प्रारंभिक परीक्षा
कंट्रोल्ड एरियल डिलीवरी सिस्टम
हाल ही में अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (Aerial Delivery Research and Development Establishment- ADRDE) ने 500 किलोग्राम क्षमता (CADS-500) के कंट्रोल्ड एरियल डिलीवरी सिस्टम का हवाई प्रदर्शन किया।
- यह हवाई प्रदर्शन स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिये आयोजित गतिविधियों की शृंखला का एक हिस्सा है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- CADS-500 का उपयोग रैम एयर पैराशूट (Ram Air Parachute- RAP) की युद्धाभ्यास क्षमताओं का उपयोग कर पूर्व निर्धारित स्थान पर 500 किलोग्राम तक के पेलोड की सटीक डिलीवरी के लिये किया जाता है।
- यह उड़ान के दौरान सभी आवश्यक जानकारी के लिये निर्देशांक, ऊँचाई और शीर्षक सेंसर में ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम का उपयोग करता है।
- CADS अपनी ऑनबोर्ड इलेक्ट्रॉनिक्स इकाई के साथ ऑपरेटिंग नियंत्रण प्रणाली द्वारा निर्धारित लक्ष्य स्थल की ओर वेपॉइंट नेविगेशन का उपयोग करके अपने उड़ान पथ को स्वायत्त रूप से संचालित करता है।
पोज़िशनिंग सिस्टम:
- पोज़िशनिंग सिस्टम किसी व्यक्ति या वस्तु के स्थान को निर्धारित करने का एक उपकरण है। सटीक स्थान प्राप्त करने के लिये प्रौद्योगिकी को वैश्विक कवरेज और सटीकता की आवश्यकता होती है।
- उदाहरण के लिये: 'गूगल मैप्स' पोज़िशनिंग और नेविगेशन सिस्टम में से एक है जो व्यक्तियों को उनके सटीक स्थान के साथ-साथ उनके गंतव्य के लिये रास्ता खोजने में मदद करता है। हालाँकि सिस्टम केवल नेविगेशन के तहत क्षेत्र का एक उपग्रह दृश्य प्रस्तुत करता है।
ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS)
- GPS एक उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है, जिसका उपयोग किसी वस्तु की ज़मीनी स्थिति को निर्धारित करने हेतु किया जाता है। इसका उपयोग अमेरिका के स्वामित्व में किया जाता है जो उपयोगकर्त्ताओं को पोज़िशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग (PNT) सेवाएँ प्रदान करती है।
- यह एक 24 उपग्रहों का नेटवर्क है जो नागरिक और सैन्य उपयोगकर्त्ताओं को सेवा प्रदान करता है। नागरिक सेवा सभी उपयोगकर्त्ताओं के लिये निरंतर, विश्वव्यापी आधार एवं स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है। सैन्य सेवा अमेरिका और संबद्ध सशस्त्र बलों के साथ-साथ अनुमोदित सरकारी एजेंसियों के लिये उपलब्ध है।
- ADRDE:
- यह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की एक अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है।
- यह पैराट्रूपर पैराशूट सिस्टम, एयरक्रू पैराशूट सिस्टम, गोला बारूद पैराशूट सिस्टम, ब्रेक पैराशूट, रिकवरी पैराशूट सिस्टम, एरियल डिलीवरी पैराशूट सिस्टम, हैवी ड्रॉप सिस्टम, इन्फ्लेटेबल सिस्टम, एयरशिप टेक्नोलॉजी और एयरक्राफ्ट अरेस्टर बैरियर सिस्टम के विकास में शामिल है।
- वर्तमान में यह आयुध वितरण पैराशूट, बैलून बैराज व निगरानी प्रणाली, हवाई पोत और संबंधित अनुप्रयोगों एवं अंतरिक्ष पैराशूट जैसी परियोजनाओं में शामिल है।
स्रोत: पीआईबी
प्रारंभिक परीक्षा
घड़ियाल
हाल ही में पंजाब वन और वन्यजीव संरक्षण विभाग ने ‘वर्ल्ड-वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया’ (WWF-India) के सहयोग से ‘ब्यास संरक्षण रिज़र्व’ में 24 घड़ियाल (Gavialis Gangeticus) छोड़े हैं।
- ब्यास संरक्षण रिज़र्व में घड़ियाल पुनरुत्पादन पंजाब सरकार का एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- घड़ियाल, जिसे कभी-कभी गेवियल (Gavials) भी कहा जाता है, एक प्रकार का एशियाई मगरमच्छ है जो अपने लंबे, पतले थूथन के कारण अलग आकृति का होता है। मगरमच्छ सरीसृपों का एक समूह है जिसमें मगरमच्छ, घड़ियाल, कैमन आदि शामिल हैं।
- भारत में मगरमच्छों की तीन प्रजातियाँ हैं अर्थात्:
- घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस): IUCN रेड लिस्ट- गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- मगर (Crocodylus Palustris): IUCN- सुभेद्य।
- खारे पानी का मगरमच्छ (Crocodylus Porosus): IUCN- कम चिंतनीय।
- तीनों को CITES के परिशिष्ट I और वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है।
- अपवाद: ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी की खारे पानी की मगरमच्छ आबादी को CITES के परिशिष्ट II में शामिल किया गया है।
- घड़ियाल का निवास स्थान:
- प्राकृतिक आवास: भारत के उत्तरी भाग का ताज़ा पानी।
- प्राथमिक आवास: चंबल नदी (यमुना की एक सहायक नदी)।
- माध्यमिक आवास: घाघरा, गंडक नदी, गिरवा नदी (उत्तर प्रदेश), रामगंगा नदी (उत्तराखंड) और सोन नदी (बिहार)।
- महत्व: घड़ियाल की आबादी स्वच्छ नदी के पानी का एक अच्छा संकेतक है।
- संरक्षण के प्रयास:
- लखनऊ, उत्तर प्रदेश में कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केंद्र व प्रजनन केंद्र, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (घड़ियाल इको पार्क, मध्य प्रदेश)।
- जोखिम:
- नदी प्रदूषण में वृद्धि, बाँध निर्माण, बड़े पैमाने पर मछली पकड़ना और बाढ़।
- अवैध बालू खनन व अवैध शिकार।
ब्यास संरक्षण रिज़र्व:
- यह मुख्य रूप से पंजाब राज्य के उत्तर-पश्चिम में स्थित ब्यास नदी का 185 किलोमीटर लंबा खंड है।
- यह रिज़र्व भारत में लुप्तप्राय सिंधु नदी डॉल्फिन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका माइनर) की एकमात्र ज्ञात आबादी का भी आवास स्थल है।
- वर्ष 2017 में गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) के पुनर्संरक्षण के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया गया था।
व्यास नदी:
- यह रोहतांग दर्रे के पास, समुद्र तल से 4,062 मीटर की ऊँचाई पर, पीर पंजाल रेंज के दक्षिणी छोर पर रावी के स्रोत के करीब से निकलती है। यह सिंधु नदी की एक सहायक नदी है।
- यह पंजाब के हरिके में सतलुज नदी से मिलती है। यह तुलनात्मक रूप से एक छोटी नदी है जो केवल 460 किमी. लंबी है लेकिन पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में स्थित है।
- यह धौलाधार रेंज में ‘काटी और लार्गी’ में एक गॉर्ज का निर्माण करती है।
- ब्यास नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ बैन, बाणगंगा, लूनी और उहल के साथ-साथ बैनर, चक्की, गज, हरला, ममुनि, पार्वती, पाटलीकुहल, सैंज, सुकेती और तीर्थन हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
काले-भूरे रंग का अल्बाट्रॉस
हाल के एक अध्ययन में अल्बाट्रॉस (Albatrosses) की आबादी के मध्य रिश्तों की लंबी उम्र पर पड़ने वाले पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रभाव का प्रमाण प्रदान किया है।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और गर्म जल के कारण काले-भूरे रंग के अल्बाट्रॉस की आपस में बिछुड़ने की दर में अधिक वृद्धि हुई है।
प्रमुख बिंदु
- काले-भूरे रंग का अल्बाट्रॉस:
- वैज्ञानिक नाम: थालास्सारचे मेलानोफ्रिस (Thalassarche melanophris)
- ये अल्बाट्रॉस डायोमेडीडे (Diomedeidae) परिवार के सदस्य हैं इनकी ‘नालिकानुमा नाक’ (Tube-Noses) शीयरवाटर (Shearwaters), पेट्रेल (Petrels) और फुलमार(Fulmars) से संबंधित है।
- यह सबसे सामान्य और व्यापक स्तर पर पाया जाने वाला अल्बाट्रॉस है।
- इस बड़े समुद्री पक्षी का यह नाम इनकी आँखों के ऊपर गहरे काले रंग के पंखों के कारण है।
- अल्बाट्रॉस वास्तव में समुद्री पक्षी हैं, जो दक्षिणी गोलार्द्ध में महासागरों को पार करते हुए केवल प्रजनन के लिये भूमि पर लौटते हैं।
- वितरण:
- ये दक्षिण अटलांटिक में और दक्षिणी गोलार्द्ध में सर्कंपोलर के पास पाए जाते हैं। इनका परिवेश ठंडी धाराओं के साथ उत्तर की ओर बढ़ता जाता है।
- सितंबर और अक्तूबर के दौरान ये पक्षी दक्षिण अटलांटिक द्वीपों जैसे- दक्षिण जॉर्जिया और फॉकलैंड द्वीप समूह, दक्षिण सैंडविच एवं केप हॉर्न द्वीपों पर प्रजनन करते हैं।
- खतरा:
- स्थलीय जानवरों के शिकार।
- मत्स्य पालन और जलीय संसाधनों का संचयन।
- आक्रामक और अन्य समस्यात्मक प्रजातियाँ, जीन एवं रोग।
- ज्वालामुखी।
- जलवायु परिवर्तन और खतरनाक मौसम।
- संरक्षण स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN): कम चिंतनीय (Least Concern- LC)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 दिसंबर, 2021
विंटर सोल्स्टिस
21 दिसंबर को भारत समेत कई देशों में सबसे छोटा दिन होता है। ऐसा केवल पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में ही होता है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में सबसे बड़ा दिन होता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े तेइस डिग्री झुकी हुई है, इस कारण सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध से अधिक हो जाती है। इससे सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक होता है। 21 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है। इस दिन सूर्य की किरणें मकर रेखा के लंबवत होती हैं और कर्क रेखा को तिरछा स्पर्श करती हैं। इस कारण सूर्य जल्दी डूबता है और रात जल्दी हो जाती है। अर्थात् पृथ्वी जब अपनी धुरी पर चक्कर लगाती है तो किसी एक जगह पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें दिन के अंतराल को प्रभावित करती हैं जिस कारण दिन छोटा और बड़ा होता है।
एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम
देश के एयर डिफेंस सिस्टम को मज़बूती देते हुए भारतीय वायुसेना (IAF), S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) की पहली स्क्वॉड्रन को पंजाब सेक्टर में तैनात करने जा रही है। एस-400 ट्रायम्फ रूस द्वारा डिज़ाइन की गई एक गतिशील और सतह से हवा में मार करने वाली (Surface-to-Air Missile System- SAM) मिसाइल प्रणाली है। यह विश्व में लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने में सक्षम (Modern Long-Range SAM- MLR SAM) परिचालन के लिये तैनात सबसे खतरनाक आधुनिक मिसाइल प्रणाली है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम’ (THAAD) से भी बेहतर माना जाता है। यह प्रणाली 30 किमी. तक की ऊँचाई पर 400 किमी. की सीमा के भीतर विमान, मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और बैलिस्टिक तथा क्रूज़ मिसाइलों सहित सभी प्रकार के हवाई लक्ष्यों को भेद सकती है। यह प्रणाली एक साथ 100 हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है तथा उनमें से छह को एक साथ लक्षित कर सकती है।
प्रदीप कुमार रावत
हाल ही में वरिष्ठ राजनयिक प्रदीप कुमार रावत को चीन में भारत का नया राजदूत नियुक्त किया गया है। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा पर तनातनी के बीच उनकी नियुक्ति को अहम माना जा रहा है। भारतीय विदेश सेवा के वर्ष 1990 बैच के अधिकारी रावत वर्तमान में नीदरलैंड में भारतीय दूत के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। वह विक्रम मिश्री की जगह लेंगे। वह पहले हॉन्गकॉन्ग और बीजिंग में काम कर चुके हैं। रावत ने सितंबर 2017 से दिसंबर 2020 तक इंडोनेशिया एवं तिमोर-लेस्ते में राजदूत के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं।