प्रिलिम्स फैक्ट्स (26 Oct, 2019)



प्रीलिम्स फैक्ट्स: 26 अक्तूबर, 2019

सखालिन ऑयल फील्‍ड

Sakhalin Oil Field

24 अक्तूबर 2019 को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्‍पात मंत्री ने रूस में सखालिन ऑयल फील्ड का दौरा किया।

Sakhalin

सखालिन ऑयल प्रोजेक्ट:

  • सखालिन में भारत तथा रूस की संयुक्त परियोजना है जिसके तहत रूस के साथ ऊर्जा संबंधों विकसित किया गया है।
  • सखालिन-1 प्रोजेक्ट में ओएनजीसी (Oil and Natural Gas Corporation- ONGC) विदेश लिमिटेड की 20% हिस्‍सेदारी है। रूस की परियोजना में किसी भी देश द्वारा यह सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है।
  • यह तेल एवं प्राकृतिक गैस उत्पादन की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।

सखालिन द्वीप:

  • यह उत्तरी प्रशांत महासागर में ओखोटस्क सागर तथा ततर जलसंधि के मध्य स्थित रूस का सबसे बड़ा द्वीप है।
  • ततर जलसंधि रूस की मुख्य भूमि को सखालिन द्वीप से अलग करती है।
  • ला- पैरोज जलसंधि या सोया जलसंधि सखालिन द्वीप को जापान के होकैडो द्वीप से अलग करती है।
  • तेल एवं गैस उत्पादक क्षेत्र होने के कारण यह रूस तथा जापान के बीच विवादित क्षेत्रों में से एक है।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग

Dr Syama Prasad Mukherjee tunnel

हाल ही में जम्मू और कश्मीर में एनएच-44 पर स्थित चेनानी नशरी सुरंग (Chenani Nashari Tunnel) का नाम बदलकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग करने की घोषणा की गई।

चेनानी नशरी सुरंग:

  • 9 किलोमीटर की यह सुरंग देश की सबसे लंबी आधुनिक सुरंग है, जो उधमपुर को जम्मू में रामबन से जोड़ती है।
  • यह भारत की पहली व विश्व की छठी सड़क सुरंग है जिसमें ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम (Transverse Ventilation System) है।
  • हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र में निर्मित इस सुरंग के माध्यम से क्षेत्रों के बीच यात्रा में लगने वाला समय लगभग दो घंटे कम होगा, साथ ही इससे ईंधन की भी बचत होगी।
  • यह पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील (हिमस्खलन, बर्फबारी, मौसमी घटनाएँ) पटनीतोप क्षेत्र में वनों को संरक्षण भी प्रदान करती है।
  • यह वायु संचार, संचार, विद्युत आपूर्ति तथा अग्निशमन तकनीकों से युक्त एकीकृत नियंत्रण प्रणाली है।
  • किसी सुरक्षा खतरे से बचाने के लिये सुरंग में उन्नत स्कैनर (Scanner) भी लगया गया है।

tunnel

श्यामा प्रसाद मुखर्जी:

  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म वर्ष 1901 में बंगाल में हुआ था।
  • वे स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग तथा आपूर्ति मंत्री थे।
  • ‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ इनका संकल्प था।
  • इन्होंने ‘भारतीय जनता पार्टी’ की नींव रखी।
  • 66 वर्ष पूर्व जब डॉ. मुखर्जी को गैर-कानूनी तरीके से लखनपुर से गिरफ्तार कर लिया गया था तब उन्हें चेनानी नशरी के जरिए श्रीनगर ले जाया गया।

जैव-ईंट

Bio-Brick

पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने तथा टिकाऊ आवास हेतु कृषि-अपशिष्ट से जैव-ईंटों को निर्मित करने की दिशा में विचार किया जा रहा है।

जैव-ईंट के बारे में:

  • इसे गेहूँ के तिनकों, धान के पुआल तथा अन्य कृषि-अपशिष्टों द्वारा बनाया जा सकता है।
  • यह किसानों द्वारा खेतों को साफ करने की प्रक्रिया को आर्थिक रूप से आसान बनाएगा, साथ ही इससे किसान अवशेषों को जलाने की बजाय काटेंगे।
  • जैव-ईंटों का उपयोग ऊर्ध्वाधर धातु या लकड़ी के स्तंभों के साथ कम लागत वाले आवासों के निर्माण के लिये किया जा सकता है।
  • इन ईंटों में पारंपरिक ईंटों की तुलना में कम भार-वहन करने की शक्ति होती है। अतः उन्हें दीवारों तथा स्तंभ बीम संरचनाओं में प्रयोग किया जा सकता है।
  • ये ईंट न केवल अच्छे इन्सुलेटर ( हैं, बल्कि अग्निरोधी भी हैं।

Bio-Bricks

आवश्यकता क्यों?

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) के अनुसार, भारत में 66 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन करने वाले लगभग 1,40,000 ईंट भट्टे हैं जो हानिकारक प्रदूषकों का उत्पादन करते हैं।
  • ईंट भट्टों द्वारा भारत में कुल ग्रीनहाउस उत्सर्जन का लगभग 9% उत्पादन किया जाता है।
  • जैव-ईंटें मिट्टी की ईंटों की तुलना में अधिक टिकाऊ होती हैं।
  • इसके माध्यम से आवास को गर्म-आर्द्र जलवायु के लिये अधिक उपयुक्त बनाया जा सकता है।