लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 29 May, 2021
  • 9 min read
विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 मई, 2021

एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस

प्रतिवर्ष 28 मई को ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल' (Amnesty International) लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 28 मई, 1961 को ‘पीटर बेन्सन’ नामक एक ब्रिटिश वकील द्वारा की गई थी। इस संगठन का प्राथमिक लक्ष्य मानवाधिकारों की रक्षा और उनकी वकालत करना है। पीटर बेन्सन ने एक जनांदोलन के रूप में इस संगठन की स्थापना मुख्य तौर पर दुनिया भर में उन कैदियों को रिहा कराने के उद्देश्य से की थी, जिन्हें अपनी राजनीतिक, धार्मिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष मान्यताओं की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिये जेल में कैद किया गया हो, भले ही उन्होंने न कभी हिंसा का इस्तेमाल किया और न ही इसकी वकालत की। विश्व भर में इस संस्था के तीस लाख से अधिक सदस्य और समर्थक हैं। संगठन का उद्देश्य मानवाधिकारों के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाना और प्रताड़ित लोगों को न्याय दिलाना है। यह संगठन ऐसी दुनिया के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संबंधी दस्तावेज़ों में निर्धारित अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम हो। साथ ही यह संगठन मानवाधिकारों के मुद्दे पर शोधकार्य भी करता है। संगठन को वर्ष 1977 में शांति के लिये नोबेल पुरस्कार और वर्ष 1978 में मानवाधिकारों के संरक्षण के लिये संयुक्त राष्ट्र का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। 

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस

प्रतिवर्ष 28 मई को विश्व भर में ‘विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस की शुरुआत जर्मनी स्थिति एक गैर-लाभकारी संगठन ‘वाॅॅश यूनाइटेड’ द्वारा वर्ष 2013 में की गई थी। ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ एक वैश्विक अभियान है, जो विश्व भर की महिलाओं और लड़कियों के लिये बेहतर मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिये गैर-लाभकारी संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र और मीडिया आदि को एक साथ- एक मंच पर लाता है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य मासिक धर्म स्वच्छता के संबंध में जागरूकता को बढ़ावा देना और मासिक धर्म से संबंधित नकारात्मक धारणाओं को समाप्त करना है। साथ ही यह दिवस वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तरों पर नीति निर्माताओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित नीतियों के निर्माण के लिये भी प्रेरित करता है। मासिक धर्म एक महिला के शरीर की सबसे महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक है, हालाँकि इस महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया के दौरान प्रायः महिलाओं द्वारा विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में मासिक स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जो कि फंगल या जीवाणु संक्रमण जैसी कई समस्याओं को जन्म दे सकता है। भारत में यूनिसेफ द्वारा किये गए एक अध्ययन के मुताबिक, मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में अपर्याप्त जागरूकता के कारण 23 प्रतिशत लड़कियाँ मासिक धर्म शुरू होने के बाद स्कूल छोड़ने के लिये मजबूर होती हैं। 

नामीबिया नरसंहार

जर्मनी ने पहली बार लगभग एक सदी पूर्व अपने औपनिवेशिक शासन के दौरान वर्तमान नामीबिया में हेरेरो और नामा लोगों के विरुद्ध नरसंहार में अपनी भूमिका को स्वीकार किया था और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्र को एक अरब यूरो से अधिक की वित्तीय सहायता का भी वादा किया है। वर्ष 1904 और वर्ष 1908 के बीच जब हेरो और नामा जनजातियों के लोगों द्वारा जर्मन औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विद्रोह किया गया तो औपनिवेशिक शासकों ने हज़ारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला था। उस समय इस क्षेत्र को ‘जर्मन दक्षिण पश्चिम अफ्रीका’ के रूप में जाना जाता था। वर्ष 1884 से वर्ष 1890 के बीच जर्मनी ने औपचारिक रूप से वर्तमान नामीबिया के कुछ हिस्सों का उपनिवेश बनाया , जो यूरोपीय राष्ट्र (जर्मनी) से लगभग दोगुना बड़ा था, लेकिन घनी आबादी वाला नहीं था। वर्ष 1903 तक लगभग 3,000 जर्मन लोगों ने इस क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था। जर्मन लोगों की संख्या बढ़ने के साथ तनाव भी बढ़ने लगा, क्योंकि वहाँ की स्थानीय जनजातियों ने जर्मन लोगों को अपनी भूमि और संसाधनों के लिये खतरे के रूप में देखा। इसके बाद वर्ष 1904 में हेरेरो और नामा जनजातियों ने जर्मनी के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष कर शुरू कर दिया। आगामी तीन वर्षों में, हज़ारों नामा और हेरेरो पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों को मार दिया गया और कई लोगों को कई कंसंट्रेशन कैंप में भेज दिया गया एवं उन्हें ज़बरन श्रम के लिये इस्तेमाल किया गया। जर्मनी ने वर्ष 1915 तक इस क्षेत्र पर शासन करना जारी रखा, जिसके बाद यह क्षेत्र दक्षिण अफ्रीका के नियंत्रण में आ गया और अंततः वर्ष 1990 में नामीबिया को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

माउंट एवरेस्ट दिवस

नेपाल द्वारा प्रतिवर्ष 29 मई को ‘माउंट एवरेस्ट दिवस’ के रूप में आयोजित किया जाता है। ध्यातव्य है कि 29 मई, 1953 को न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी (Edmund Hillary) और उनके तिब्बती गाइड तेनज़िंंग नोर्गे (Tenzing Norgay) द्वारा पहली बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की गई थी। इस पर्वत को तिब्बत में ‘चोमोलुंग्मा’ (Chomolungma) और नेपाल में ‘सागरमाथा’ (Sagarmatha) के नाम से जाना जाता है। माउंट एवरेस्ट दिवस नेपाल के पर्वतीय पर्यटन को बढ़ावा देने का भी एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। नेपाल और तिब्बत (चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र) के बीच स्थित तकरीबन 8,848 मीटर (29,035 फीट) ऊँचा माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वत शृंखला की एक चोटी है, जिसे पृथ्वी का सबसे ऊँचा बिंदु माना जाता है। इसकी वर्तमान आधिकारिक ऊँचाई 8,848 मीटर है, जो कि 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर' (PoK) में स्थित विश्व के दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत के-2 (K-2) से 200 मीटर अधिक है। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित के-2 पर्वत की आधिकारिक ऊँचाई 8,611 मीटर है। इस पर्वत का नाम भारत के पूर्व महासर्वेक्षक ‘जॉर्ज एवरेस्ट’ के नाम पर रखा गया था।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2