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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 Jul, 2022
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

स्वदेश दर्शन योजना

प्रिलिम्स के लिये:

स्वदेश दर्शन योजना, PRASAD, आत्मनिर्भर भारत

मेन्स के लिये:

आत्मनिर्भर भारत, पर्यटन क्षेत्र।

हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने अपनी स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 (SD2.0) के रूप में संशोधित किया है, जिसका उद्देश्य गंतव्यों पर स्थायी और ज़िम्मेदार बुनियादी ढाँचा विकसित करना है।

स्वदेश दर्शन योजना:

  • परिचय:
    • इसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था। इस योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है- बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, डेज़र्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, हिमालयन सर्किट, कृष्णा सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट, रामायण सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन्यजीव सर्किट।
    • यह केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित है और केंद्र एवं राज्य सरकारों की अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण हेतु तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) पहल के लिये उपलब्ध स्वैच्छिक वित्तपोषण का लाभ उठाने के प्रयास किये जाते हैं।
  • महत्त्व:
    • स्वदेश दर्शन और PRASAD (तीर्थयात्रा कायाकल्प एवं आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन अभियान) योजनाओं के तहत पर्यटन मंत्रालय पर्यटन के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • इस योजना के तहत परियोजनाओं निधियों की उपलब्धता, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने, योजना दिशा-निर्देशों का पालन करने और पूर्व में जारी धन के उपयोग के अधीन स्वीकृत किया जाता है।
  • उद्देश्य:
    • पर्यटन को आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करना।
    • नियोजित और प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन क्षमता वाले सर्किट विकसित करना।
    • पहचान किये गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिये देश के सांस्कृतिक और विरासत मूल्य को बढ़ावा देना।
    • सर्किट/गंतव्यों में विश्व स्तरीय स्थायी बुनियादी ढाँचे को विकसित करके पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाना।
    • समुदाय आधारित विकास और गरीब समर्थक पर्यटन दृष्टिकोण का पालन करना।
    • आय के बढ़ते स्रोतों, बेहतर जीवन स्तर और क्षेत्र के समग्र विकास के संदर्भ में स्थानीय समुदायों में पर्यटन के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाना।
    • उपलब्ध बुनियादी ढाँचे, राष्ट्रीय संस्कृति और देश भर में प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट स्थलों के संदर्भ में विषय-आधारित सर्किटों के विकास की संभावनाओं एवं लाभों का पूरा उपयोग करना।
    • आगंतुक अनुभव/संतुष्टि को बढ़ाने के लिये पर्यटक सुविधा सेवाओं का विकास करना।

स्वदेश दर्शन योजना 2.0:

  • 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र के साथ स्वदेश दर्शन 2.0 नामक नई योजना का उद्देश्य पर्यटन गंतव्य के रूप में भारत की पूरी क्षमता को साकार कर "आत्मनिर्भर भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
  • स्वदेश दर्शन 2.0 एक वृद्धिशील परिवर्तन नहीं है, बल्कि स्थायी और ज़िम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिये स्वदेश दर्शन योजना को एक समग्र मिशन के रूप में विकसित करने हेतु पीढ़ीगत बदलाव है।
  • यह पर्यटन स्थलों के सामान्य और विषय-विशिष्ट विकास के लिये बेंचमार्क एवं मानकों के विकास को प्रोत्साहित करेगी ताकि राज्य परियोजनाओं की योजना तैयार करने एवं विकास करते समय बेंचमार्क तथा मानकों का पालन किया जा सके।
  • योजना के तहत पर्यटन क्षेत्र के लिये निम्नलिखित प्रमुख विषयों की पहचान की गई है।
    • संस्कृति और विरासत
    • साहसिक पर्यटन
    • पारिस्थितिकी पर्यटन
    • कल्याण पर्यटन
    • एमआईसीई पर्यटन
    • ग्रामीण पर्यटन
    • तटीय पर्यटन
    • परिभ्रमण- महासागर और अंतर्देशीय।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

लाइट-मेंटल्ड अल्बाट्रॉस

हाल ही में अंटार्कटिक महासागर की स्थानिक प्रजाति अल्बाट्रॉस को तमिलनाडु में देखा गया।

खोज:

  • वह स्थान जहाँ अल्बाट्रॉस को देखा गया था, वह पाक खाड़ी का हिस्सा है और मन्नार की खाड़ी के पास भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर एक 'महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र' है।
  • रामेश्वरम द्वीप के पाक खाड़ी की ओर से दर्ज यह रिकॉर्ड महत्त्वपूर्ण है, और एक बार जब ये अंटार्कटिक पक्षी एशिया में चले जाते हैं तो शोधकर्त्ताओं नई चुनौतियाँ का सामना करते हैं।
  • यह खोज शोधकर्त्ताओं को प्रसिद्ध और स्थापित मार्गों एवं स्थलों से दूर पक्षियों के प्रवास की तलाश करने हेतु प्रोत्साहित करती है।
  • चूँकि पक्षी की दर्ज की गई निकटतम साइट रामेश्वरम से लगभग 5,000 किमी दूर है, इसलिये वायुमंडलीय दबाव में बदलाव अल्बाट्रॉस के भारतीय तट पर उतरने के कारणों में से एक हो सकता है।

लाइट-मेंटल्ड अल्बाट्रॉस:

  • वैज्ञानिक नाम: फोबेट्रिया पल्पब्रेट
  • परिचय:
    • इसके अलावा इसे ग्रे- मेंटल्ड अल्बाट्रॉस या लाइट-मेंटल्ड सूटी अल्बाट्रॉस के रूप में जाना जाता है।
    • लाइट- मेंटल्ड अल्बाट्रॉस अपना अधिकांश जीवन उड़ने में बिताते हैं। एक किशोर अल्बाट्रॉस प्रजनन से पूर्व समुद्र में कई वर्ष बिता सकता है।
    • व्यापक रूप में समुद्री क्षेत्र में जीवन बिताने के साथ लाइट- मेंटल्ड अल्बाट्रॉस, दक्षिणी महासागर में एक परिध्रुवीय वितरण को बनाए रखता है।

Light-Mantled

  • बनावट:
    • सिर के चारों ओर गहरा रंग और पीठ एवं पंखों के सिरे पर हल्के राख (Ash) का रंग की संरचना।
    • आँख के ठीक ऊपर सफेद पट्टी की उपस्थिति।
  • जनसंख्या:
    • वर्ष 1998 के एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में इनकी 21,600 प्रजनन जोड़ियाँ मौजूद थीं।
  • संरक्षण:

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

एमआईएसटी पनडुब्बी केबल प्रणाली

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) की मंज़ूरी के लिये MIST (म्याँमार/मलेशिया-भारत-सिंगापुर ट्राँज़िट) पनडुब्बी केबल प्रणाली की सिफारिश की।

  • यह मुंबई में स्थापित होने वाला 17वाँ ऐसा ऑप्टिकल फाइबर केबल सिस्टम होगा जिसके वर्ष 2023 में सेवा हेतु उपलब्ध होने की उम्मीद है।

MIST

 म्याँमार/मलेशिया-भारत-सिंगापुर ट्राँज़िट (MIST):

  • MIST अंतर्राष्ट्रीय पनडुब्बी केबल संचार नेटवर्क है, जो भारत को म्याँमार, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जैसे अन्य एशियाई देशों के साथ जोड़ने के लिये समुद्र के नीचे स्थापित किया जाता है।
  • यह चेन्नई से होते हुए मुंबई से सिंगापुर को जोड़ने वाली समुद्र के नीचे 8,100 किमी. लंबा ट्रांसनेशनल फाइबर ऑप्टिक केबल सिस्टम है।
  • यह केबल प्रणाली मुंबई में वर्सोवा बीच पर समाप्त हो जाएगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री केबल प्रणाली के तहत कुल लंबाई में से 523.50 किलोमीटर तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र में लगभग 12 समुद्री मील और महाराष्ट्र की CRZ सीमा में 202.06 किलोमीटर केबल बिछाई जाएगी।

परियोजना का महत्त्व:

  • MIST केबल सिस्टम एशिया में सुरक्षित, विश्वसनीय, मज़बूत और सस्ती दूरसंचार सुविधाएँ प्रदान करेगा।
  • यह भारत और अन्य एशियाई देशों जैसे- म्याँमार, थाईलैंड, मलेशिया एवं सिंगापुर के बीच दूरसंचार संपर्क को बढ़ावा देगा।
  • यह वैश्विक संचार के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण परियोजना है और इसका मुंबई के तटीय पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा।
  • चेन्नई तट पर अंतर्राष्ट्रीय केबल लैंडिंग की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए इससे विभिन्न हितधारकों के परस्पर संघर्ष में भी कमी आएगी।

आगामी परियोजनाएँ :

  • रिलायंस जियो इंफोकॉम इंडिया-एशिया एक्सप्रेस (IAX), भारत को मालदीव, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड से जोड़ती है।
  • भारत-यूरोप एक्सप्रेस (IEX) सऊदी अरब और ग्रीस के माध्यम से भारत को इटली से जोड़ती है।
  • दूरसंचार प्रदाताओं के संघ के स्वामित्व वाली SeaMeWe-6 परियोजना भारत, बांग्लादेश, मालदीव के माध्यम से सिंगापुर को फ्राँस से जोड़ेगी।
  • अफ्रीका-2 केबल कई अफ्रीकी देशों द्वारा भारत को यूनाइटेड किंगडम से जोड़ेगी।

पनडुब्बी संचार केबल:

  • यह महासागर और सागर के हिस्सों में दूरसंचार संकेतों को प्रसारित करने के लिये भूमि आधारित स्टेशनों के बीच समुद्र तल पर बिछाई गई केबल है।
  • आधुनिक पनडुब्बी केबल फाइबर-ऑप्टिक तकनीक का उपयोग करती है।
  • ऑप्टिकल फाइबर तत्त्व आमतौर पर जहाँ केबल बिछाई जानी है वहाँ पर प्लास्टिक की परतों के साथ लेपित होते हैं और पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त सुरक्षात्मक ट्यूब में निहित होते हैं।
  • उपग्रहों की तुलना में पनडुब्बी केबल्स के माध्यम से इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग करना अधिक विश्वसनीय, लागत प्रभावी और अधिक क्षमता वाला है।

ऑप्टिकल फाइबर:

  • ऑप्टिकल फाइबर डिजिटल अवसंरचना की रीढ़ है; डेटा पतले फाइबर के लंबे स्ट्रैंड के माध्यम से यात्रा करने वाले प्रकाश-स्पंदों (Light Pulses) द्वारा प्रेषित होता है।
  • फाइबर कम्युनिकेशन में संचरण के लिये धातु के तारों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसमें सिग्नल कम हानि के साथ यात्रा करते हैं।
    • ऑप्टिकल फाइबर पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection- TIR) के सिद्धांत पर कार्य करता है।
  • प्रकाश की किरणों का उपयोग बड़ी मात्रा में डेटा संचारित करने के लिये किया जा सकता है (बिना मोड़ के लंबे सीधे तार के मामले में)।
    • यदि तार में मोड़ हो तो ऑप्टिकल केबलों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि वे सभी प्रकाश किरणों को अंदर की ओर मोड़ते हों (TIR का उपयोग कर)।

Optical-Fiber

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

हैज़ा

शोधकर्त्ताओं ने हैजा पैदा करने वाले बैक्टीरिया में रोगाणुरोधी प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट की पहचान की है।

निष्कर्ष:

  • हैजा जीवाणु के दो सौ से अधिक सेरोग्रुप ज्ञात हैं, जिनमें से केवल O1 और O139 जीनोम ही संक्रमण फैलाते हैं तथा महामारी का कारण बनते हैं।
    • शोधकर्त्ताओं ने O139 के जीनोम का अध्ययन किया और O1 के जीनोम से होने वाली मौतों  के कारणों का पता लगाया।
  • O139 में दो प्रमुख जीनोमिक विकासवादी परिवर्तन हुए, पहला हैजा विष के एक प्रकार से संबंधित है और दूसरा रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से होने वाली हानि से संबंधित है।
  • हैजा के विष जीन और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) पोर्टफोलियो में दो मुख्य संशोधन थे।
  • O139 की AMR क्षमता में कमी के साथ इसने संभावित रूप से O1 के मुकाबले अपना प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ खो दिया।

हैजा:

  • परिचय:
    • यह एक जानलेवा संक्रामक रोग है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा है।
    • हैजा एक तीव्र, अतिसार की बीमारी है जो विब्रियो कोलेरी जीवाणु से आँत के संक्रमण के कारण होती है।
    • संक्रमण अक्सर हल्का या लक्षणों के बिना होता है, लेकिन कभी-कभी गंभीर हो सकता है।
  • लक्षण:
    • डायरिया
    • उल्टी
    • पैर में ऐंठन
  • संक्रमण:
    • दूषित जल पीने या दूषित भोजन खाने से व्यक्ति को हैजा हो सकता है।
    • सीवेज और पीने के पानी के अपर्याप्त उपचार वाले क्षेत्रों में रोग तेज़ी से फैल सकता है।
  • वैक्सीन:
    • वर्तमान में तीन- डुकोरल, शंचोल और यूविचोल-प्लस हैजा के टीके (OCV) हैं।
    • सभी तीन टीकों को पूर्ण सुरक्षा के लिये दो खुराक की आवश्यकता होती है।

सिफारिशें:

  • निरंतर निगरानी आवश्यक है क्योंकि यह देखना आवश्यक है कि क्या कोई सीरोटाइप और सेरोग्रुप समय के साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोध प्राप्त कर रहे हैं या नहीं।
  • सर्वोत्तम सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करने के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि टीकों और उपचारों का नियमित रूप से पुनर्मूल्यांकन किया जाए ताकि किसी भी नए विकसित होने वाले वैरिएंट्स की दक्षता का पता लगाया जा सके।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जुलाई, 2022

36वाँ राष्ट्रीय खेल

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने 36वें राष्ट्रीय खेल 2022 को संयुक्त रूप से आयोजित करने के लिये 22 जुलाई को गुजरात ओलंपिक संघ (GOA) और गुजरात राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये। 36वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन 27 सितंबर से 10 अक्तूबर, 2022 तक गुजरात में किया जाएगा, जिसमें सभी 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश शामिल होंगे। इसमें कुल 36 खेल शामिल हैं जो राष्ट्रीय खेलों के इतिहास में सर्वाधिक हैं। इन खेलों के लिये ध्येय वाक्य (टैगलाइन) 'सेलिब्रेटिंग यूनिटी थ्रू स्पोर्ट्स’ है। इस साल योगासन और मल्लखंभ को खेलों की सूची में जोड़ा गया है। इस प्रकार यह भारत में स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देगा। उद्घाटन समारोह नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा। राष्ट्रीय खेल 2022 गुजरात के 6 शहरों गांधीनगर, सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा और भावनगर में आयोजित किये जाएंगे। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अवसर पर 36वें राष्ट्रीय खेल 2022 के लिये एक लोगो भी लॉन्च किया गया। लोगो में गुजरात के दो स्थायी और गौरवपूर्ण प्रतीकों- सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और गिर एशियाई शेर को दर्शााया गया है राष्ट्रीय खेलों का अंतिम संस्करण वर्ष 2015 में केरल में आयोजित किया गया था। राष्ट्रीय खेलों का 2022 संस्करण सात वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया जाएगा।

डॉ.  सुशोभन बंद्योपाध्याय

गरीबों के मसीहा और एक रुपए वाले डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री डॉ. सुशोभन बंद्योपाध्याय का 26 जुलाई, 2022 को कोलकाता में निधन हो गया। डॉ. बंद्योपाध्याय पिछले कुछ महीनों से किडनी की बीमारी से ज़ूझ रहे थे। वे 84 वर्ष के थे। डॉ. सुशोभन पिछले 57 वर्षों से पश्चिम बंगाल के बोलपुर में एक रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज कर रहे थे। वर्ष 2020 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. सबसे अधिक रोगियों का इलाज करने के लिये इसी वर्ष उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था। वे बोलपुर से पूर्व विधायक भी रह चुके हैं।

झारखंड पर्यटन नीति 

हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य में पर्यटन क्षेत्र को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से ‘झारखंड पर्यटन नीति’ का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य झारखंड में पर्यटन क्षेत्र को नवीनीकृत कर बढ़ावा देना है। इस  नीति के अंतर्गत नागरिक सुविधाएँ प्रदान करने और पारसनाथ, देवघर, इटखोरी तथा मधुबन सहित कई स्थानों के सौंदर्यीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अलावा नीति के तहत झारखंड में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से धार्मिक पर्यटक इकाई स्थापित की जाएगी। साथ ही खाद्य उत्सव एवं अंतर-राज्यीय संस्कृति विनिमय कार्यक्रम और सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, इस कार्यक्रम में जीवंत व विविध संस्कृतियों का प्रदर्शन, वार्षिक साहसिक खेलों का आयोजन तथा खेलकूद प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी। 


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