प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 30 मार्च, 2019
फकीम वन्यजीव अभयारण्य
नगालैंड में फकीम वन्यजीव अभयारण्य के एक फॉरेस्ट गार्ड, अलेम्बा यमचुंगर (Alemba Yimchunger) को अभयारण्य और उसके आसपास के जंगलों तथा जंगली जानवरों के संरक्षण हेतु ‘अर्थ डे नेटवर्क स्टार’ (Earth Day Network Star) से सम्मानित किया गया है।
- यह सम्मान अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठन द्वारा दिया गया है जो दुनिया के 195 देशों के ग्रीन ग्रुप को एक साथ जोड़ता है।
- फकीम वन्यजीव अभयारण्य नगालैंड के कैफाइर ज़िले में स्थित है जो 642 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1983 में की गई थी और यह म्याँमार से लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य में कई वन्यजीव जैसे- तेंदुआ, बाघ, जंगली भैंस, हूलॉक गिबन्स और मिथुन पाए जाते हैं।
- नगालैंड का सबसे लोकप्रिय पक्षी हॉर्नबिल भी बहुतायत संख्या में इस अभयारण्य में पाया जाता है।
नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर
डिबेंचर दीर्घकालिक वित्तीय साधन होते हैं जिन्हें पैसा उधार लेने के लिये कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है।
- हालाँकि कुछ डिबेंचर में ऐसी सुविधा होती है जिससे उन्हें शेयर में परिवर्तित किया जा सकता है। किंतु ऐसे डिबेंचर जिन्हें शेयर में परिवर्तित नहीं किया जा सकता, नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर कहलाते हैं।
- नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर दो प्रकार के होते हैं-
♦ सिक्योर्ड
♦ अनसिक्योर्ड
- सिक्योर्ड नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर कंपनी की परिसंपत्ति द्वारा समर्थित होते हैं। यदि कंपनी अपने दायित्व का निर्वहन करने में विफल रहती है, तो डिबेंचर धारक या निवेशक उस कंपनी की परिसंपत्तियों के परिसमापन के माध्यम से अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके विपरीत अनसिक्योर्ड नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर में यह सुविधा उपस्थित नहीं होती है।
कॉफी की पाँच किस्मों को जीआई टैग
हाल ही में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ‘उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) ने भारतीय कॉफी की पाँच किस्मों को जीआई टैग प्रदान किया है।
जीआई टैग प्राप्त करने वाली पाँच किस्में इस प्रकार हैं-
- कूर्ग अराबिका कॉफी (Coorg Arabica coffee): यह मुख्यत: कर्नाटक के कोडागू ज़िले में उगाई जाती है।
- वायनाड रोबस्टा कॉफी (Wayanaad Robusta coffee): यह मुख्यत: वायनाड ज़िले में उगाई जाती है जो केरल के पूर्वी हिस्से में अवस्थित है।
- चिकमगलूर अराबिका कॉफी (Chikmagalur Arabica coffee): यह विशेष रूप से चिकमगलूर ज़िले में उगाई जाती है। यह क्षेत्र दक्कन के पठार में अवस्थित है जो कर्नाटक के मलनाड क्षेत्र से संबंधित है।
- अराकू वैली अराबिका कॉफी (Araku Valley Arabica coffee): इसे आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले और ओडिशा क्षेत्र की पहाडि़यों से प्राप्त कॉफी के रूप में वर्णित किया जाता है।
♦ जनजातियों द्वारा तैयार की जाने वाली अराकू कॉफी के लिये जैव विधि अपनाई जाती है जिसके तहत जैविक खाद एवं हरित खाद का व्यापक उपयोग किया जाता है और जैव कीटनाशक प्रबंधन से जुड़े तौर-तरीके अपनाए जाते हैं।
- बाबा बुदन गिरि अराबिका कॉफी (Bababudangiri Arabica coffee): यह भारत में कॉफी के उद्गम स्थल में उगाई जाती है और यह क्षेत्र चिकमंगलूर ज़िले के मध्य क्षेत्र में अवस्थित है।
♦ हाथ से तोड़कर प्राकृतिक किण्वन द्वारा संसाधित किया जाता है।
♦ इसमें चॉकलेट सहित विशिष्ट फ्लेवर होता है। कॉफी की यह किस्म सुहावने मौसम में तैयार होती है।
♦ यही कारण है कि इसमें विशेष स्वाद और खुशबू होती है।
इससे पहले भारत की एक अनोखी विशिष्ट कॉफी ‘मानसूनी मालाबार रोबस्टा कॉफी’ (Monsooned Malabar Robusta Coffee) को जीआई प्रमाणन दिया जा चुका है।
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