लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 22 Feb, 2022
  • 8 min read
विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 फरवरी, 2022

विश्व पैंगोलिन दिवस

पैंगोलिन के महत्त्व और वैश्विक स्तर पर इसकी मौजूदा स्थिति को लेकर जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रतिवर्ष फरवरी माह के तीसरे शनिवार को विश्व पैंगोलिन दिवस के रूप में मनाया जाता है। पैंगोलिन एक विशाल चींटीखोर (Anteater) स्तनपायी है, जिसकी पीठ पर शल्कनुमा संरचना बनी होती है। ये इस विशेषता वाले एकमात्र ज्ञात स्तनधारी हैं। पैंगोलिन पृथ्वी पर सबसे अधिक अवैध रूप से तस्करी किये जाने वाले स्तनधारी जीव हैं, आँकड़ों की मानें तो प्रतिवर्ष 200,000 से अधिक पैंगोलिन का शिकार किया जाता है और उनकी अवैध रूप से तस्करी की जाती है। इनका वज़न लगभग 3 पाउंड से लेकर 75 पाउंड तक हो सकता है। वर्तमान में पैंगोलिन की केवल आठ प्रजातियाँ मौजूद हैं, हालाँकि अतीत में विलुप्त हो चुकी कई प्रजातियों के जीवाश्मों की खोज की गई है। इसमें से चार प्रजातियाँ उप-सहारा अफ्रीका और चार प्रजातियाँ एशिया में पाई जाती हैं। कीटभक्षी-पैंगोलिन रात्रिचर होते हैं और इनका आहार मुख्य रूप से चीटियाँ तथा दीमक होते हैं, जिन्हें वे अपनी लंबी जीभ का उपयोग कर पकड़ लेते हैं। पैंगोलिन की आठ प्रजातियों में से भारतीय पैंगोलिन (Manis Crassicaudata) और चीनी पैंगोलिन (Manis Pentadactyla) भारत में पाए जाते हैं। भारतीय पैंगोलिन एक विशाल एंटीटर है जो पीठ पर 11-13 पंक्तियों की धारियो वाले आवरण से ढका होता है। भारतीय पैंगोलिन की पूँछ के निचले हिस्से पर एक टर्मिनल स्केल भी मौज़ूद होता है, जो चीनी पैंगोलिन में अनुपस्थित होता है। भारतीय पैंगोलिन व्यापक रूप से शुष्क क्षेत्रों, उच्च हिमालय एवं पूर्वोत्तर को छोड़कर शेष भारत में पाया जाता है। यह प्रजाति बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भी पाई जाती है। चीनी पैंगोलिन पूर्वी नेपाल में हिमालय की तलहटी क्षेत्र में, भूटान, उत्तरी भारत, उत्तर-पूर्वी बांग्लादेश और दक्षिणी चीन में पाया जाता है। 

स्‍वतंत्रता सेनानी शकुंतला चौधरी

प्रख्यात गांधीवादी समाज सुधारक और स्‍वतंत्रता सेनानी शकुंतला चौधरी का 21 फरवरी,  2022 को असम के गुवाहाटी में निधन हो गया। वह 102 वर्ष की थीं। वह असम के कामरूप की रहने वाली थीं। उन्‍होंने ग्रामीणों, विशेष कर महिलाओं और बच्‍चों की भलाई के लिये काम किया। वह शकुंतला बाईदेव के नाम से लोकप्रिय थीं। भारत सरकार ने इस वर्ष उन्‍हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्‍मानित करने की घोषणा की थी। उन्‍हें गांधीवादी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिये याद किया जाएगा। सरानिया आश्रम में उनके नेक कार्यों का कई लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ा। उनका जन्म वर्ष 1920 में हुआ था। वह मुख्य रूप से कस्तूरबा ट्रस्ट से जुड़ी थीं। उन्होंने पूर्वोत्तर में विशेष रूप से नगालैंड, मिज़ोरम और मेघालय में महात्मा गांधी के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाया तथा अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा कस्तूरबा आश्रम में बिताया। शकुंतला चौधरी आचार्य विनोबा भावे के साथ भी निकटता से जुड़ी हुई थीं और उन्होंने भूदान आंदोलन के दौरान डेढ़ वर्ष की लंबी पदयात्रा में भाग लिया था। महात्मा गांधी की पूर्वोत्तर यात्रा के दौरान वह एक दुभाषिया के रूप में काम करती थीं तथा गांधीजी का संदेश असमिया में लोगों तक पहुँचाने में मदद करती थीं। 

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन की छठी वर्षगाँठ

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन की आज छठी वर्षगाँठ मनाई जा रही है। वर्ष 2016 में 21 फरवरी को ही इस मिशन की शुरूआत की गई थी। इसका उद्देश्‍य आर्थिक, सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढाँचा सुविधाएँ प्रदान करके देश में 300 क्लस्टर विकसित करना है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मिशन के तहत अब तक 296 क्लस्टरों को मंज़ूरी दी है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में एकीकृत परियोजना आधारित बुनियादी अवसंरचना को वितरित करने हेतु ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है, जिसमें आर्थिक गतिविधियों का विकास और कौशल विकास शामिल है। ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन’ के कार्यान्वयन से पूर्व ‘प्रोविज़न ऑफ अर्बन अमेनिटीज़ टू रूरल एरियाज़’ (PURA) को लागू किया गया था, जिसकी घोषणा वर्ष 2003 में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य विशेष तौर पर आर्थिक, तकनीकी और सुविधाओं एवं सेवाओं के क्षेत्र में ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करना है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इस मिशन में धनराशि या वित्‍त से जुड़े दो घटक हैं: विभिन्‍न केंद्रीय क्षेत्र योजनाओं, केंद्र प्रायोजित योजनाओं, राज्‍य क्षेत्र/प्रायोजित योजनाओं/कार्यक्रमों, CSR कोष के ज़रिये रूपांतरित धनराशि और कम पड़ रही अत्‍यंत आवश्‍यक धनराशि की व्यवस्था (CGF)।

आज़ादी का अमृत महोत्‍सव विशेष सप्‍ताह

विदेश मंत्रालय 21 फरवरी, 2022 से 27 फरवरी, 2022 तक आज़ादी का अमृत महोत्‍सव विशेष सप्‍ताह मना रहा है। इसके अंतर्गत नई दिल्‍ली और देश के अन्‍य शहरों में कई गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं। इस दौरान विदेश मंत्रालय के शाखा सचिवालय, भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद तथा उसके क्षेत्रीय कार्यालय और क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय देश भर में विभिन्‍न कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। ये कार्यक्रम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के विचार पर आधारित होंगे। इस दौरान भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) भी 23-25 फरवरी तक शिल्प मेले का आयोजन कर रहा है। सुषमा स्वराज विदेश सेवा संस्थान ने विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रचार प्रकोष्ठ के सहयोग से 21-25 फरवरी तक ‘भारतीय मीडिया के लिये विदेश नीति पर विशेष’ कोर्स का आयोजन किया है।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2