Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 जून, 2023
हाल ही में प्रिया ए.एस. को उनके उपन्यास पेरुमाझायथे कुंजिथालुकल हेतु मलयालम भाषा में प्रतिष्ठित केंद्र साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया गया है। उपन्यास पेरुमाझायथे कुंजिथालुकल वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़ की पृष्ठभूमि पर आधारित है जो आपदा के दौरान विभिन्न पृष्ठभूमि के बच्चों द्वारा प्रदर्शित साहस और सहयोग को दर्शाता है। केंद्र साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार भारत में बच्चों के साहित्य हेतु एक प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार है। यह साहित्य अकादमी द्वारा दिया जाता है एवं इस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करता है। इस पुरस्कार में नकद पुरस्कार और पट्टिका दी जाती है, जो लेखकों को प्रोत्साहित करती है तथा बच्चों के साहित्य के विकास को बढ़ावा देती है।
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चोरी हुई चोल-युग की मूर्तियों की बरामदगी
तमिलनाडु पुलिस की आइडल विंग CID ने चोल-युग के मंदिरों से चोरी या गायब 16 प्राचीन मूर्तियों को बरामद करने में महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है। अमेरिकी अधिकारियों की सहायता से मूर्तियों को संयुक्त राज्य अमेरिका के संग्रहालयों और कला दीर्घाओं में खोजा गया। उत्तम चोल-युग की कांस्य मूर्तियों की पहचान की गई है तथा उन्हें तमिलनाडु में उनके संबंधित मंदिरों में वापस करने की तैयारी है। चोल, एक शक्तिशाली राजवंश जिसने 9वीं से 13वीं शताब्दी तक भारत के दक्षिणी क्षेत्रों पर शासन किया, ने इस क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा। विजयालय (Vijayalaya), आदित्य प्रथम तथा राजेंद्र चोल जैसे राजाओं के तहत साम्राज्य ने अपने प्रभाव का विस्तार किया एवं पल्लव व पांड्य राजाओं सहित पड़ोसी राज्यों पर नियंत्रण स्थापित किया। चोलों ने अपने विशाल साम्राज्य को मंडलम और नाडु में विभाजित करके एक सुव्यवस्थित प्रशासन लागू किया, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र की देख-रेख के लिये अलग-अलग शासक थे। वे कला और वास्तुकला के संरक्षक थे, बृहदेश्वर तथा राजराजेश्वर जैसे चोल मंदिर द्रविड़ मंदिर वास्तुकला की भव्यता का उदाहरण हैं। चोलों की कलात्मक विरासत में प्रतिष्ठित मूर्तियाँ भी शामिल हैं, जैसे- नटराज की मूर्ति जिसमें भगवान शिव को उनके ब्रह्मांडीय नृत्य रूप में दर्शाया गया है और कांस्य मूर्तियाँ अपनी उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिये प्रसिद्ध हैं। चोल राजवंश के शासनकाल को दक्षिणी भारत में समृद्धि, कला और सांस्कृतिक उन्नति के स्वर्ण युग के रूप में चिह्नित किया गया है।
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नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस अथवा विश्व ड्रग दिवस प्रतिवर्ष 26 जून को मनाया जाता है, इसकी स्थापना वर्ष 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त करने हेतु कार्रवाई और सहयोग को मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। इस वर्ष 2023 की थीम है: पीपुल फर्स्ट: स्टॉप स्टिग्मा एंड डिस्क्रिमिनेशन, स्ट्रेंथेन प्रिवेंशन। अर्थात् “पहले लोग: भेदभाव और पूर्वाग्रहों पर अंकुश लगाएँ, सुरक्षा उपायों को मज़बूत करें”। इस वर्ष के अभियान का उद्देश्य नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों के साथ सम्मान और सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करने के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना; सभी के लिये साक्ष्य-आधारित, स्वैच्छिक सेवाएँ प्रदान करना; सज़ा के विकल्प की पेशकश; रोकथाम को प्राथमिकता देना और करुणा के साथ नेतृत्व करना है। इस अभियान का उद्देश्य सम्मानजनक और गैर-निर्णयात्मक भाषा एवं दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों के प्रति पूर्वाग्रहों तथा उनके साथ होने वाले भेदभाव का मुकाबला करना भी है। प्रतिवर्ष 26 जून को संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) द्वारा विश्व ड्रग रिपोर्ट जारी की जाती है।
GEMCOVAC-OM: ओमीक्रॉन वेरिएंट के लिये भारत की स्वदेशी mRNA वैक्सीन
जेनोवा द्वारा विकसित GEMCOVAC-OM, भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित एवं एकमात्र स्वीकृत mRNA वैक्सीन है जो कोविड-19 के ओमीक्रॉन वैरिएंट को लक्षित करती है जिसकी कीमत 2,292 रुपए प्रति खुराक होगी। यह वैक्सीन शुरू में केवल बूस्टर या एहतियाती खुराक के रूप में उपलब्ध होगी तथा जिन व्यक्तियों को पहले ही तीन खुराक दी जा चुकी हैं वे इसके लिये अयोग्य होंगे। GEMCOVAC-OM का मुख्य लाभ 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान के अंदर इसकी स्थिरता में निहित है जो इसे एक सामान्य रेफ्रिजरेटर में भंडारण के लिये उपयुक्त बनाता है। इस वैक्सीन को सुई-मुक्त फार्माजेट प्रणाली (needle-free PharmaJet system) के माध्यम से लगाया जा सकता है जिससे वैक्सीन को सीधे त्वचा में पहुँचाया जा सकता है। mRNA वैक्सीन एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिये प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करती है जो संक्रमण का मुकाबला करने में सहायता करती है। यह वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करने के लिये स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से को सक्रिय करती है जो कोरोनो वायरस का प्रमुख हिस्सा है। mRNA वैक्सीन बहुत नाजुक होती है तथा इन्हें तैलीय लिपिड की एक परत में लपेटा जाना चाहिये। वैक्सीन में DNA अधिक स्थिर एवं लचीला होता है। mRNA और DNA दोनों वैक्सीनों के प्रभावी होने की उम्मीद है लेकिन mRNA वैक्सीन के लिये सख्त फ्रीजर स्थितियों की आवश्यकता होती है जो इन्हें महँगा बनाती है। mRNA और DNA वैक्सीन को भावी वेरिएंट में शीघ्र ही अद्यतन किया जा सकता है तथा विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिये उपयोग किया जा सकता है।
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