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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 May, 2021
  • 12 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 27 मई, 2021

WHO ‘बायो हब’ इनीशिएटिव

WHO BioHub Initiative

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्विट्ज़रलैंड ने एक ‘बायो हब’ इनीशिएटिव शुरू किया है जो पैथोजंस को प्रयोगशालाओं के बीच साझा करने और उनके विरुद्ध "विश्लेषण और तैयारी" की सुविधा प्रदान करेगा।

प्रमुख बिंदु:

‘बायो हब’ सुविधा:

  • यह सुविधा अन्य प्रयोगशालाओं में वितरण के लिये जैविक सामग्री के सुरक्षित अनुक्रमण, भंडारण और तैयारी में मदद करेगी ताकि इनके खिलाफ पैथोजंस के लिये वैश्विक तैयारी को सुविधाजनक बनाया जा सके।
  • यह सदस्य राज्यों को पूर्व-सहमत शर्तों के तहत जैव सुरक्षा और अन्य लागू नियमों सहित बायो हब तथा उसके माध्यम से जैविक सामग्री साझा करने में सक्षम बनाएगा।
  • इसके समानांतर WHO देशों को उचित आवंटन के लिये चिकित्सा उप-उत्पादों के विकास हेतु योग्य संस्थाओं, जैसे निर्माताओं द्वारा जैविक सामग्री के उपयोग के लिये अपने बायो हब सिस्टम को व्यापक बनाएगा।

महत्त्व:

  • कोविड -19 महामारी और अन्य प्रकोपों तथा महामारियों ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को जोखिम का आकलन करने और निदान करने तथा चिकित्सीय टीके आदि विकसित करने में मदद के लिये पैथोजंस को तेज़ी से साझा करने के महत्त्व को रेखांकित किया है।
    • पैथोजंस संबंधी जानकारी को देशों के बीच द्विपक्षीय रूप से साझा किया गया है।
  • यह महामारी विज्ञान और नैदानिक ​​डेटा के साथ-साथ जैविक सामग्री का समय पर साझाकरण सुनिश्चित करेगा।
  • यह कदम नोवल कोरोनावायरस SARS-CoV-2 और अन्य उभरते पैथोजंस के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय विनिमय प्रणाली की स्थापना में योगदान करने में मदद करेगा।

पैथोजंस:

परिभाषा:

  • पैथोजन एक जैविक एजेंट होता है जो बीमारी का कारण बनता है। ज़ूनोटिक पैथोजन जानवरों और मनुष्यों के बीच स्वाभाविक रूप से संचरित पैथोजन को संदर्भित करता है।

पैथोजंस के प्रकार:

  • वायरस:
    • वायरस आनुवंशिक कोड के एक टुकड़े से बने होते हैं, जैसे- डीएनए या आरएनए और प्रोटीन के एक लेप द्वारा संरक्षित होते हैं। वायरस शरीर के भीतर मेज़बान कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं। फिर वे मेज़बान कोशिकाओं के घटकों का उपयोग पुनर्निर्माण और अधिक वायरस पैदा करने में करते हैं।
    • वायरस के कारण होने वाली बीमारियाँ: चिकनपॉक्स, फ्लू (इन्फ्लूएंज़ा), कोविड-19, ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIVवी/एड्स), कंठमाला, खसरा और रूबेला।
  • बैक्टीरिया:
    • बैक्टीरिया एक कोशिका से बने सूक्ष्मजीव हैं। ये बहुत विविध हैं, इनके विभिन्न प्रकार के आकार और विशेषताएँ हैं तथा शरीर के अंदर और बाहर लगभग किसी भी वातावरण में रहने की क्षमता रखते हैं।
    • बैक्टीरिया से होने वाले रोगों के उदाहरण: हैजा, कुष्ठ रोग, क्षय रोग, प्लेग, सिफलिस, एंथ्रेक्स आदि।
  • कवक:
    • कवक पर्यावरण में लगभग हर जगह पाया जाता है, जो कि घर के अंदर, बाहर और मानव त्वचा पर भी हो सकता है। अधिक होने पर ये संक्रमण का कारण बनते हैं।
    • फंगल संक्रमण के उदाहरण: म्यूकोर्मिकोसिस, सफेद कवक, पीला कवक।
  • परजीवी:
    • परजीवी ऐसे जीव हैं जो छोटे जानवरों की तरह व्यवहार करते हैं, ये एक मेज़बान में या उस पर आश्रित रहते हैं। परजीवी संक्रमण उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक आम है, हालाँकि वे कहीं भी हो सकते हैं।
    • परजीवी के कारण होने वाले रोग: मलेरिया, अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस, बेबियोसिस, लीशमैनियासिस और टोक्सोप्लाज्मोसिस आदि।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध:

  • यह किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा रोगाणुरोधी दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेल्मिंटिक्स) के विरुद्ध प्राप्त प्रतिरोध है जिन्हें संक्रमण के इलाज के लिये उपयोग किया जाता है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 मई, 2021

अंतर्राष्‍ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण

अंतर्राष्‍ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) ने ‘निवेश कोष’ के संबंध में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। ‘कोटक महिंद्रा परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी लिमिटेड’ के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह की अध्यक्षता में गठित यह समिति अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में निवेश संबंधी वित्तीय योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने की सिफारिश करेगी। इस समिति में प्रौद्योगिकी, वितरण, कानूनी, अनुपालन और संचालन जैसे क्षेत्रों सहित समग्र फंड प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं।। यह समिति वैश्विक वित्तीय गतिविधियों की समग्र समीक्षा और उद्योगों की कार्ययोजना के बारे में सिफारिशें करने के लिये गठित की गई है। IFSCA की स्थापना अप्रैल 2020 में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 के तहत की गई थी। IFSC घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों को आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराता है। इसका मुख्यालय गांधीनगर (गुजरात) की ‘गिफ्ट सिटी’ में स्थित है।  यह भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास तथा विनियमन के लिये एक एकीकृत प्राधिकरण है। इसकी स्थापना IFSC में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा देने और एक विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान करने के लिये की गई है।

नासा का नया ‘अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी सिस्टम’

नासा जलवायु परिवर्तन, आपदा शमन, वनाग्नि का मुकाबला करने और वास्तविक समय की कृषि प्रक्रियाओं में सुधार से संबंधित प्रयासों का मार्गदर्शन करने हेतु महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिये पृथ्वी-केंद्रित मिशनों को शुरू करेगा। इस नए ‘अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी सिस्टम’ के तहत प्रत्येक उपग्रह को दूसरे उपग्रह के पूरक के रूप में विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किया जाएगा, जो पृथ्वी की सतह से लेकर वायुमंडल तक का एक 3D एवं समग्र दृश्य प्रदान करने में सक्षम होगा। यह नई ऑब्ज़र्वेटरी ‘नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़, इंजीनियरिंग और मेडिसिन’ (NASEM) द्वारा वर्ष 2017 में की गई सिफारिशों के आधार पर गठित की गई है, जिसके तहत महत्त्वाकांक्षी किंतु गंभीर रूप से आवश्यक अनुसंधान एवं अवलोकन पर ज़ोर दिया गया था। इस ऑब्ज़र्वेटरी का प्राथमिक लक्ष्य इस तथ्य का अध्ययन करना है कि एरोसोल वैश्विक ऊर्जा संतुलन को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है, जो कि जलवायु परिवर्तन संबंधी भविष्यवाणी में अनिश्चितता का एक प्रमुख स्रोत है। यह ऑब्ज़र्वेटरी सूखे का आकलन एवं पूर्वानुमान, कृषि हेतु पानी के उपयोग संबंधी योजना निर्माण के लिये आवश्यक तथ्य प्रदान करने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा प्रतिक्रिया का भी समर्थन करेगी। 

अफ्रीकी वायलेट

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), भोपाल के वैज्ञानिकों ने मिज़ोरम में अफ्रीकी वायलेट के एक नए प्रकार की खोज की है। ‘डिडिमोकार्पस विकिफंकिया’ नामक यह नई प्रजाति  वर्तमान में म्याँमार के साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों की सीमा के पास केवल तीन स्थानों में ही मौजूद है और इसे एक लुप्तप्राय प्रजाति माना जाता है। यह एक एपिफाइट है यानी एक ऐसा पौधा जो पेड़ों पर उगता है और इसमें मानसून के दौरान हल्के गुलाबी रंग के फूल आते हैं। इस प्रजाति का नाम विख्यात वनस्पतिशास्त्री ‘विकी एन फंक’ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अमेरिका  में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट में काम किया था। आमतौर पर ‘अफ्रीकी वायलेट’ के रूप में प्रसिद्ध प्रजाति ‘डिडिमोकार्पस’ मूल रूप से तंजानिया और केन्या से है और यह बागवानी के क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है, जिसे प्रायः यूरोपीय देशों में घरेलू पौधे के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस खोज ने पूर्वोत्तर की पुष्प विविधता के महत्त्व और उसे संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

विश्व थायराइड दिवस

थायराइड के संबंध में जागरूकता बढ़ाने और इसके उपचार हेतु लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 मई को विश्व थायराइड दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व थायराइड दिवस की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई थी। इस दिवस की स्थापना मुख्य रूप से थायराइड के नए उपचारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा तथा रोकथाम कार्यक्रमों की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये विश्व स्तर पर अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन (ATA) और यूरोपीय थायराइड एसोसिएशन (ETA) के नेतृत्त्व में चल रहे अभियान के एक हिस्से के रूप में की गई थी। थायराइड ग्रंथि, गर्दन के सामने वाले हिस्से में पाई जाती है। आँकड़ों के अनुसार, प्रत्येक 10वाँ वयस्क हाइपोथायराॅॅयडिज़्म (Typothyroidism) रोग से ग्रसित है, इस रोग में थायराइड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन्स का उत्पादन नहीं कर पाती है।


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