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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 31 May, 2021
  • 11 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 31 मई, 2021

यलो फंगस

Yellow Fungus

ब्लैक और व्हाइट फंगस के बाद ‘यलो फंगस’ के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए हैं।

प्रमुख बिंदु

परिचय

  • यलो फंगस, जिसे ‘म्यूकर सेप्टिक’ भी कहा जाता है, प्रायः शुरू में वातावरण में फफूँद (एक प्रकार का कवक) की उपस्थिति से विकसित होता है।
    • इसकी उपस्थिति में अनावश्यक थकान, चकत्ते, त्वचा पर जलन आदि समस्याएँ हो सकती हैं।
    • 30-40% से कम आर्द्रता का स्तर कवक के विकास को बढ़ावा दे सकता है।
  • इसकी शुरुआत प्रायः फेफड़ों से नहीं होती है, किंतु यह शरीर के आंतरिक अंगों पर हमला करता है और शरीर की संपूर्ण कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है।

संभावित कारण

  • स्टेरॉयड का लंबे समय तक उपयोग, दूषित वातावरण, अनियंत्रित मधुमेह, अस्वास्थ्यकर आदतें, कम प्रतिरक्षा, सहरुग्णताएँ।
  • कोविड-19 के उपचार में स्टेरॉयड और इम्यूनोसप्रेसेन्ट शामिल हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करते हैं।

लक्षण:

  • वजन कम होना, भूख कम लगना, सुस्ती ‘यलो फंगस संक्रमण’ के सामान्य लक्षण हैं।
  • यदि समय पर पता नहीं लगाया जाए तो मवाद रिसाव, धँसी हुई आँखें, अंग विफलता, घावों का धीमा उपचार और नेक्रोसिस (जीवित ऊतकों में कोशिकाएं समय से पहले मर जाती हैं) सहित लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं।

उपचार:

  • अब तक यलो फंगस संक्रमण के लिये एकमात्र ज्ञात उपचार एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन है, जो एक एंटिफंगल दवा है जिसका उपयोग ब्लैक फंगस संक्रमण के इलाज के लिये भी किया जा रहा है।

बचाव:

  • स्वच्छता बनाए रखना, बासी भोजन का सेवन न करना, कमरे में नमी को नियंत्रण में रखना आदि।

ब्लैक फंगस:

  • म्यूकोर्मिकोसिस, जिसे पहले जाइगोमाइकोसिस के रूप में जाना जाता था और कभी-कभी ब्लैक फंगस के रूप में जाना जाता है। यह आम तौर पर सांस लेने, दूषित भोजन खाने या खुले घाव के माध्यम से फैलता है।

व्हाइट फंगस:

  • व्हाइट फंगस या कैंडिडिआसिस एक कवक संक्रमण है जो कैंडिडा नामक खमीर (एक प्रकार का कवक) के कारण होता है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 मई, 2021

हिंदी पत्रकारिता दिवस

देश भर में प्रत्येक वर्ष 30 मई को ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस भारतीय पत्रकारों खासतौर पर हिंदी भाषी पत्रकारों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, साथ ही यह दिवस समाज के विकास में पत्रकारों के योगदान और पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्त्व निर्धारण में उनकी भूमिका को रेखांकित करता है। 30 मई, 1826 में पंडित युगल किशोर शुक्ल ने हिंदी के प्रथम समाचार पत्र ‘उदंत मार्तण्ड' के प्रकाशन का शुभारंभ किया था। ‘उदंत मार्तण्ड’ का शाब्दिक अर्थ है ‘समाचार-सूर्य‘। ‘उदंत मार्तण्ड' का प्रकाशन प्रत्येक सप्ताह मंगलवार को किया जाता था। पुस्तकाकार में छपने वाले ‘उदंत मार्तण्ड' के केवल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके और दिसंबर, 1827 में वित्तीय संसाधनों के अभाव में इसका प्रकाशन बंद हो गया। इस समाचार पत्र में ब्रज और खड़ी बोली दोनों भाषाओं के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था, जिसे इस पत्र के संचालक ‘मध्यदेशीय भाषा’ कहते थे। कानपुर के रहने वाले पंडित युगल किशोर शुक्ल पेशे से एक वकील थे और औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में कलकत्ता में वकील के तौर पर कार्य कर रहे थे। इतिहासकार पंडित युगल किशोर शुक्ल को भारतीय पत्रकारिता का जनक मानते हैं। वहीं बंगाल से हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत का श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है। हिंदी पत्रकारिता ने इतिहास में एक लंबा सफर तय किया है। 1826 ई. में पंडित युगल किशोर शुक्ल ने जब पत्रकारिता की शुरुआत की थी, तब यह कल्पना करना मुश्किल था कि भारत में पत्रकारिता भविष्य में इतना लंबा सफर तय करेगी। 

विश्व तंबाकू निषेध दिवस

प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और वैश्विक साझेदारों द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस (WNTD) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य तंबाकू के हानिकारक उपयोग एवं प्रभाव के विषय में जागरूकता फैलाना तथा किसी भी रूप में तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करना है। सर्वप्रथम 1987 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने 7 अप्रैल, 1988 को ‘विश्व धूम्रपान निषेध दिवस’ ​​​​के रूप में आयोजित करने हेतु प्रस्ताव पारित किया था। इसके पश्चात् वर्ष 1988 में प्रतिवर्ष 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाने का आह्वान करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया। इस वार्षिक उत्सव के आयोजन का उद्देश्य न केवल तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में लोगों को जागरूकता करना है, बल्कि तंबाकू कंपनियों की व्यावसायिक प्रथाओं के विकास को भी हतोत्साहित करना है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम है- ‘कमिट टू क्विट’। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो धूम्रपान करने वाले लोगों में कोविड-19 से गंभीर संक्रमण और मृत्यु का खतरा 50 प्रतिशत तक अधिक होता है। इसके अलावा तंबाकू गंभीर और घातक स्थितियों जैसे कि हृदय रोग एवं फेफड़ों में कैंसर आदि के मुख्य कारणों में से एक है।

‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ के नाम में परिवर्तन

जल्द ही प्रसारकों की सर्वोच्च संस्था ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ (IBF) का नाम बदलकर ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन’ (IBDF) किया जाएगा। ज्ञात हो कि सभी डिजिटल ओवर-द-टॉप स्ट्रीमिंग फर्मों को विनियमित करने हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म को कवर करने के लिये ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ के दायरे का विस्तार किया जा रहा है। ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन’ द्वारा डिजिटल मीडिया से संबंधित सभी मामलों को संभालने के लिये एक नई पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी का निर्माण किया जाएगा। सरकार द्वारा अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थाओं हेतु दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के अनुसार फाउंडेशन एक स्व-नियामक निकाय का भी गठन किया जाएगा। वर्षों से ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ ने एक मज़बूत प्रसारण क्षेत्र का निर्माण करने के लिये सरकार को अनुसंधान-आधारित नीति और नियामक प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो भारतीय मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। सरकार ने इस वर्ष फरवरी माह में डिजिटल और ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म के विनियमन के लिये त्रिस्तरीय तंत्र की शुरुआत कर अपने नियंत्रण को मज़बूत किया था। 

संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक अंतर्राष्ट्रीय दिवस

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिवर्ष 29 मई को ‘संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य शांति स्थापना के लिये शहीद हुए सैनिकों को याद करना एवं उनका सम्मान करना है। आधिकारिक सूचना के मुताबिक, बीते वर्ष विभिन्न अभियानों में संयुक्त राष्ट्र के 130 शांति सैनिकों ने अपनी जान गँवाई थी और वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों की शुरुआत से अब तक 4000 लोग मारे जा चुके हैं। ज्ञात हो कि पहले संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का गठन 29 मई, 1948 को किया गया था जब ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ ने मध्य पूर्व में संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षकों की एक छोटी टुकड़ी की तैनाती को अधिकृत किया था। यह दिवस वर्ष 2003 में पहली बार मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र वैश्विक शांति के लिये अपने संबंधित हिस्से का भुगतान करने के लिये कानूनी रूप से बाध्य है। स्थानीय समुदायों का समर्थन करने के साथ-साथ शांति सैनिकों को कोविड-19 महामारी के प्रभावों से भी जूझना पड़ा रहा है।


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