प्रारंभिक परीक्षा
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की रिपोर्ट करने के लिये कानून: न्यूज़ीलैंड
न्यूज़ीलैंड ऐसा पहला देश बन गया है जिसने अपने व्यवसाय पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की रिपोर्ट करने के लिये बैंकों, बीमा कंपनियों और निवेश प्रबंधकों हेतु कानून पारित किये हैं।
प्रमुख बिंदु:
- सामान्य जानकारी:
- नए कानूनों के लिये वित्तीय फर्मों को यह समझाने की आवश्यकता होगी कि वे जलवायु-संबंधी जोखिमों और अवसरों का प्रबंधन कैसे करेंगे और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ भी न्यूज़ीलैंड के स्वतंत्र लेखा निकाय के मानकों पर आधारित होंगी।
- कानून वित्तीय फर्मों को न केवल अपने स्वयं के निवेश का आकलन करने बल्कि उन कंपनियों का मूल्यांकन करने के लिये भी बाध्य करेगा, जिन्हें वे अपने पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में पैसा उधार दे रहे हैं।
- वर्ष 2023 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्षों के लिये प्रकटीकरण अनिवार्य हो जाएगा।
- न्यूज़ीलैंड सरकार ने वर्ष 2025 तक अपने सार्वजनिक क्षेत्र को कार्बन-तटस्थ बनाने और इस दशक के मध्य से केवल शून्य-उत्सर्जन सार्वजनिक परिवहन बसों को खरीदने का वादा करने सहित उत्सर्जन को कम करने के लिये कई नीतियाँ पेश की हैं।
- नए कानूनों के लिये वित्तीय फर्मों को यह समझाने की आवश्यकता होगी कि वे जलवायु-संबंधी जोखिमों और अवसरों का प्रबंधन कैसे करेंगे और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ भी न्यूज़ीलैंड के स्वतंत्र लेखा निकाय के मानकों पर आधारित होंगी।
- महत्त्व:
- यह सुनिश्चित करेगा कि वित्तीय संगठन जलवायु संबंधी जोखिमों अवसरों के बारे में खुलासा करें और अंततः कार्रवाई करें।
- जलवायु रिपोर्टिंग स्वतंत्र होने से निवेशकों को यह देखने को मिलेगा कि जिस कंपनी में वे अपना पैसा लगाने की योजना बना रहे हैं, वह पर्यावरण को कैसे प्रभावित करती है।
- यह वित्तीय संस्थानों को अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने के साथ-साथ दुनिया पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी विचार करने के लिये प्रेरित करता है।
- यह कानून वित्तीय और व्यावसायिक निर्णय लेने में जलवायु जोखिम और लचीलापन लाएगा।
- भारत के लिये इस कानून की आवश्यकता:
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) जैसे स्टॉक एक्सचेंज, जिसने 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार पूंजीकरण की सीमा को छुआ है, भारत में संगठनों को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने में मदद करने में निश्चित रूप से एक बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं।
- लेकिन भारत में इस उपाय को सफल बनाने के लिये राष्ट्र के आकार और मौजूद व्यवसायों की संख्या को देखते हुए इसे और अधिक व्यापक बनाना होगा।
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) जैसे स्टॉक एक्सचेंज, जिसने 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार पूंजीकरण की सीमा को छुआ है, भारत में संगठनों को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने में मदद करने में निश्चित रूप से एक बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं।
- संबंधित पहलें:
- वित्तीय प्रणाली को हरित बनाने हेतु नेटवर्क (NGFS):
- यह केंद्रीय बैंकों और पर्यवेक्षी प्राधिकरणों का वैश्विक नेटवर्क है जो एक अधिक स्थायी वित्तीय प्रणाली की वकालत करता है।
- जलवायु संबंधी वित्तीय प्रकटीकरण पर टास्क फोर्स (TFCD):
- TFCD को वर्ष 2015 में वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) ने कंपनियों, बैंकों और निवेशकों द्वारा हितधारकों को जानकारी प्रदान करने के लिये लगातार जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिम प्रकटीकरण हेतु बनाया था।
- वित्तीय प्रणाली को हरित बनाने हेतु नेटवर्क (NGFS):
प्रारंभिक परीक्षा
समुद्रयान मिशन
हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन “समुद्रयान” लॉन्च किया है।
- भारत इस प्रमुख महासागर मिशन में अमेरिका, रूस, फ्राँस, जापान और चीन जैसे देशों के साथ ‘इलीट क्लब’ में शामिल हो गया, जिनके पास ऐसी गतिविधियों के लिये विशिष्ट तकनीक और वाहन उपलब्ध हैं।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह भारत का पहला अद्वितीय मानवयुक्त महासागर मिशन है जिसका उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिजों के खनन के लिये पनडुब्बी के माध्यम से व्यक्तियों को भेजना है।
- यह गहरे पानी के नीचे अध्ययन के लिये तीन व्यक्तियों को मत्स्य 6000 नामक मानवयुक्त पनडुब्बी में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजेगा।
- पनडुब्बियाँ केवल 200 मीटर तक की गहराई तक जाती हैं।
- यह 6000 करोड़ रुपए के ‘डीप ओशन मिशन’ का हिस्सा है।
डीप ओशन मिशन
- इसे जून 2021 में MoES द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसका उद्देश्य समुद्रीय संसाधनों का पता लगाना तथा समुद्रीय संसाधनों के सतत् उपयोग के लिये गहरे समुद्र में प्रौद्योगिकियों का विकास करना और भारत सरकार की ब्लू इकॉनमी पहल का समर्थन करना है।
- पाँच वर्ष की अवधि में मिशन की कुल अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है और इसे विभिन्न चरणों में लागू किया जाएगा।
- मत्स्य 6000:
- यह स्वदेशी रूप से विकसित मानवयुक्त सैन्य पनडुब्बी है।
- यह MoES को गैस हाइड्रेट्स, पॉलीमेटेलिक मैंगनीज़ नोड्यूल, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधनों की प्राप्ति हेतु गहरे समुद्र में अन्वेषण करने में सुविधा प्रदान करेगा जो कि 1000 और 5500 मीटर के बीच की गहराई पर पाए जाते हैं।
- पॉलीमेटेलिक नोड्यूल जिसे मैंगनीज़ नोड्यूल भी कहा जाता है, एक कोर के चारों ओर लोहे व मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड की संकेंद्रित परतों से निर्मित समुद्र तल पर स्थित खनिज होते हैं।
- महत्त्व:
- इससे स्वच्छ ऊर्जा, पेयजल और नीली अर्थव्यवस्था हेतु समुद्री संसाधनों का पता लगाने के लिये और अधिक विकास के रास्ते खुलेंगे।
- विकसित देश पहले भी इसी तरह के समुद्री मिशन पूर्ण कर चुके हैं। भारत विकासशील देशों में पहला देश है जिसने गहरे समुद्र में मिशन को अंजाम दिया है।
- अन्य संबंधित पहलें
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 अक्तूबर, 2021
चेन्नई-मैसूर शताब्दी एक्सप्रेस
चेन्नई-मैसूर शताब्दी एक्सप्रेस यात्रियों के लिये सुरक्षित और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने वाली अत्याधुनिक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए दक्षिण रेलवे की पहली एकीकृत प्रबंधन प्रणाली (IMS)-प्रमाणित ट्रेन बन गई है। यह भारतीय रेलवे की पहली शताब्दी और दूसरी मेल/एक्सप्रेस ट्रेन है, जिसे आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और आईएसओ 45001:2018 प्रमाणपत्र के साथ IMS प्रमाणपत्र मिला है। वर्ष 1994 में शुरू की गई चेन्नई-मैसूर शताब्दी एक्सप्रेस वर्ष 2007 में दक्षिण रेलवे में पहली आईएसओ 9001:2001 प्रमाणित ट्रेन थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर पुणे डायलॉग
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा 28 अक्तूबर को ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर पुणे संवाद (पीडीएनएस) 2021’’ के छठे संस्करण का ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन किया गया। पुणे इंटरनेशनल सेंटर (पीआईसी) द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय ऑनलाइन सम्मेलन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने भी संबोधित किया। इस वर्ष इस सम्मेलन का विषय ‘आपदाओं और महामारी के दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारी’ है। प्रतिभागियों द्वारा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर आपदाओं और महामारियों के प्रभाव को लेकर चर्चा करने के साथ ही इससे निपटने के लिये रणनीतियों के बारे में भी सुझाव दिया गया। कार्यक्रम के अन्य वक्ताओं में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार और पूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल एन.सी. विज भी शामिल हुए। सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के हिस्से के रूप में आपदा जोखिम में कमी करने पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा बाहरी आयामों तथा भविष्य के खतरों व चुनौतियों से निपटने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका विषय पर भी चर्चा की गई।
गंगा उत्सव
गंगा उत्सव इस वर्ष 1 से 3 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन 4 नवंबर को गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किये जाने की वर्षगाँठ पर हर वर्ष गंगा उत्सव का आयोजन करता है।
इस वर्ष गंगा उत्सव को व्यापक बनाते इसका प्रसार नदी घाटियों तक करने का लक्ष्य रखा गया है। 150 ज़िलों में गंगा उत्सव मनाने की योजना है, जिनमें गंगा क्षेत्र के 112 ज़िलों सहित अन्य प्रमुख नदियों के किनारे बसे ज़िले शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष 26 सितंबर को विश्व नदी दिवस पर नदियों के साथ सदियों से चली आ रही परंपराओं से जुड़ने का आह्वान किया था। इस वर्ष गंगा उत्सव का आयोजन केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की देखरेख में हो रहा है। उद्घाटन समारोह में पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहृलाद सिंह पटेल और बिशेश्वर टुडू, जल शक्ति मंत्रालय में सचिव पंकज कुमार और कई ओलिम्पिक खिलाड़ी शामिल होंगे। यह कार्यक्रम स्वतंत्रता के 75 वर्ष और आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोहों का हिस्सा होगा।
युद्ध अभ्यास 2021
भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच ‘युद्ध अभ्यास 2021’ का सत्यापन चरण 25 से 28 अक्तूबर, 2021 तक दो भागों में अमेरिका के अलास्का में आयोजित किया गया। इसके अंतर्गत दो दल बनाए गए, एक अमेरिकी सेना के नेतृत्त्व में और दूसरा भारतीय सेना के नेतृत्त्व में। यह सैन्याभ्यास भारत तथा अमेरिका की सेनाओं के बीच 14 दिवसीय संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान अलास्का के एल्मेंडोर्फ रिचर्डसन संयुक्त सैन्य अड्डे पर संपन्न किया गया। इस अभ्यास में अमेरिका की 40वीं कैवलरी रेजिमेंट के फर्स्ट स्क्वाड्रन (एयरबोर्न) से संबंधित कुल 300 अमेरिकी सैनिकों ने और भारतीय सेना की 7वीं मद्रास इन्फैंट्री बटालियन ग्रुप के 350 सैनिकों ने भाग लिया। यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं को ठंडी जलवायु परिस्थितियों वाले पहाड़ी इलाकों में बटालियन स्तर पर संयुक्त अभियान संचालित करने में मदद करेगा।