाता है। ढिमरयाई लोक-गीत में नर्तक आमतौर पर हाथ में सारंगी लेकर उसे बजाता है, जिसमें अन्य अन्य संगीतकार भी उसका साथ देते हैं। ढिमरयाई गीत धार्मिक, पौराणिक, सामाजिक और देशभक्ति विषयों पर आधारित होते हैं। अन्य कलाकारों ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों पर गाथागीत प्रस्तुत किये। अंतिम दिन की प्रस्तुतियों की शुरुआत धर्मेंद्र सिंह द्वारा रागिनी गायन शैली में स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। रागिनी एक कौरवी लोकगीत है जो पूरे उत्तरी भारत, विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बहुत लोकप्रिय है। धर्मेंद्र सिंह रागिनी गायन की कई शैलियों जैसे कि आल्हा, बहारे तबील, चमोला, झूलना, सोहनी, अलीबक्श और सवैया इत्यादि में पारंगत हैं।
नीदरलैंड की रानी मैक्सिमा की भारत यात्रा
नीदरलैंड की रानी मैक्सिमा ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से 29 अगस्त, 2022 को राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति ने रानी मैक्सिमा का स्वागत किया तथा भारत और नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के बारे में चर्चा की। बैठक के दौरान भारत के पूर्व राष्ट्रपति की अप्रैल 2022 में नीदरलैंड की राजकीय यात्रा को याद किया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि अप्रैल 2021 में भारत-नीदरलैंड आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू हुई 'जल पर रणनीतिक साझेदारी' और द्विपक्षीय संबंधों के कई अन्य आयामों के संबंध में हाल के वर्षों में और मज़बूती देखी गई है। दोनों राजनेताओं ने सार्वभौमिक वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर भी विस्तार से चर्चा की। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार प्रत्येक भारतीय को विभिन्न तरीकों के जरिये औपचारिक बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ने और यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है कि सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले लाभ अंतिम इच्छित लाभार्थी तक बिना किसी बाधा के पूरी मात्रा के साथ पहुँचें। रानी मैक्सिमा ने पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में भारत में हुई प्रगति की सराहना की। विकास हेतुु समावेशी वित्त के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष अधिवक्ता और G20 वैश्विक भागीदारी (GPFI) का मानद संरक्षक के रूप में रानी मैक्सिमा 29 से 31 अगस्त, 2022 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं।