प्रारंभिक परीक्षा
नर्मदा नदी
स्रोत: डाउन टू अर्थ
नर्मदा और अन्य नदियों के कारण गुजरात में बड़े पैमाने पर बाढ़ आई है जहाँ राज्य के दक्षिणी तथा मध्य क्षेत्रों के विभिन्न गाँव मुख्यधारा से कट गए हैं।
- नर्मदा का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर है और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने गुजरात के कुछ हिस्सों में रेड व ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
- नर्मदा नदी का प्रमुख बाँध सरदार सरोवर बाँध है, जो जलस्तर बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक है।
सरदार सरोवर परियोजना:
- परिचय:
- सरदार सरोवर परियोजना गुजरात के नवगाम के पास नर्मदा नदी पर बना एक गुरुत्व/ग्रेविटी बाँध है। इस बाँध से चार राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में पानी तथा बिजली की आपूर्ति होती है।
- ग्रेविटी बाँध का निर्माण कंक्रीट या पत्थर से किया जाता है, जिसे पूरे जल भार को नीचे की ओर स्थानांतरित करने के लिये डिज़ाइन किया जाता है।
- यह बाँध मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर सिंचाई और जलविद्युत बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं के लिये निर्मित किया गया है।
- सरदार सरोवर परियोजना गुजरात के नवगाम के पास नर्मदा नदी पर बना एक गुरुत्व/ग्रेविटी बाँध है। इस बाँध से चार राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में पानी तथा बिजली की आपूर्ति होती है।
- विशेषताएँ:
- इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 1979 में मुख्य रूप से राज्य में कृषि और बिजली से संबंधित संकट को कम करने के उद्देश्य से की गई थी।
- परियोजना से उत्पादित जल विद्युत ऊर्जा को गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों के बीच साझा किया जाएगा, जबकि सिंचाई का लाभ गुजरात एवं राजस्थान द्वारा लिया जा सकता है।
नर्मदा नदी के मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- नर्मदा नदी (जिसे रीवा के नाम से भी जाना जाता है) उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा के रूप में कार्य करती है।
- यह मैकल पर्वत के अमरकंटक शिखर से पश्चिम की ओर 1,312 कि.मी प्रवाहित होते हुए खंभात की खाड़ी में मिलती है।
- यह महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के कुछ क्षेत्रों के अलावा मध्य प्रदेश के एक बड़े क्षेत्र में जल प्रवाहित करती है।
- यह प्रायद्वीपीय क्षेत्र की पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदी है जो उत्तर में विंध्य पर्वतमाला तथा दक्षिण में सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच एक दरार घाटी से होकर बहती है।
- सहायक नदियाँ:
- दाहिनी ओर से प्रमुख सहायक नदियाँ हैं- हिरन, तेंदोरी, बरना, कोलार, मान, उरी, हटनी और ओरसांग।
- प्रमुख बायीं सहायक नदियाँ हैं- बर्नर, बंजार, शेर, शक्कर, दूधी, तवा, गंजाल, छोटा तवा, कुंडी, गोई और कर्जन।
- बाँध:
- नदी पर बने प्रमुख बाँधो में ओंकारेश्वर और महेश्वर बाँध शामिल हैं।
IMD द्वारा जारी किये गए विभिन्न कलर-कोडेड अलर्ट:
- IMD 4 रंग कोड अलर्ट :
- ग्रीन (ऑल इज़ वेल अर्थात् सब ठीक है): कोई सलाह जारी नहीं की गई है।
- येलो (बी अवेयर अर्थात् जागरूक रहें ): पीला रंग कई दिनों तक चलने वाले गंभीर रूप से खराब मौसम का संकेत देता है। इससे यह भी पता चलता है कि मौसम और भी खराब हो सकता है, जिससे दैनिक गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है।
- ऑरेंज/एम्बर (बी प्रिपेयर्ड अर्थात् तैयार रहें): ऑरेंज अलर्ट अत्यधिक खराब मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिसमें सड़क और रेल बंद होने तथा विद्युत आपूर्ति में रुकावट के साथ आवागमन में व्यवधान की संभावना होती है।
- रेड (टेक एक्शन अर्थात् कार्यवाही करना): जब बेहद खराब मौसम की स्थिति निश्चित रूप से यात्रा और विद्युत को बाधित करने वाली होती है तथा जीवन के लिये खतरा होता है, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती है, जबकि अधिकांश अन्य बड़ी प्रायद्वीपीय नदियाँ पूर्व की ओर बहती हैं, ऐसा क्यों है? (2013)
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विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 सितंबर, 2023
अब्राहम समझौते (अब्राहम एकॉर्ड) के तीन वर्ष
- अब्राहम एकॉर्ड इज़रायल और संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में इज़रायल एवं संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को व सूडान सहित कई अरब देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने हेतु समझौतों की एक शृंखला है।
- समझौते पर वर्ष 2020 में हस्ताक्षर किये गए और अरब-इज़रायल संघर्ष में एक ऐतिहासिक सफलता मिली।
- इस समझौते ने सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी मतभेदों को दूर कर सीमाओं से परे लोगों को जोड़कर सामान्यीकरण एवं शांति को बढ़ावा दिया।
- समझौते ने विस्तारित क्षेत्रीय और बहुराष्ट्रीय सहयोग की नींव रखी, जिससे भारत के लिये आर्थिक अवसर उत्पन्न हुए।
- I2U2 समूह, जिसमें इज़रायल, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका शामिल हैं, जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है।
और पढ़ें…इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन अब्राहम समझौता
ग्रीन नज
- चीन में किये गए एक अध्ययन से पता चलता है कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्मों में "ग्रीन नज" का उपयोग करने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- ग्रीन नज ऐसे अंतःक्षेप हैं जो लोगों को अधिक स्थायी/सतत् रूप से कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। ये अपेक्षाकृत एक नवीन नीति उपकरण हैं जिनका उद्देश्य पर्यावरण-समर्थक व्यवहार को बढ़ावा देना है।
- "नो डिस्पोज़ेबल कटलरी" विकल्प को अनिवार्य कर ग्राहकों को "ग्रीन पॉइंट्स" से पुरस्कृत किया गया। इस सरल परिवर्तन से नो-कटलरी ऑर्डर में 648% की वृद्धि हुई, जिससे पर्यावरण एवं उपभोक्ता व्यवहार दोनों को लाभ मिला।
- अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि शंघाई में 18 महीनों में सिंगल- यूज़ कटलरी (SUCs) के 225.33 मिलियन से अधिक सेट कम हो गए जिससे संभावित रूप से 4,506.52 मीट्रिक टन अपशिष्ट को रोका गया तथा 56,333 पेड़ों को बचाया गया।
- भारत के अग्रणी ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म, ज़ोमैटो ने इसी तरह की पहल की, जिससे कटलरी अपशिष्ट में काफी कमी आई।
और पढ़ें… भारत के लिये व्यावहारिक अर्थशास्त्र की उपयोगिता
पर्युषण पर्व, एक जैन त्योहार
पर्युषण 2023, जैन समुदाय के लिये एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। यह उपवास, ध्यान और शुद्धिकरण अनुष्ठानों के साथ आध्यात्मिक विकास का समय है। भक्त भाषणों में भाग लेते हैं, अहिंसा का पालन करते हैं और अपने पापों के लिये क्षमा मांगते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत ईसा पूर्व छठी शताब्दी में हुई थी जब जैन शिक्षक महावीर ने अपने अनुयायियों को हिंसा से दूर रहने और आध्यात्मिक शुद्धता पर ध्यान केंद्रित करने की शिक्षा दी थी।
- श्वेतांबर, जो आठ दिनों तक अनुष्ठान का पालन करते हैं और दिगंबर, जिनके लिये त्योहार 10 दिनों तक चलता है, दोनों के लिये यह आत्मनिरीक्षण, प्रतिबिंब और शुद्धिकरण का समय है। यह वर्षा ऋतु के मध्य में मनाया जाता है।
- वे स्वाध्याय भी करते हैं। पर्युषण व्यक्ति को अपनी आत्मा के करीब रहने, अपनी कमियों पर चिंतन करने, गलत कार्यों के लिये सज़ा मांगने और अपनी गलतियों को कम करने का संकल्प लेने का अवसर देता है।
और पढ़ें… जैन धर्म
निपाह का पता लगाने के लिये ट्रूनेट टेस्ट
केरल को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने निपाह (Nipah) के निदान के लिये ट्रूनेट परीक्षण का उपयोग करने की मंज़ूरी दे दी है।
- ट्रूनेट परीक्षण में किसी सैंपल में वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिये एक पोर्टेबल, स्मार्ट चिप-आधारित, बैटरी चालित RT-PCR (रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस-पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन) किट का उपयोग किया जाता है।
- ट्रूनेट भारत में निपाह वायरस परीक्षण करने के लिये ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा आपातकालीन उपयोग प्राधिकार (Emergency Use Authorization- EUA) प्राप्त करने वाली पहली किट है।
- ट्रूनेट का उपयोग उन अस्पतालों में किया जा सकता है जहाँ द्वितीय स्तर की जैव सुरक्षा सुविधाएँ और सैंपल के संदूषण को रोकने के लिये कुछ सख्त प्रोटोकॉल हैं। ट्रूनेट तेज़ी से परीक्षण करने, रोग के फैलने पर इसका पता लगाने और तेज़ी से निवारक उपाय निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
और पढ़ें… निपाह वायरस