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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 30 Dec, 2021
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

संकल्प स्मारक: अंडमान और निकोबार

हाल ही में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भारत आगमन के ठीक 78 वर्ष (29 दिसंबर, 2021) बाद एक संकल्प स्मारक राष्ट्र को समर्पित किया गया था।

  • इस स्मारक का उद्देश्य इतिहास की इस महत्त्वपूर्ण घटना को सहेज कर रखना है।

Sankalp-Memorial

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • अंडमान और निकोबार में बना यह स्मारक भारतीय राष्ट्रीय सेना के जवानों के संकल्प और उनके असंख्य बलिदानों को श्रद्धांजलि है।
    • यह स्वयं नेताजी द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिबद्धता, कर्तव्य और बलिदान जैसे मूल्यों का एक प्रतीक भी है, जो भारतीय सशस्त्र बलों के लोकाचार और भारतीय सेना के संकल्प को रेखांकित करना है।
  • महत्त्व:
    • यह भी महत्त्वपूर्ण है कि नेताजी 16 जनवरी, 1941 को कोलकाता से ब्रिटिश निगरानी से बच निकले और 29 दिसंबर, 1943 को पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे पर लगभग तीन वर्षों के बाद भारतीय धरती पर वापस चले आए।
    • 30 दिसंबर, 1943 को उन्होंने पोर्ट ब्लेयर में पहली बार भारतीय धरती पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
    • आज़ाद हिंद की अनंतिम सरकार के प्रमुख (अरजी हुकुमत-ए-आज़ाद हिंद के रूप में जाना जाता है) और भारतीय राष्ट्रीय सेना के सर्वोच्च कमांडर के रूप में नेताजी की द्वीपों की यात्रा ने उनके वादे की प्रतीकात्मक पूर्ति को चिह्नित किया कि भारतीय राष्ट्रीय सेना वर्ष 1943 के अंत तक भारतीय धरती पर खड़ी होगी। 
    • इस ऐतिहासिक यात्रा ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को "भारत के पहले मुक्त क्षेत्र" के रूप में घोषित किया।

सुभाष चंद्र बोस

  • परिचय:
    • सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस (Prabhavati Dutt Bose) और पिता का नाम जानकीनाथ बोस (Janakinath Bose) था।
    • अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल (Ravenshaw Collegiate School) में दाखिला लिया। उसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज (Presidency College) कोलकाता में प्रवेश लिया परंतु उनकी उग्र राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण उन्हें वहाँ से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) चले गए।
    • वर्ष 1919 में बोस भारतीय सिविल सेवा (Indian Civil Services- ICS) परीक्षा की तैयारी करने के लिये लंदन चले गए और वहाँ उनका चयन भी हो गया। हालाँकि बोस ने सिविल सेवा से त्यागपत्र दे दिया क्योंकि उनका मानना था कि वह अंग्रेज़ों के साथ कार्य नहीं कर सकते।
    • सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे, जबकि चितरंजन दास (Chittaranjan Das) उनके राजनीतिक गुरु थे।
    • वर्ष 1921 में बोस ने चित्तरंजन दास की स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र 'फॉरवर्ड' के संपादन का कार्यभार संभाला।
    • वर्ष 1923 में बोस को अखिल भारतीय युवा कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष और साथ ही बंगाल राज्य कॉन्ग्रेस का सचिव चुना गया।
    • वर्ष 1925 में क्रांतिकारी आंदोलनों से संबंधित होने के कारण उन्हें माण्डले (Mandalay) कारागार में भेज दिया गया जहाँ वह तपेदिक की बीमारी से ग्रसित हो गए ।
    • वर्ष 1930 के दशक के मध्य में बोस ने यूरोप की यात्रा की। उन्होंने पहले शोध किया तत्पश्चात् ‘द इंडियन स्ट्रगल’ नामक पुस्तक का पहला भाग लिखा, जिसमें उन्होंने वर्ष 1920-1934 के दौरान होने वाले देश के सभी स्वतंत्रता आंदोलनों को कवर किया।
    • बोस ने वर्ष 1938 (हरिपुरा) में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। यह नीति गांधीवादी विचारों के अनुकूल नहीं थी।
    • वर्ष 1939 (त्रिपुरी) में बोस फिर से अध्यक्ष चुने गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया और कॉन्ग्रेस के भीतर एक गुट ‘ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया, जिसका उद्देश्य राजनीतिक वाम को मज़बूत करना था।
    • 18 अगस्त, 1945 को जापान शासित फॉर्मोसा (Japanese ruled Formosa) (अब ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
  • भारतीय राष्ट्रीय सेना::
    • वह जुलाई 1943 में जर्मनी से जापान-नियंत्रित सिंगापुर पहुँचे, वहाँ से उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा ‘दिल्ली चलो’ जारी किया और 21 अक्तूबर, 1943 को आज़ाद हिंद सरकार तथा भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन की घोषणा की।
    • INA का गठन पहली बार मोहन सिंह (Mohan Singh) और जापानी मेजर इविची फुजिवारा (Iwaichi Fujiwara) के नेतृत्त्व में किया गया था तथा इसमें मलायन (वर्तमान मलेशिया) अभियान में सिंगापुर में जापान द्वारा कब्जा किये गए ब्रिटिश-भारतीय सेना के युद्ध के भारतीय कैदियों को शामिल किया गया था।
    • INA में सिंगापुर के जेल में बंद भारतीय कैदी और दक्षिण-पूर्व एशिया के भारतीय नागरिक दोनों शामिल थे। इसकी सैन्य संख्या  बढ़कर 50,000 हो गई।
    • INA ने वर्ष 1944 में इम्फाल और बर्मा में भारत की सीमा के भीतर संबद्ध सेनाओं का मुकाबला किया।
    • हालाँकि रंगून के पतन के साथ ही आज़ाद हिंद सरकार एक प्रभावी राजनीतिक इकाई बन गई।
    • नवंबर 1945 में ब्रिटिश सरकार द्वारा INA के लोगों पर मुकदमा चलाए जाने के तुरंत बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।
      • प्रभाव: INA के अनुभव ने वर्ष 1945-46 के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना में असंतोष की लहर पैदा की, जिसकी परिणति फरवरी 1946 में बॉम्बे के नौसैनिक विद्रोह के रूप में हुई जिसने ब्रिटिश सरकार को जल्द-से-जल्द भारत छोड़ने के लिये मज़बूर कर दिया।
      • INA की संरचना: INA अनिवार्य रूप से गैर-सांप्रदायिक संगठन था, क्योंकि इसके अधिकारियों और रैंकों में मुस्लिम काफी संख्या में थे तथा इसने झांसी की रानी के नाम पर एक महिला टुकड़ी की भी शुरुआत की।

स्रोत- पी.आई.बी


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 दिसंबर, 2021

न्यू डेवलपमेंट बैंक

हाल ही में ‘मिस्र’ ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ (NDB) का नौवाँ सदस्य बन गया है। इससे पूर्व सितंबर माह में बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात और उरुग्वे ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ में नए सदस्यों के तौर पर शामिल हुए थे। ज्ञात हो कि न्यू डेवलपमेंट बैंक द्वारा सदस्यता के विस्तार से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये एक प्रमुख विकास संस्थान के रूप में कार्य करने में इसकी मदद करेगा। ज्ञात हो कि ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ वर्ष 2014 में ब्राज़ील के ‘फोर्टालेज़ा’ में आयोजित छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। इसका गठन ब्रिक्स और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नवाचार एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से तीव्र विकास के लिये बुनियादी अवसंरचना एवं सतत् विकास प्रयासों का समर्थन करने हेतु किया गया था। इसका मुख्यालय शंघाई (चीन) में स्थित है। वर्ष 2018 में ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ ने संयुक्त राष्ट्र के साथ सक्रिय और उपयोगी सहयोग के लिये एक मज़बूत आधार स्थापित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त किया था। यह अपने सदस्य देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु बैंक ऋण, गारंटी, इक्विटी भागीदारी और अन्य वित्तीय साधनों के माध्यम से सार्वजनिक या निजी परियोजनाओं का समर्थन करता है।

ग्लोबल एन्वायरनमेंट एंड क्लाइमेट एक्शन सिटीज़न अवार्ड

‘ग्रीनमैन’ के नाम से मशहूर सूरत के प्रसिद्ध उद्योगपति विरल देसाई को दुबई में प्रतिष्ठित ‘ग्लोबल एन्वायरनमेंट एंड क्लाइमेट एक्शन सिटीज़न अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। ब्रिटेन, अमेरिका, न्यूज़ीलैंड, फ्राँँस और मलेशिया सहित 11 देशों के 28 लोगों को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विरल देसाई जलवायु कार्रवाई हेतु सम्मान पाने वाले एकमात्र भारतीय थे। ‘ग्लोबल एन्वायरनमेंट एंड क्लाइमेट एक्शन सिटीज़न अवार्ड’ एक पर्यावरण पुरस्कार है, जिसे ’हार्वर्ड मेडिकल स्कूल सेंटर फॉर हेल्थ एंड ग्लोबल एनवायरनमेंट’ द्वारा स्थापित किया गया है। यह प्रतिवर्ष एक ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है, जो वैश्विक पर्यावरण को बहाल करने और उसकी रक्षा करने के लिये काम कर रहा है। 

राष्ट्रीय नस्ल संरक्षण पुरस्कार

‘केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय’ (AICRP) के तहत ‘अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना’ (KVASU) को वर्ष 2021 के लिये ‘राष्ट्रीय नस्ल संरक्षण पुरस्कार’ प्रदान किया गया है। ‘अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना’ को यह पुरस्कार एकमात्र पंजीकृत देशी चिकन नस्ल- ‘टेलिचेरी’ के संरक्षण और इस पर अनुसंधान गतिविधियों के लिये दिया गया है। ‘अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना’ के तहत ‘टेलिचेरी नस्ल’ का संरक्षण वर्ष 2014 में शुरू किया गया था। यह पुरस्कार ‘आईसीएआर- राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो’ द्वारा प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत एक प्रशस्ति पत्र और 10,000 रुपए की पुरस्कार राशि शामिल है। 

ज़ियुआन-1 02E’ पृथ्वी संसाधन अवलोकन उपग्रह

चीन ने हाल ही में ‘ज़ियुआन-1 02E’ पृथ्वी संसाधन अवलोकन उपग्रह लॉन्च किया है, जो कि इस वर्ष चीन का 53वाँ कक्षीय प्रक्षेपण है। ‘ज़ियुआन-1 02E’ सुदूर संवेदन उपग्रहों की शृंखला में नवीनतम है। इसमें चीन के भू-वैज्ञानिक वातावरण का सर्वेक्षण और खनिजों की खोज में मदद करने के लिये अवरक्त, निकट-अवरक्त व हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरे संलग्न हैं। इस उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में आठ वर्ष के जीवनकाल के लिये डिज़ाइन किया गया है। इसे प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने हेतु उच्च रिज़ॉल्यूशन में पृथ्वी की सतह का मानचित्रण करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया है। उपग्रह से प्राप्त डेटा का उपयोग पर्यावरणीय आपदाओं के प्रति सचेत करने और पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिये किया जाएगा।


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