प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 27 फरवरी, 2020
उल्सूर झील
Ulsoor Lake
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) की दक्षिणी पीठ ने बंगलूरू की उल्सूर झील (Ulsoor Lake) और आसपास क्षेत्रों से पानी के नमूने इकट्ठा करने एवं उसकी जाँच करने के लिये एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है।
समिति की संरचना:
- इस समिति में बंगलूरू शहर के डिप्टी कमिश्नर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय एवं कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, ब्रुहट (Bruhat) बंगलूरू महानगर पालिका के कमिश्नर इत्यादि लोग शामिल होंगे।
समिति के कार्य:
- इस समिति को उल्सूर झील एवं इसके आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण करने, प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने एवं प्रदूषण के लिये ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही समिति को उपचारात्मक उपायों का सुझाव देने के लिये भी कहा गया है।
- उल्सूर झील के जल में न केवल बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biochemical Oxygen Demand- BOD) एवं केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (Chemical Oxygen Demand-COD) की जाँच की जाएगी अपितु आर्सेनिक एवं फॉस्फोरस जैसे मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले तत्वों की भी जाँच की जाएगी।
उल्सूर झील (Ulsoor Lake) के बारे में
अवस्थित:
- यह बंगलूरू (कर्नाटक) की बड़ी झीलों में से एक है तथा यह झील बंगलूरू शहर के पूर्वी हिस्से में अवस्थित है।
क्षेत्रफल:
- यह झील 50 हेक्टेयर (123.6 एकड़) क्षेत्र में फैली हुई है तथा इसमें कई द्वीप भी हैं।
अन्य नाम:
- इस झील को हलासुरु झील (Halasuru Lake) भी कहा जाता है। ध्यातव्य है कि इसका यह नाम बंगलूरू के हलासुरु क्षेत्र में इसकी अवस्थिति के कारण पड़ा है।
- इस झील को केंपे गौड़ा (Kempe Gowda) के बनवाया था। केंपे गौड़ा विजयनगर साम्राज्य (1336-1646 ईस्वी) के एक सामंत थे। ध्यातव्य है कि भारतीय राज्य कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू शहर की स्थापना केंपे गौड़ा ने वर्ष 1537 में की थी।
- वर्ष 2016 में इस झील में ऑक्सीजन के स्तर में कमी के कारण हजारों मछलियों के मरने की घटना सामने आई थी।
हेनेगुया सालमिनिकोला
Henneguya Salminicola
इज़राइल में तेल अवीव विश्वविद्यालय (Tel Aviv University) के शोधकर्त्ताओं ने एक अवायवीय श्वसन करने वाले जीव हेनेगुया सालमिनिकोला (Henneguya Salminicola) की खोज की।
मुख्य बिंदु:
- हेनेगुया सालमिनिकोला जेलीफिश के आकार का एक छोटा परजीवी है जो ऑक्सीजन के बिना जीवित रह सकता है।
- यह परजीवी सालमन मछली (Salmon Fish) के अंदर पाया जाता है तथा यह अवायवीय श्वसन पर निर्भर रहते हैं। इस परजीवी में माइटोकांड्रिया नहीं पाया जाता है।
- कवक एवं अमीबा जैसे जीव अवायवीय वातावरण में पाए जाते हैं तथा समय के साथ साँस लेने की क्षमता खो देते हैं। नए अध्ययन से संभावना है कि जानवरों के मामले में भी ऐसा ही हो सकता है।
इस परजीवी की खोज ने जीव जगत के बारे में विज्ञान की धारणाओं को चुनौती दी है क्योंकि सभी जीव वायवीय श्वसन करते हैं और श्वसन में ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं।
इन्द्रधनुष
Indradhanush
24 फरवरी, 2020 को भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) और ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स (Royal Air Force) ने संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश के हिंडन वायु सेना स्टेशन पर इंद्रधनुष युद्धाभ्यास (Indradhanush Exercise) के पाँचवें संस्करण की शुरुआत की।
सहभागी देश:
- यह युद्धाभ्यास भारत एवं ब्रिटेन की वायु सेना के बीच किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- युद्धाभ्यास इस संस्करण में 'बेस डिफेंस एंड फोर्स प्रोटेक्शन' (Base Defence and Force Protection) पर ज़ोर दिया गया है।
- यह युद्धाभ्यास भारतीय वायुसेना और रॉयल एयर फोर्स को अपने-अपने देश के प्रतिष्ठानों को आतंकी खतरों से निपटने हेतु मान्य रणनीतियों और युक्तियों को साझा करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
भारत एवं ब्रिटेन के बीच होने वाले अन्य युद्धाभ्यास
- अजेय वारियर- सैन्य अभ्यास
- कोंकण- नौसेना अभ्यास
आयुष शब्दावली के मानकीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
International Conference on Standardization of AYUSH Terminologies
आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पद्धति एवं शब्दावली के मानकीकरण पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Standardisation of Diagnosis and Terminologies in Ayurveda, Unani and Siddha Systems- ICoSDiTAUS-2020) का 26 फरवरी, 2020 को नई दिल्ली में समापन हुआ।
आयोजन:
- इस सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में 25-26 फरवरी, 2020 के दौरान आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
सम्मेलन में शामिल देश
- इस सम्मेलन में पारंपरिक चिकित्सा (Traditional Medicine) को महत्त्व देने वाले श्रीलंका, मॉरीशस, सर्बिया, कुराकाओ, क्यूबा, म्याँमार, इक्वेटोरियल गिनी, कतर, घाना, भूटान, उज़्बेकिस्तान, भारत, स्विट्ज़रलैंड, ईरान, जमैका और जापान समेत 16 देशों ने भाग लिया।
मुख्य बिंदु:
- ICoSDiTAUS-2020 अब तक के सभी महाद्वीपों को कवर करने वाली व्यापक स्तर की भागीदारी के संदर्भ में पारंपरिक चिकित्सा के निदान एवं शब्दावली के मानकीकरण के लिये समर्पित सबसे मुख्य अंतर्राष्ट्रीय पहल है।
- इस सम्मेलन में सभी देशों द्वारा पारंपरिक चिकित्सा निदान डेटा के संग्रह और वर्गीकरण पर नई दिल्ली घोषणा (New Delhi Declaration on Collection and Classification of Traditional Medicine (TM) Diagnostic Data) को अपनाया गया।
- नई दिल्ली घोषणा में स्वास्थ्य देखभाल के एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पारंपरिक चिकित्सा के लिये देशों की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया गया।
- इस सम्मेलन में आयुर्वेद, यूनानी एवं सिद्ध जैसे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भविष्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।