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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 24 Aug, 2019
  • 12 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 24 अगस्त, 2019

फेडर

(FEDOR)

रूस ने 22 अगस्त को मानवाभ (Humanoid) रोबोट ले जाने वाले एक मानव रहित रॉकेट को लॉन्च किया, यह रोबोट अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 10 दिन बिताएगा तथा अंतरिक्ष यात्रियों की सहायता करना सीखेगा।

Fedor

  • इसका नाम फेडर (Final Experimental Demonstration Object Research) रखा गया है। इसे रूस के बेकनूर से सोयूज MS-14 अंतरिक्षयान द्वारा भेजा गया।
  • फेडर के पास इंस्टाग्राम और ट्विटर अकाउंट हैं, जिसमें लिखा है कि यह पानी की बोतल खोलने जैसे नए कौशल सीख रहा है और स्टेशन में बहुत कम गुरुत्वाकर्षण में हस्त-कौशलों का परीक्षण करेगा।
  • रोबोट ने कक्षा में पहुँचने के बाद ट्वीट किया, '' इन-फ्लाइट प्रयोगों का पहला चरण उड़ान योजना के अनुसार हुआ।”
  • फेडर मानव गतिविधियों को कॉपी करता है, एक प्रमुख कौशल जो इसे अंतरिक्ष यात्रियों या पृथ्वी पर भी लोगों के कार्यों को पूरा करने में मदद करने की अनुमति देता है, जबकि मनुष्य एक एक्सोस्केलेटन में बंधे होते हैं।
  • उच्च विकिरण वाले वातावरण में काम करने, कार्यों के निस्तारण और मुश्किल समय में बचाव हेतु मिशन के लिये फेडर को पृथ्वी पर संभावित रूप से उपयोगी बताया गया है।

फ़ेडर अंतरिक्ष में जाने वाला पहला रोबोट नहीं

  • वर्ष 2011 में नासा ने जनरल मोटर्स के सहयोग से विकसित एक ह्यूमनॉइड रोबोट रोबोनॉट 2 को अंतरिक्ष में भेजा, इसका उद्देश्य उच्च जोखिम वाले वातावरण में काम करना था। इसे वर्ष 2018 में तकनीकी समस्याओं का सामना करने के बाद पृथ्वी पर वापस बुला लिया गया था।
  • वर्ष 2013 में जापान ने ISS के पहले जापानी अंतरिक्ष कमांडर के साथ किरोबो (Kirobo) नामक एक छोटा रोबोट भेजा। यह टोयोटा की मदद से विकसित किया गया था जो केवल जापानी भाषा में वार्तालाप करने में सक्षम था।

नेपाल में एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध

दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए नेपाल सरकार ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (Single Use Plastic) पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

  • नेपाल सरकार के इस कदम का उद्देश्य वर्ष 2020 तक एवरेस्ट क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाना है।
  • एकल उपयोग प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने वाला यह नियम 1 जनवरी, 2020 से लागू होगा। इस नियम के तहत 30 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इनमें प्लास्टिक की थैलियाँ, स्ट्रॉ, सोडा और पानी की बोतलें तथा अधिकांशतः खाद्य पैकेजिंग के लिये प्रयुक्त होने वाले प्लास्टिक शामिल है।
  • नेपाल के खंबु क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों को पाँच अलग-अलग प्रकार और आकार के प्लास्टिक बैग प्रदान किये जाएंगे, जिन्हें वे दैनिक गतिविधियों के लिये उपयोग कर सकते हैं।
  • इसके अलावा नेपाल सरकार आने वाले साल के दौरान देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'विज़िट नेपाल' (Visit Nepal) नामक अभियान पर भी ध्यान दे रही है, जिसका लक्ष्य 20 लाख विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना है।
  • उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविदों द्वारा अक्सर यह चिंता व्यक्त की जाती रही है कि नेपाल ने दुनिया की सबसे ऊँची चोटी के संवेदनशील वातावरण की रक्षा करने हेतु पर्याप्त प्रयास नहीं किये हैं।

पल्लीकरनई आर्द्रभूमि

(Pallikaranai marsh)

पल्लीकरनई आर्द्रभूमि तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर में एक ताज़े पानी का दलदल है जो 80 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तारित है। यह शहर का एकमात्र जीवित आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र है और दक्षिण भारत की अंतिम कुछ प्राकृतिक आर्द्रभूमियों में से एक है।

  • यह विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का एक पारिस्थितिकी तंत्र है जिसमें पक्षियों की 115 प्रजातियाँ, स्तनधारियों की 10 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 21 प्रजातियाँ, उभयचरों की 10 प्रजातियाँ, मछलियों की 46 प्रजातियाँ, तितलियों की 9 प्रजातियाँ और वनस्पतियों की 114 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह रसेल वाइपर जैसे सरीसृपों का घर भी है और चमकदार आइबिस (Ibis), ग्रे-हेडेड लैपविंग्स (Grey-headed lapwings) और तीतर-पूंछ वाले जेकाना (Pheasant-tailed jacana) जैसे पक्षी भी यहाँ मिलते हैं।
  • 50 वर्षों में हमने विकास और शहर के विस्तार के कारण 5,000 हेक्टेयर में फैले, पारिस्थितिकी तंत्र का 90% हिस्सा खो दिया है। वर्ष 2007 में शेष आर्द्रभूमि को और सिकुड़ने से बचाने के प्रयास के रूप में इस क्षेत्र में अविकसित क्षेत्रों को आरक्षित वन के रूप में अधिसूचित किया गया था। मार्च 2018 में राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह आर्द्रभूमि की पर्यावरण-बहाली का कार्य शुरू करेगी।
  • हालाँकि वेटलेंड को बहाल करने और उसे बचाने के प्रयास जारी हैं, लेकिन इससे सीखे गए सबक देश भर के जल निकायों पर लागू हो सकते हैं जो कि अपने अस्तित्व के लिये समान खतरों का सामना कर रहे हैं।

दयालुता पर पहला विश्व युवा सम्मेलन

(First World Youth Conference on Kindness)

23 अगस्त, 2019 को नई दिल्ली में दयालुता पर पहले विश्व युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया।

world Youth Conference

  • उद्देश्य: इस सम्मेलन का उद्देश्य संवेदना, सद्भाव, करुणा जैसे गुणों के ज़रिये युवाओं को प्रेरित करना था, ताकि वे आत्मविकास कर सकें और अपने समुदायों में शांति स्थापित कर सकें।
  • थीम: कार्यक्रम की विषयवस्तु/थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम् : समकालीन विश्व में गांधीः महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह’ (Vasudhaiva Kutumbakam: Gandhi for the Contemporary World: Celebrating the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi) थी।
  • आयोजनकर्त्ता: इसका आयोजन UNESCO के महात्मा गांधी शांति और विकास शिक्षा संस्थान (Mahatma Gandhi Institute of Education for Peace and Sustainable Development-MGIEP) तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) ने किया।

अन्य प्रमुख बिंदु:

  • इस सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया।
  • सम्मेलन में एशिया, अफ्रीका, लातीनी अमेरिका और यूरोप के 27 से अधिक देशों के लगभग 1000 युवाओं ने हिस्सा लिया।
  • इस अवसर पर UNESCO के MGIEP के प्रमुख प्रकाशन ‘दि ब्लू डॉट’ (The Blue Dot) का विमोचन भी किया गया। इस संस्करण में सामाजिक और भावनात्मक पक्षों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में संस्थान द्वारा किये जाने वाले कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया गया है।

लाइम स्वॉलोटेल

(Lime Swallowtail)

तितली जो कि स्वॉलोटेल (Swallowtails) समूह से संबंधित है, यह साइट्रस (Citrus) पौधों पर अपने अंडे देती है। इसे प्रायः लाइम स्वॉलोटेल कहा जाता है। यह भारत में पाए जाने वाली बड़ी तितलियों में से एक है, इसके पंखों का लगभग 80-100 मिमी. तक होता है।

  • अधिकांश प्रजातियों में पश्च पंख होते हैं जिनमें एक कांटा दिखाई देता है। लाइम एक अपवाद है। इसके पंखों पर सफेद, काले, पीले, हरे और दो नारंगी-लाल के अनियमित धब्बे पाए जाते हैं।
  • तितली एक मड-पुडलर है। मड-पुडलिंग तितलियों और कुछ अन्य कीटों द्वारा प्रदर्शित एक व्यवहार है, जहाँ वे नम मिट्टी और गोबर पर बैठते हैं और कुछ लवण और पोषक तत्त्वों को निकालने के लिये तरल पदार्थ चूसते हैं जो उनकी जीवन-प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये आमतौर पर कम ऊँचाई पर उड़ती हैं।
  • मादा तितली एक पौधे से दूसरे पौधे तक जाती है और उन पर एक अंडा देती है। तत्पश्चात् लार्वा 5 चरणों में विकसित होता है: पहला, जब यह अंडे से निकलता है (रंग में काला) तथा दूसरे, तीसरे और चौथे चरण में यह अपनी त्वचा को बाहर निकालता है और अपने आकार को समायोजित करता है।
  • इन चरणों में शरीर पर यूरिक एसिड जैसा दिखने वाला सफेद निशान गहरा होता है। जो बर्ड ड्रॉपिंग (पक्षियों की बीट) की तरह दिखता है तथा यह उनकी शिकारियों से बचने में मदद करता है। अंतिम चरण में, कैटरपिलर एक बेलनाकार आकार ग्रहण करता है तथा इसका रंग कुछ मात्रा में सफ़ेद होने के साथ पीला- हरा हो जाता है।
  • अधिकांश स्वॉलोटेल कैटरपिलर में एक कांटे के समान अंग होता है, यह सिर के पीछे के हिस्से में होता है और इसे मेटेरियम कहा जाता है। जब इन्हें डराया जाता है, तो मेटेरियम बाहर निकलता है और ब्यूटिरिक एसिड की तीखी गंध छोड़ता है, यह मुख्य रूप से चींटियों, परजीवी ततैया, और मक्खियों से बचने के लिये कारगर है।
  • इस तितली की व्यापक उपलब्धता विभिन्न परिस्थितियों के लिये इसकी सहिष्णुता और अनुकूलता को इंगित करती है जैसा कि हम उन्हें बगीचों, खेतों और कभी-कभी जंगलों में देख सकते हैं। सितंबर को बटरफ्लाई मंथ के रूप में मनाया जाता है।

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