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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 Jan, 2021
  • 13 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 27 जनवरी, 2021

रिसा

Risa

त्रिपुरा की राज्य सरकार का लक्ष्य वहाँ के पारंपरिक परिधान रिसा ( Risa) को राष्ट्रीय स्तर पर त्रिपुरा के विशिष्ट परिधान (Tripura’s Signature Garment) के रूप में बढ़ावा देना है।

  • इसके लिये आँगनवाड़ी और आशा कार्यकर्त्ताओं को रिसा वर्दी प्रदान करने के साथ-साथ त्रिपुरा हथकरघा तथा हस्तशिल्प विकास निगम में रिसा बनाने के लिये प्रशिक्षण की सुविधा जैसी विभिन्न पहलों की शुरुआत की गई है।
  • रिसा की ब्रांडिंग ‘इंडिया हैंडलूम ब्रांड’ के तहत की जा रही है जो केंद्र सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' पहल का समर्थन करता है।

Risa

प्रमुख बिंदु:

रिसा के संबंध में: 

  • रिसा हाथ से बना एक कपड़ा है जिसका इस्तेमाल महिलाएँ शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकने के लिये करती हैं।
  • पारंपरिक त्रिपुरी पोशाक के तीन हिस्से होते हैं- रिसा, रिग्नयी और रिकुतु
    • रिग्नयी: इसे मुख्य रूप से शरीर के निचले परिधान के रूप में जाना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है 'पहनने के लिये'। इसे भारत के मुख्य परिधान ‘साड़ी’ की स्वदेशी किस्म के रूप में समझा जा सकता है।
    • रिकुतु: रिकुतु से शरीर के ऊपरी हिस्से को साड़ी की तरह ढकते हैं। रिकुतु का प्रयोग भारतीय साड़ी की चुनरी या पल्लू के तौर पर भी किया जाता है। 
  • कभी-कभी रिसा का उपयोग किसी व्यक्ति को टोपी या स्टोल देकर उसके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिये भी किया जाता है।

सांस्कृतिक महत्त्व:

  • त्रिपुरा की 12 से 14 वर्ष की किशोर लड़कियों को सबसे पहले रिसा को रिसा नामक कार्यक्रम में पहनने के लिये दिया जाता है।
  • रिसा का उपयोग पुरुषों द्वारा शादी और त्योहारों के दौरान पगड़ी के रूप में भी किया जाता है।
  • त्रिपुरा के लगभग सभी 19 स्वदेशी जनजातीय समुदायों में रिसा का प्रचलन आम है। हालाँकि प्रत्येक समुदाय के अपने अलग-अलग डिज़ाइन हैं।
  • इसका प्रयोग आदिवासी समुदायों द्वारा धार्मिक महोत्सव जैसे गरिया पूजा में किया जाता है।
  • गरिया पूजा महोत्सव
    • यह त्रिपुरा का एक प्रमुख महोत्सव है, जिसका आयोजन चैत्र महीने के अंतिम दिन किया जाता है।
    • यह त्रिपुरा की नृजातीय जनजातियों- त्रिपुरी और रींगस द्वारा एक फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
    • इस महोत्सव के दौरान गरिया नृत्य भी किया जाता है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar

हाल ही में 32 बच्चों को उनकी असाधारण क्षमता और उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ (Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar) से सम्मानित किया गया है।

  • ये पुरस्कार प्रत्येक वर्ष भारत के राष्ट्रपति द्वारा गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के पहले सप्ताह में प्रदान किये जाते हैं।

PMRBP

प्रमुख बिंदु:

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार को दो श्रेणियों के अंतर्गत दिया जाता है:

  • बाल शक्ति पुरस्कार। 
  • बाल कल्याण पुरस्कार।

बाल शक्ति पुरस्कार:

  • मान्यता:
    • यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष भारत सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों अर्थात् नवाचार, शैक्षिक योग्यता, सामाजिक सेवा, कला और संस्कृति, खेल और बहादुरी में बच्चों की असाधारण उपलब्धियों के लिये दिया जाता है।
  • योग्यता:
    • कोई भी बच्चा जो भारतीय नागरिक है और भारत में रहता है तथा जिसकी आयु 5-18 वर्ष के बीच है, इस पुरस्कार को पाने के योग्य है।
  • पुरस्कार: 
    • इस पुरस्कार के तहत एक पदक, 1,00,000 रुपए का नकद पुरस्कार, 10,000 रुपए कीमत का बुक वाउचर, एक प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
  • पृष्ठभूमि: 
    • इसे वर्ष 1996 में असाधारण उपलब्धि के लिये राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के रूप में स्थापित किया गया और वर्ष 2018 से बाल शक्ति पुरस्कार के रूप में जाना गया।

बाल कल्याण पुरस्कार:

  • मान्यता:
    • यह उन व्यक्तियों और संस्थानों को दिया जाता है, जिन्होंने बाल विकास, बाल संरक्षण और बाल कल्याण के क्षेत्र में बच्चों के लिये उत्कृष्ट योगदान दिया है।
  • योग्यता:
    • कोई व्यक्ति जो भारतीय नागरिक हो और भारत में रहता हो तथा 18 वर्ष या उससे अधिक की आयु का हो (संबंधित वर्ष के 31 अगस्त को) एवं बच्चों के हित में कम-से-कम 7 वर्ष से कार्य कर रहा हो।
    • कोई संस्था जो पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित नहीं है और 10 वर्ष से बाल कल्याण के क्षेत्र लगातार कार्यरत हो।
  • पुरस्कार: 
    • दोनों श्रेणियों (व्यक्तिगत और संस्थान) में से प्रत्येक में तीन पुरस्कार दिये जाते हैं जिसमें क्रमशः 1,00,000 रुपए और 5,00,000 रुपए का नकद पुरस्कार शामिल है।
  • पृठभूमि: 
    • इसे वर्ष 1979 में बाल कल्याण पुरस्कार के रूप में स्थापित किया गया था जिसे वर्ष 2018 से राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार के रूप में जाना गया।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जनवरी, 2021

जेल पर्यटन

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल ही में एक ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से ‘जेल पर्यटन’ पहल की शुरुआत की है। पुणे की 150 वर्ष पुरानी यरवदा जेल से शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य आम लोगों को ऐतिहासिक जेलों को नज़दीक से देखने की सुविधा प्रदान करना है। इस पहल के माध्यम से स्कूल और कॉलेज के छात्रों, इतिहास के जानकारों और आम नागरिकों को हमारे इतिहास के एक नवीन पहलू को अनुभव करने में सहायता मिलेगी। इस पहल के पहले चरण में तकरीबन 500 एकड़ में फैली महाराष्ट्र की यरवदा जेल के कुछ हिस्सों को आम जनता के लिये खोल दिया जाएगा। आगामी चरणों में इस पहल को नागपुर, नासिक, ठाणे, रत्नागिरि जैसी अन्य जेलों तक विस्तारित किया जाएगा। ज्ञात हो कि यरवदा जेल न केवल महाराष्ट्र में बल्कि दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी जेलों में से एक है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस जेल में महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस समेत विभिन्न भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था। इन महान नेताओं को जिन कोठरियों में रखा गया था, उन्हें स्मारक के रूप में संरक्षित किया गया है और वे ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता पाने में इन महान नेताओं द्वारा दिये गए बलिदानों को चिह्नित करते हैं।

मैन्युफैक्चर्ड सैंड (एम-सैंड) पॉलिसी-2020

राजस्थान सरकार ने हाल ही में मैन्युफैक्चर्ड सैंड (एम-सैंड) को लेकर अपनी बहुप्रतीक्षित नीति जारी की है, जिससे तहत निर्माण कार्य के लिये मैन्युफैक्चर्ड सैंड का उत्पादन करने वाली इकाइयों को उद्योग का दर्जा दिया गया है। साथ ही इससे ‘बजरी’ (रिवर सैंड) पर निर्भरता को भी कम किया जा सकेगा। विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में ‘बजरी’ (रिवर सैंड) के अवैध खनन पर रोक लगा दी थी। यह नीति निर्माण उद्योग के लिये भविष्य में काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगी। यह नीति नई इकाइयों के माध्यम से रोज़गार के अवसर पैदा करने में मदद के साथ-साथ खनन क्षेत्रों में भारी मात्रा में उत्पन्न कचरे के मुद्दे को भी संबोधित करने में सहायक होगी। यह नई नीति प्राकृतिक ‘बजरी’ के दीर्घकालिक विकल्प के रूप में  मैन्युफैक्चर्ड सेंड (एम-सैंड) की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। यह नीति निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा दिये जाने वाले प्रोत्साहन और सुविधाओं का उपयोग कर एम-सैंड इकाइयों को स्थापित करने में सक्षम करेगी। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि इससे आम जनता के बीच एम-सैंड की प्रभावकारिता को लेकर विश्वास पैदा किया जा सकेगा। मैन्युफैक्चर्ड सैंड (एम-सैंड) का उत्पादन खदानों से निकाले गए कठोर ग्रेनाइट पत्थरों और चट्टानों को तोड़कर किया जाता है। वर्तमान में राजस्थान में तकरीबन 20 एम-सैंड इकाइयाँ कार्यरत हैं, जो प्रतिदिन 20,000 टन एम-सैंड का उत्पादन करती हैं।

भारत पर्व- 2021

26 जनवरी, 2021 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर ‘भारत पर्व- 2021’ के आयोजन की शुरुआत की गई। यह 31 जनवरी तक चलेगा। इस मेगा आयोजन का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के बीच देशभक्ति की भावना को जागृत करना और देश की समृद्ध एवं विविध सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करना है। वर्ष 2016 से प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर लाल किले की प्राचीर के सामने पर्यटन मंत्रालय द्वारा ‘भारत पर्व’ का आयोजन किया जाता रहा है। इसमें कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मंडप अपने पर्यटन स्थलों, व्यंजनों, हस्तशिल्प और अन्य विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं। इस तरह ‘भारत पर्व’ भारत की सांस्कृतिक विविधता की एक अनूठी झलक प्रस्तुत करता है। इस आयोजन से देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले लोगों को 28 राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों की कला, संस्कृति, भोजन, कपड़े और परंपराओं को जानने-समझने का अवसर मिलेगा। इस वर्ष इस कार्यक्रम का आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया जाएगा। 

अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन

विश्व प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक, लेखक और अकादमिक डॉ. जयंत नार्लीकर को अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के 94वें संस्करण के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है। अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन, मराठी भाषा के लेखकों का एक वार्षिक सम्मेलन है, जिसे इस वर्ष मार्च माह में नासिक (महाराष्ट्र) में आयोजित किया जाएगा। पहले अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का आयोजन वर्ष 1878 में किया गया था और इस सम्मेलन की अध्यक्षता समाज सुधारक, लेखक तथा न्यायाधीश महादेव गोविंद रानाडे ने की थी। इस सम्मेलन को मराठी भाषा में साहित्यिक वार्ता, बहस, अभिव्यक्ति और साहित्यिक आलोचना का केंद्रीय मंच माना जाता है।


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