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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 28 Feb, 2022
  • 17 min read
प्रारंभिक परीक्षा

‘आप्रवासन वीज़ा विदेशी पंजीकरण ट्रैकिंग’ (IVFRT) योजना

हाल ही में सरकार ने 1,364.88 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ ‘आप्रवासन वीज़ा विदेशी पंजीकरण ट्रैकिंग’ (IVFRT) योजना को 31 मार्च, 2026 तक की अवधि के लिये जारी रखने की मंज़ूरी दी है।

IVFRT-Scheme

योजना के विषय में:

  • यह योजना आव्रजन, वीज़ा जारी करने, विदेशियों के पंजीकरण और देश में उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने से संबंधित कार्यों को आपस में जोड़ने और अनुकूलित करने का प्रयास करती है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य आप्रवास और वीज़ा सेवाओं का आधुनिकीकरण एवं उन्नयन करना है।
  • इसे राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (National e-Governance Plan- NeGP) के तहत गृह मंत्रालय द्वारा शुरू की जाने वाली मिशन मोड परियोजनाओं में से एक के रूप में पहचाना और शामिल किया गया है।
  • इस परियोजना का विस्तार वैश्विक स्तर तक है और यह विश्व भर में स्थित 192 भारतीय मिशनों, भारत में 108 आप्रवासन चेक पोस्ट, 12 विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी तथा कार्यालय एवं 700 से अधिक विदेशी पंजीकरण अधिकारी, पुलिस अधीक्षक/पुलिस उपायुक्तों की सहायता से आव्रजन, वीज़ा जारी करने, विदेशियों के पंजीकरण और भारत में उनके आवागमन पर नज़र रखने से संबंधित कार्यों को आपस में जोड़ने व अनुकूलित करने का प्रयास करता है।
  • IVFRT के प्रारंभ होने के बाद जारी किये गए वीज़ा और ओवरसीज़ सिटीज़न ऑफ इंडिया कार्ड की संख्या वर्ष 2014 के 44.43 लाख से बढ़कर 7.7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से वर्ष 2019 में 64.59 लाख हो गई।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

राष्ट्रीय वयोश्री योजना

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY) के तहत 895 वरिष्ठ नागरिक लाभार्थियों के बीच 4,800 दैनिक जीवन सहायता और सहायक उपकरण वितरित करेगा।

राष्ट्रीय वयोश्री योजना:

  • परिचय:
    • इसे वर्ष 2017 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
    • यह वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष से वित्तपोषित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इस फंड को वर्ष 2016 में अधिसूचित किया गया था।
      • छोटे बचत खातों, पीपीएफ और ईपीएफ से सभी दावा रहित राशियों को इस फंड में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • लक्ष्य:
    • इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी के उन वरिष्ठ नागरिकों को सहायता और सहायक उपकरण प्रदान करना है जो क्षीण दृष्टि, श्रवण दोष, दांँतों की क्षति और चलने में व्यवधान आदि उम्र से संबंधित अक्षमता/असमर्थता से पीड़ित हैं।
      • पात्र लाभार्थियों को सहायक उपकरण, जैसे- चलने के लिये प्रयोग की जाने वाली छड़ी, कोहनी की बैसाखी, वॉकर/बैसाखी, ट्राइपॉड/क्वाड पॉड, श्रवण यंत्र, व्हीलचेयर, कृत्रिम दांत और चश्मा प्रदान किये जाते हैं।
      • वर्ष 2011 की जनगणना के आंँकड़ों के अनुसार, भारत में वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या 10.38 करोड़ है। वरिष्ठ नागरिकों की 70% से अधिक आबादी देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है तथा एक बड़ा प्रतिशत (5.2%) वृद्धावस्था से संबंधित अक्षमता से ग्रसित है।
  • कार्यान्वयन:
    • यह योजना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO), एक सार्वजनिक उपक्रम (Public Sector Undertaking) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।

वृद्धजन से संबंधित अन्य योजनाएँ:

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

भारत के पास अधिक गेहूँ निर्यात करने का अवसर

रूस-यूक्रेन संघर्ष भारत को वैश्विक बाज़ारों में अधिक गेहूँ के निर्यात का अवसर दे सकता है।

प्रमुख बिंदु:

  • विश्व में एक-चौथाई से अधिक गेहूँ का निर्यात रूस तथा यूक्रेन द्वारा किया जाता है।
    • रूस गेहूँ का विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसका अंतर्राष्ट्रीय निर्यात में लगभग 18% से अधिक का योगदान है।
    • वर्ष 2019 में रूस तथा यूक्रेन द्वारा विश्व के एक-चौथाई (25.4%) से अधिक गेहूँ का निर्यात किया गया है।
  • सबसे अधिक डॉलर मूल्य के गेहूँ का निर्यात करने वाले शीर्ष पाँच देशों में रूस> संयुक्त राज्य अमेरिका> कनाडा> फ्राँस> यूक्रेन शामिल हैं।
  • मिस्र दुनिया में गेहूँ का सबसे बड़ा आयातक है।
  • तुर्की सबसे ज़्यादा गेहूँ की खरीद रूस और यूक्रेन से करता है, तुर्की द्वारा वर्ष 2019 में 74% आयात इन दोनों देशों से किया गया था।
  • विश्व के कुल गेहूँँ उत्पादन में लगभग 13.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत दूसरा बड़ा गेहूँँ उत्पादक देश है।
    • भारत द्वारा सालाना लगभग 107.59 मीट्रिक टन गेहूँँ का उत्पादन किया जाता है, जबकि इसके एक बड़े हिस्से का उपयोग घरेलू खपत में किया जाता है।
    • विश्व गेहूँँ निर्यात में भारत का योगदान 1% से भी कम है। हालांँकि वर्ष 2016 में इसका हिस्सा 0.14% था जो वर्ष 2020 में बढ़कर 0.54% हो गया है।
  • वर्तमान में भारत का केंद्रीय पूल (Central Pool) 24.2 मिलियन टन है, जो बफर और रणनीतिक ज़रूरतों से दोगुना अधिक है।

गेहूंँ से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • गेहूंँ के बारे में: 
    • यह चावल के बाद भारत में दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है।
    • यह देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भाग की मुख्य खाद्यान्न फसल है।
    • गेहूँ रबी की एक फसल है जिसे पकने के समय ठंडे मौसम और तेज़ धूप की आवश्यकता होती है।
    • हरित क्रांति की सफलता ने रबी फसलों विशेषकर गेहूँ के विकास में योगदान दिया।
    • कृषि हेतु मैक्रो मैनेजमेंट मोड, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना गेहूँ की खेती को समर्थन प्रदान करने के लिये कुछ सरकारी पहलें हैं।
  • तापमान: तेज़ धूप के साथ 10-15 डिग्री सेल्सियस (बुवाई के समय) और 21-26 डिग्री सेल्सियस (पकने व कटाई के समय) के बीच।
  • वर्षा: लगभग 75-100 सेमी.।
  • मृदा का प्रकार: अच्छी तरह से सूखी उपजाऊ दोमट और चिकनी दोमट (गंगा-सतलुज मैदान तथा दक्कन का काली मिट्टी क्षेत्र)।
  • शीर्ष गेहूँ उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश> पंजाब> हरियाणा> मध्य प्रदेश>> राजस्थान> बिहार> गुजरात

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 फरवरी, 2022

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2022

सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा रमन इफेक्ट ’की खोज करने की स्मृति में हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day-NSD) के रूप में मनाया जाता है। चंद्रशेखर वेंकट रमन ने 28 फरवरी, 1928 को रमन इफेक्ट की खोज की, उनके इस कार्य के लिये वर्ष 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वर्ष 1987 में मनाया गया था। इसका मूल उद्देश्य लोगों में विज्ञान के महत्त्व और उसके अनुप्रयोग के संबंध में संदेश का प्रचार करना है। वर्ष 2021 के लिये राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम ‘इंटीग्रेटेड एप्रोच इन एसएंडटी फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर’ है। इसका आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (National Council for Science & Technology Communication-NCSTC) द्वारा किया जाता है। रमन प्रभाव के अनुसार, प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से निकलता है। यह माध्यम ठोस, द्रव और गैस कुछ भी हो सकता है। 

प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जयंती

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जयंती पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मोरारजी देसाई भारत के चौथे प्रधानमंत्री (1977-79) थे। उल्लेखनीय है कि वह प्रधानमंत्री बनने वाले पहले गैर-कॉन्ग्रेसी थे। मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी, 1896 को भदेली गाँव में हुआ था जो वर्तमान में गुजरात के बुलसार ज़िले में है। वर्ष 1918 में विल्सन सिविल सर्विस, बॉम्बे से स्नातक करने के बाद उन्होंने 12 वर्षों तक डिप्टी कलेक्टर के रूप में कार्य किया। वर्ष 1930 में जब भारत महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गए सविनय अवज्ञा आंदोलन के मध्य चरण में था, उस समय ब्रिटिश सरकार की न्याय व्यवस्था के प्रति मोरारजी देसाई का विश्वास खत्म हो गया और उन्होंने सरकारी सेवा से इस्तीफा देने तथा स्वतंत्रता के लिये जारी संघर्ष में शामिल होने का फैसला किया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वह तीन बार जेल गए। वर्ष 1931 में वह अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस समिति के सदस्य बने तथा वर्ष 1937 तक गुजरात प्रदेश कॉन्ग्रेस समिति के सचिव रहे। महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गए व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तथा अक्तूबर 1941 में छोड़ दिया गया एवं अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। वर्ष 1952 में वह बॉम्बे के मुख्यमंत्री बने। नवंबर 1956 में वह वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए, इसके बाद मार्च 1958 में उन्हें वित्त विभाग का कार्यभार सौंपा गया। वर्ष 1963 में कामराज योजना/प्लान के तहत उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। पंडित नेहरू के बाद प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें प्रशासनिक व्यवस्था के पुनर्गठन के लिये गठित प्रशासनिक सुधार आयोग का अध्यक्ष बनने के लिये राजी किया। कामराज प्लान के अनुसार, यह प्रस्ताव किया गया कि कॉन्ग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिये और अपनी सारी ऊर्जा कॉन्ग्रेस के पुनरुद्धार हेतु समर्पित कर देनी चाहिये। आपातकाल की घोषणा के दौरान 26 जून, 1975 को मोरारजी देसाई को गिरफ्तार कर लिया गया। गुजरात के नवनिर्माण आंदोलन के समर्थन के लिये उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। नवनिर्माण अंदोलन आर्थिक संकट और सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन था जिसे वर्ष 1974 में गुजरात के छात्रों व मध्यम वर्ग के लोगों द्वारा शुरू किया गया। बाद में सर्वसम्मति से उन्हें संसद में जनता पार्टी के नेता के रूप में चुना गया और 24 मार्च, 1977 को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

ऑपरेशन गंगा

युद्धग्रस्‍त यूक्रेन से भारतीयों की वापसी के लिये भारत सरकार ने 'ऑपरेशन गंगा' लॉन्‍च किया है। यूक्रेन के हवाई क्षेत्र को बंद कर दिये जाने के बाद वहाँ फँसे भारतीयों को निकालने के लिये विमान सेवाएँ रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट और बुडापेस्ट से चलाई जा रही हैं। इस मिशन के तहत उड़ानें इस्तांबुल तक जाएंगी और उसके बाद हंगरी के बुडापेस्ट पहुँचेंगी। वापसी में ये विमान इस्तांबुल से होते हुए दिल्ली आएंगे। अभी तक भारत सरकार ने अपने करीब 2,000 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला है और वहाँ फँसे अन्य नागरिकों को पड़ोसी देशों की सीमाओं पर स्थित विभिन्न ट्रांज़िट प्वाइंट के माध्यम से बाहर निकालने का प्रयास कर रही है। विदेश मंत्रालय द्वारा यूक्रेन से भारतीयों को निकालने में सहायता के लिये एक समर्पित ट्विटर हैंडल बनाया गया है।

मीराबाई चानू

हाल ही में मीराबाई चानू ने सिंगापुर भारोत्तोलन अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता है। इसके साथ ही मीराबाई चानू ने इस वर्ष बर्मिंघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिये क्वालीफाई कर लिया है। सिंगापुर भारोत्तोलन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में पहली बार 55 किग्रा भार वर्ग में भाग ले रहीं चानू ने कुल 191 किग्रा (86 किग्रा और 105 किग्रा) भार उठाया। इस दौरान उन्हें किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा और वह आसानी से शीर्ष स्थान पर रहीं। कर्णम मल्लेश्वरी के बाद टोक्यो 2020 में मीराबाई का रजत पदक किसी भारतीय वेटलिफ्टर द्वारा जीता गया दूसरा ओलंपिक पदक था। वह पीवी सिंधु के बाद ओलंपिक रजत पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला भी बनीं। उनका जन्म इम्फाल के नोंगपोक काकचिंग गाँव में 8 अगस्त, 1994 को हुआ था।


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