प्रारंभिक परीक्षा
मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का स्थापना दिवस
मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा (21 जनवरी) के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री एवं अन्य नेताओं द्वारा तीनों पूर्वोत्तर राज्यों की परंपराओं और संस्कृति की प्रशंसा की गई।
- 21 जनवरी, 1972 को पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 के तहत तीनों राज्यों को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- मणिपुर का भारत में विलय:
- 15 अगस्त, 1947 से पहले शांतिपूर्ण वार्ता के ज़रिये ऐसे लगभग सभी राज्यों, जिनकी सीमाएँ भारतीय संघ के साथ लगती थीं, को विलय हेतु एकजुट कर लिया गया था।
- अधिकांश राज्यों के शासकों ने ‘परिग्रहण के साधन (Instrument of Accession)’ नामक एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये, जिसका अर्थ था कि उनका राज्य भारत संघ का हिस्सा बनने के लिये सहमत है।
- आज़ादी से कुछ समय पूर्व मणिपुर के महाराजा बोधचंद्र सिंह ने मणिपुर की आंतरिक स्वायत्तता को बनाए रखने के लिये विलयपत्र पर हस्ताक्षर किये थे।
- जनमत के दबाव में, महाराजा ने जून 1948 में मणिपुर में चुनाव कराए और राज्य एक संवैधानिक राजतंत्र बन गया। इस प्रकार मणिपुर चुनाव कराने वाला भारत का पहला भाग था।
- मणिपुर की विधान सभा में भारत के साथ विलय को लेकर अत्यधिक मतभेद थे। भारत सरकार ने सितंबर 1949 में मणिपुर की विधान सभा के परामर्श के बिना एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर कराने में सफलता प्राप्त की थी।
- त्रिपुरा का भारत में विलय:
- 15 नवंबर, 1949 को भारतीय संघ में विलय होने तक त्रिपुरा एक रियासत थी।
- 17 मई, 1947 को त्रिपुरा के अंतिम महाराजा बीर बिक्रम सिंह के निधन के पश्चात् महारानी कंचनप्रभा (महाराजा बीर बिक्रम की पत्नी) ने त्रिपुरा राज्य का प्रतिनिधित्व संभाला।
- भारतीय संघ में त्रिपुरा राज्य के विलय में उन्होंने सहायक की भूमिका निभाई थी।
- मेघालय का भारत में विलय:
- वर्ष 1947 में गारो एवं खासी क्षेत्र के शासकों ने भारतीय संघ में प्रवेश किया।
- मेघालय, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक छोटा पहाड़ी राज्य है जो 2 अप्रैल, 1970 को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
- वर्ष 1972 में व्यापक बदलाव:
- वर्ष 1972 में पूर्वोत्तर भारत के राजनीतिक मानचित्र में व्यापक परिवर्तन आया।
- इस तरह दो केंद्रशासित प्रदेश मणिपुर और त्रिपुरा एवं उपराज्य मेघालय को राज्य का दर्जा मिला।
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
अमर जवान ज्योति राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में स्थानांतरित
एक ऐतिहासिक कदम के तहत अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ज्वाला/नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्वाला (National War Memorial Flame) में विलय हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- अमर जवान ज्योति:
- इसे वर्ष 1972 में स्थापित किया गया था यह वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत को चिह्नित करने से संबंधित थी, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
- दिसंबर 1971 में भारत द्वारा पाकिस्तान को हराने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस पर वर्ष 1972 में इसका उद्घाटन किया था।
- मध्य दिल्ली में इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति पर शाश्वत लौ स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न युद्धों और संघर्षों में देश के लिय शहीद हुए सैनिकों को देश की श्रद्धांजलि का एक प्रतिष्ठित प्रतीक था।
- इंडिया गेट स्मारक ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1914-1921 के बीच अपनी जान गँवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों की याद में बनाया गया था।
- स्थानांतरण के कारण:
- इंडिया गेट पर अंकित नाम केवल कुछ शहीदों के हैं जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेज़ो के लिये लड़ाई लड़ी थी तथा इस प्रकार यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।
- वर्ष 1971 इसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लिखे गए हैं।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक:
- इसका उद्घाटन वर्ष 2019 में किया गया, यह इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर स्थित है।
- इसमें मुख्य तौर पर चार संकेंद्रित वृत्त शामिल हैं, जिनका नाम है:
- ‘अमर चक्र’ या अमरता का चक्र,
- ‘वीरता चक्र’ या वीरता का चक्र,
- ‘त्याग चक्र’ या बलिदान का चक्र और
- ‘रक्षक चक्र’ या सुरक्षा का चक्र।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का प्रस्ताव पहली बार 1960 के दशक में बनाया गया था।
- यह स्मारक उन सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1947, वर्ष 1965 तथा वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्धों, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना अभियानों और वर्ष 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान देश की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दी थी।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सैनिकों को भी याद करता है, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, मानवीय सहायता आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन, आतंकवाद विरोधी अभियान और कम तीव्रता वाले संघर्ष संचालन (एलआईसीओ) में भाग लिया और सर्वोच्च बलिदान दिया।
स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 जनवरी, 2022
‘कोयला दर्पण’ पोर्टल
कोयला क्षेत्र से संबंधित प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPIs) को आम लोगों के साथ साझा करने हेतु कोयला मंत्रालय ने हाल ही में ‘कोयला दर्पण’ पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल के तहत प्रारंभिक चरण में मुख्य तौर पर कोयला/लिग्नाइट उत्पादन, कोयला/लिग्नाइट की कुल खरीद, अन्वेषण डाटा, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ, ताप-विद्युत संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति, बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ, कोयला ब्लॉकों का आवंटन और कोयला मूल्य से संबंधित संकेतक प्रदान किये जाएंगे। गौरतलब है कि कोयला विश्व स्तर पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में तथा लोहा, इस्पात, भाप इंजन जैसे उद्योगों में और बिजली पैदा करने के लिये किया जाता है। कोयले से उत्पन्न बिजली को ‘थर्मल पावर’ कहते हैं। कोयले को मुख्यतः चार रैंकों में वर्गीकृत किया जाता है: एन्थ्रेसाइट, बिटुमिनस, सब-बिटुमिनस और लिग्नाइट। यह रैंकिंग कोयले में मौजूद कार्बन के प्रकार व मात्रा तथा कोयले की उष्मा ऊर्जा की मात्रा पर निर्भर करती है। दुनिया के प्रमुख कोयला उत्पादकों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और भारत शामिल हैं। भारत के कोयला उत्पादक क्षेत्रों में झारखंड में रानीगंज, झरिया, धनबाद और बोकारो शामिल हैं।
मॉरीशस में प्रमुख मेट्रो स्टेशन ‘महात्मा गांधी’ के नाम पर
मॉरीशस सरकार ने मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना के लिये भारत के समर्थन हेतु आभार प्रकट करने हेतु अपने एक प्रमुख मेट्रो स्टेशन का नाम राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ के नाम पर रखने की घोषणा की है। इस अवसर पर दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मॉरीशस में सिविल सर्विस कॉलेज और 8 मेगावाट सोलर पीवी फार्म प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखी। इसके साथ ही दोनों देशों की सरकारों ने लघु विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु भारतीय अनुदान सहायता के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। सरकारों ने एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (EXIM) और SBM (मॉरीशस) इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड के बीच चल रहे मौजूदा मेट्रो एक्सप्रेस प्रोजेक्ट एवं अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिये 190 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट हेतु भी एक समझौता किया। गौरतलब है कि भारत ने लंबे समय तक मॉरिशस को भारतीय मूल के प्रवासियों (Diaspora) के संदर्भ में ही देखा है जिनकी संख्या इस देश में अधिक है। हालाँकि बीते विगत कुछ वर्षों में भारत ने पश्चिमी हिंद महासागर में मौजूद इस द्वीपीय देश को सामरिक दृष्टि से भी महत्त्व देना प्रारंभ कर दिया है।
भारत-डेनमार्क सहयोग
भारत और डेनमार्क ने अपनी ‘हरित सामरिक साझेदारी कार्य योजना- 2020-2025’ के हिस्से के रूप में हरित हाइड्रोजन सहित हरित ईंधन पर संयुक्त अनुसंधान और विकास शुरू करने पर सहमति व्यक्त की हैं। भारत-डेनमार्क संयुक्त समिति ने एक आभासी बैठक में हरित अनुसंधान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में निवेश हेतु रणनीतिक प्राथमिकताओं पर चर्चा की। समिति ने मिशन-संचालित अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास पर द्विपक्षीय सहयोग से विकास पर ज़ोर दिया, जिसमें जलवायु व हरित ट्रांजिशन, ऊर्जा, पानी, अपशिष्ट, भोजन, आदि शामिल हैं।
रोबर्टा मेट्सोला
रोबर्टा मेट्सोला को यूरोपीय संसद की अब तक की सबसे कम उम्र की अध्यक्ष चुना गया है और वह 20 वर्षों के लिये यह भूमिका अदा करेंगी। रोबर्टा मेट्सोला, ‘माल्टा’ से संबद्ध हैं। रोबर्टा मेट्सोला, यूरोपीय संघ के रूप में एक ऐसी संस्था का नेतृत्व करेंगी, जो बीते कुछ वर्षों में काफी शक्तिशाली हो गई है और जिसने डिजिटल अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और ब्रेक्ज़िट जैसे मुद्दों पर 27-राष्ट्र ब्लॉक की नीति तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।