प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 30 अप्रैल, 2020
उष्णकटिबंधीय चक्रवात
Tropical Cyclone
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) ने 28 अप्रैल, 2020 को 169 उष्णकटिबंधीय चक्रवातों (Tropical Cyclones) जिनके बंगाल की खाड़ी एवं हिंद महासागर में आने की संभावना है, के नामों की एक नई सूची जारी की है।
मुख्य बिंदु:
- IMD, विश्व भर में स्थापित छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (Regional Specialised Meteorological Centres- RSMCs) में से एक है। इसके अतिरिक्त IMD पाँच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (Tropical Cyclone Warning Centres- TCWCs) जिन्हें उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से संबंधित एडवाइज़री एवं नाम जारी करने का कार्य दिया जाता है, में से एक है।
- IMD बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, यूएई और यमन सहित 13 सदस्य देशों को आगामी उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के संदर्भ में एडवाइज़री जारी करता है।
- विभिन्न महासागरीय क्षेत्रों में आने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को संबंधित RSMCs और TCWCs द्वारा नामित किया गया है।
- बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर सहित उत्तर हिंद महासागर में आने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नाम नई दिल्ली स्थित RSMC द्वारा एक मानक प्रक्रिया के बाद प्रदान किये जाते हैं।
- सितंबर 2018 में आयोजित उष्णकटिबंधीय चक्रवात पर विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)/एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र का आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCAP) के 45वें सत्र के दौरान उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की एक नई सूची की आवश्यकता को बताया गया था। इस सत्र की मेजबानी ओमान ने की थी।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात पर WMO/ESCAP पैनल की स्थापना वर्ष 1972 में की गई थी।
- इसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से बाढ़ एवं तूफान के कारण होने वाली जान-माल की क्षति को कम करने के लिये योजना बनाना एवं उसके कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
- IMD प्रमुख ने सितंबर 2019 में अंतिम सूची प्रस्तुत की थी जिसे हाल ही में म्यांमार में आयोजित बैठक के दौरान अनुमोदित किया गया है।
- इस सूची में कुल 169 नामों में से 13 सदस्य देशों के लिये 13-13 चक्रवातों के नाम शामिल हैं।
- इस सूची में भारत से संबंधित भविष्य में आने वाले चक्रवातों के नाम गति, तेज़, मुरासु (Murasu), आग, व्योम, झार, प्रोबाहो (Probaho), नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलधि एवं वेगा हैं।
- कुछ अन्य नामों में बिप्रजॉय, अर्नब और उपाकुल शामिल हैं। इस सूची में बांग्लादेश के लिये निसारगा (Nisarga) और ईरान के लिये निवार (Nivar) जैसे नाम भी शामिल हैं।
COVID-19 डैशबोर्ड
COVID-19 Dashboard
हाल ही में महाराष्ट्र के स्मार्ट सिटी कल्याण डोंबिवली नगर निगम (Kalyan Dombivli Municipal Corporation- KDMC) ने बताया है कि KDMC क्षेत्र में COVID-19 स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिये एक वेब-आधारित डैशबोर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।
मुख्य बिंदु:
- इस डैशबोर्ड को कल्याण-डोंबिवली नगर निगम की वेबसाइट और नगर शासन/प्रशासन के अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे: फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम के साथ लिंक करके सार्वजनिक कर दिया गया है।
- इस डैशबोर्ड की मुख्य विशेषता है कि ‘ड्राॅप मेनु’ (Drop Menu) का उपयोग कर नागरिक किसी भी मतदाता वार्ड के बारे में COVID-19 की स्थिति एवं संबंधित ग्राफ के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- डैशबोर्ड सैटेलाइट व्यू, रोड मैप इत्यादि जैसे विकल्पों से बैकग्राउंड बेस मैप को परिवर्तित करके मानचित्रों को देखने के विविध विकल्प भी उपलब्ध कराता है।
अल्ज़ाइमर अवरोधक
Alzheimer Inhibitor
हाल ही में विज्ञान पत्रिका ‘आईसाइंस’ (iScience) में प्रकाशित एक शोधकार्य में बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने बर्बेरिन (Berberine) की संरचना को बेर-डी (Ber-D) में बदल दिया है ताकि इसका उपयोग अल्ज़ाइमर अवरोधक (Alzheimer Inhibitor) के रूप में किया जा सके।
मुख्य बिंदु:
- यह शोधकार्य भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology- DST) के अधीन स्वायत्त संस्थान ‘जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च’ (Jawaharlal Nehru Centre For Advanced Scientific Research- JNCASR) के वैज्ञानिकों ने किया है।
- बर्बेरिन, करक्यूमिन (Curcumin) के समान एक प्राकृतिक एवं सस्ता उत्पाद है जो व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है। करक्यूमिन एक चमकीला पीला रसायन है जो करकुमा लोंगा पौधों (Curcuma longa plants) द्वारा निर्मित होता है।
- हालाँकि बर्बेरिन आसानी से नहीं घुलता है और कोशिकाओं के लिये विषाक्त होता है। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने बर्बेरिन को ‘बेर-डी’ में संशोधित कर दिया जो एक घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट है। वैज्ञानिकों ने इसे अल्ज़ाइमर रोग की बहुआयामी अमाइलॉयड विषाक्तता (Amyloid Toxicity) के लिये एक बहुक्रियात्मक अवरोधक के रूप में पाया।
- प्रोटीन संयोजन एवं अमाइलॉइड विषाक्तता ही मुख्य रूप से तंत्रिका कोशिकाओं में पाई जाने वाली बहुआयामी विषाक्तता के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- वैज्ञानिकों ने जीवित कोशिकाओं में बहुआयामी विषाक्तता को दूर करने के लिये ही इस बहुक्रियाशील अवरोधक को विकसित किया है।
- अल्ज़ाइमर रोग सबसे अधिक होने वाला तंत्रिका अपक्षयी विकार (Neurodegenerative Disorder) है और मनोभ्रंश (Dementia) के 70% से भी अधिक मामलों के लिये यही मुख्य कारण होता है।
- बहुआयामी विषाक्तता की वजह से इस रोग का स्वरूप बहुघटकीय होने के कारण शोधकर्त्ताओं के लिये इसकी कारगर दवा विकसित करना काफी मुश्किल हो गया है।
बेर-डी (Ber-D):
- बेर-डी की संरचनात्मक विशेषताएँ ऐसी हैं कि वे प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों (Reactive Oxygen Species) के सृजन को रोकती हैं और ऑक्सीकरणीय क्षति (Oxidative Damage) से बड़े जैविक अणुओं (Biomacromolecules) को बचाती हैं।
- बेर-डी (Ber-D) धातु-निर्भर एवं धातु-स्वतंत्र अमाइलॉइड बीटा (Aβ) जो अल्ज़ाइमर रोग वाले लोगों के दिमाग में पाई जाने वाली अमाइलॉइड पट्टिका के मुख्य घटक के रूप में अल्ज़ाइमर रोग में महत्त्वपूर्ण रूप से शामिल एमिनो एसिड के पेप्टाइड हैं, के एकत्रीकरण को रोकता है।
- वैज्ञानिकों ने अल्ज़ाइमर रोग की बहुआयामी अमाइलॉइड बीटा (Aβ) विषाक्तता को प्रभावी रूप से लक्षित करने के लिये ही बेर-डी का विकास किया है।
- बर्बेरिन में 4 फेनोलिक हाइड्रॉक्सिल (Phenolic hydroxyl) समूह होते हैं जो मिथाइलयुक्त होते हैं इसलिए यह जल में अघुलनशील होते हैं।
- जल में घुलनशील पॉलीफेनोलिक व्युत्पन्न बेर-डी प्राप्त करने के लिये प्राकृतिक उत्पाद बर्बेरिन का विमेथिलीकरण (Demethylation) किया गया था।
- विमेथिलीकरण (Demethylation) एजेंट BBr3 या बोरॉन ट्राईब्रोमाइड (Boron Tribromide) से बर्बेरिन का विमेथिलीकरण करने से बेर-डी (Ber-D) प्राप्त हुआ। विस्तृत अध्ययनों से पता चला कि बेर-डी ने अल्ज़ाइमर रोग की अमाइलॉइड बीटा (Aβ) विषाक्तता को नियंत्रित किया।
एचसीएआरडी
HCARD
हाल ही में फ्रंटलाइन COVID-19 हेल्थकेयर वारियर्स की सहायता के लिये CSIR लैब द्वारा एक रोबोट ‘एचसीएआरडी’ (HCARD) विकसित किया गया है।
- ‘एचसीएआरडी’ (HCARD) का पूर्ण रूप ‘हॉस्पिटल केयर अस्सेस्टिव रोबोटिक डिवाइस’ (Hospital Care Assistive Robotic Device) है।
मुख्य बिंदु:
- यह डिवाइस/रोबोट COVID-19 संक्रमित लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखने में मुख्य स्वास्थ्य कर्मियों की मदद करेगा।
- इसका निर्माण ‘सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के दुर्गापुर स्थिति CSIR लैब ने किया है। यह उपकरण विभिन्न अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित है और नेवीगेशन के स्वचालित एवं मैनुअल दोनों तरीके से काम करता है।
- इस रोबोट को एक नियंत्रण स्टेशन द्वारा नियंत्रित एवं संचालित किया जा सकता है। इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल हैं-
- नेवीगेशन
- रोगियों को दवाइयाँ व भोजन उपलब्ध कराने के लिये मेज जैसी दराज सक्रियता प्रणाली (Drawer Activation System)
- नमूना संग्रह एवं ऑडियो-विज़ुअल कम्युनिकेशन
- इस रोबोट/डिवाइस की कीमत 5 लाख रुपये से कम है और इसका वजन 80 किलोग्राम से कम है।