प्रिलिम्स फैक्ट: 21 मई, 2021
ई-वे बिल
E-Way Bill
हाल ही में केंद्र सरकार ने फास्टैग (FASTag) और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio Frequency Identification- RFID) के साथ ई-वे बिल (E-Way Bill) प्रणाली को एकीकृत किया है।
प्रमुख बिंदु
इलेक्ट्रॉनिक वे (ई-वे) बिल:
- ई-वे बिल, जी.एस.टी. के तहत एक बिल प्रणाली है जो वस्तुओं के हस्तांतरण की स्थिति में जारी किया जाता है।
- इसे अप्रैल 2018 से 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के माल के अंतर्राज्यीय परिवहन पर आरोपित करना अनिवार्य बना दिया गया है, जिसमें सोने जैसी कीमती वस्तुओं को छूट दी गई है।
- यह माल का परिवहन जीएसटी कानून के अंतर्गत करने और इसकी आवाजाही को ट्रैक करने तथा कर चोरी की जाँच सुनिश्चित करने वाला एक उपकरण है।
फास्टैग:
- यह एक पुनः लोड करने योग्य (Reloadable) टैग है जो स्वचालित रूप से टोल शुल्कों को काट लेता है और वाहनों को बिना रुके टोल शुल्क जमा करने की सुविधा प्रदान करता है।
- यह रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक पर काम करता है, जिसे सक्रिय करके वाहन की विंडस्क्रीन पर लगा दिया जाता है।
- आरएफआईडी के तहत किसी ऑब्जेक्ट से जुड़े टैग पर संग्रहीत जानकारी को पढ़ने और कैप्चर करने के लिये रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है।
- यह टैग कई फीट दूर से वस्तु की पहचान कर सकता है और इसे ट्रैक करने के लिये वस्तु का प्रत्यक्ष लाइन-ऑफ-साइट (Line-of-Sight) के भीतर होने की आवश्यकता नहीं है।
- इसके इस्तेमाल को 15 फरवरी, 2021 से पूरे देश में सभी वाहनों के लिये अनिवार्य बना दिया गया है।
- यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highway Authority of India- NHAI) द्वारा संचालित है।
एकीकरण का महत्त्व:
- माल वाहनों की बड़ी संख्या में आवाजाही: ई-वे बिल प्रणाली में प्रतिदिन औसतन 25 लाख माल वाहनों की आवाजाही 800 से अधिक टोलों से होती है।
- लाइव सतर्कता: आरएफआईडी और फास्टैग के एकीकरण से कर अधिकारी व्यवसायों द्वारा ईडब्ल्यूबी अनुपालन के संबंध में लाइव सतर्कता बरत सकेंगे।
- कर अधिकारी अब उन वाहनों की रिपोर्ट देख सकेंगे जिन्होंने पिछले कुछ मिनटों में बिना ई-वे बिल के टोलों को पार किया है।
- राजस्व लीकेज पर रोक: यह पुनर्चक्रण और/या ईडब्ल्यूबी के गैर-उत्पादन के मामलों की रियल टाइम पर पहचान करके राजस्व रिसाव को रोकने में सहायता करेगा।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 मई, 2021
विश्व मेट्रोलॉजी दिवस
अंतर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली की आवश्यकता और महत्त्व को रेखांकित करने के लिये प्रतिवर्ष 20 मई को वैश्विक स्तर पर विश्व मेट्रोलॉजी दिवस का आयोजन किया जाता है। ज्ञात हो कि विश्व के कुल 17 देशों के प्रतिनिधियों ने 20 मई, 1875 को ‘मीटर कन्वेंशन’ या ‘कन्वेंशन ड्यू मेत्रे’ पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके परिणामस्वरूप ‘इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मीज़र’ (BIPM) का गठन किया गया था। इस कन्वेंशन ने मेट्रोलॉजी और इसके औद्योगिक, वाणिज्यिक एवं सामाजिक अनुप्रयोगों में वैश्विक सहयोग के लिये रूपरेखा निर्धारित की। वर्ष 2021 के लिये विश्व मेट्रोलॉजी दिवस की थीम है- ‘मीज़रमेंट ऑफ हेल्थ’। यह थीम स्वास्थ्य मापन की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। मेट्रोलॉजी जिसे माप का विज्ञान भी कहा जाता है, वैज्ञानिक खोज और नवाचार, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं औद्योगिक निर्माण, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने तथा वैश्विक पर्यावरण की रक्षा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्व मेट्रोलॉजी दिवस को ‘इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मीज़र’ (BIPM) और ‘इंटरनेशनल ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी’ (OIML) द्वारा संयुक्त तौर पर आयोजित किया जाता है।
‘ए-76’ आइसबर्ग
हाल ही में अंटार्कटिका में बर्फ का एक विशाल टुकड़ा अलग होकर दुनिया का सबसे बड़ा हिमशैल बन गया है। ‘ए-76’ नामक लगभग 1,700 वर्ग मील लंबा यह हिमखंड रोड आइलैंड (अमेरिका) से भी बड़ा है। यह आइसबर्ग अब वेडेल सागर में मौजूद है। वैज्ञानिकों की मानें तो इस तरह बनने वाले हिमखंड एक प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं और इसका निर्माण जलवायु परिवर्तन के कारण नहीं हुआ है। किंतु वैज्ञानिकों के लिये इस आइसबर्ग को ट्रैक करना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह वेडेल सागर में नेविगेट करने वाले जहाज़ोंं के समक्ष खतरा उत्पन्न कर सकता है और अंटार्कटिका को अधिक व्यापक रूप से समझने में भी महत्त्वपूर्ण हो सकता है। यह लगभग 1,668 वर्ग मील (4,320 वर्ग किलोमीटर) लंबा है, जो इसे ‘A23a’ हिमखंड से भी बड़ा बनाता है। ‘A23a’ हिमखंड का निर्माण वर्ष 1986 में हुआ था और जनवरी में इसका कुल क्षेत्रफल 1,500 वर्ग मील (4,000 वर्ग किलोमीटर) से अधिक था। हिमशैल का आशय बर्फ के उस टुकड़े से होता है जो ग्लेशियरों या शेल्फ बर्फ से टूटकर पानी में तैरने लगता है। नए हिमखंड का अध्ययन करके शोधकर्त्ता अंटार्कटिका की बर्फ की समग्र स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम होंगे। ‘B15’ नामक अब तक का सबसे बड़ा हिमशैल मार्च 2000 में रॉस आइस शेल्फ से टूटा था, जिसकी कुल लंबाई लगभग 4,200 वर्ग मील (11,000 वर्ग किलोमीटर) से अधिक थी।
आईएनएस राजपूत
तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा निर्मित काशीन-श्रेणी (Kashin-Class) के विध्वंसक जहाज़ ‘आईएनएस राजपूत’ को हाल ही में डि-कमीशन किया गया है। रूसी निर्मित इस जहाज़ को 4 मई, 1980 को कमीशन किया गया था। जहाज़ ने राष्ट्र को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कई राष्ट्रीय अभियानों में हिस्सा लिया है। इसने श्रीलंका में लिट्टे के विरुद्ध ‘भारतीय शांति सेना’ अभियानों में, इसके अलावा इसने मालदीव तट पर वर्ष 1988 में ऑपरेशन ‘कैक्टस’ में भी हिस्सा लिया था। ‘आईएनएस राजपूत’ तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा निर्मित काशीन-श्रेणी के विध्वंसक जहाज़ोंं में से एक है, जिसे 4 मई, 1980 को कमीशन किया गया था और इसने भारतीय नौसेना को 41 वर्षों से अधिक समय तक सेवा प्रदान की।
रूस-चीन परमाणु परियोजना
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को बढ़ावा देते हुए चीन में लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण हेतु अब तक की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजना को लॉन्च किया है। तियानवान परमाणु ऊर्जा संयंत्र पूर्वी जियांगसू प्रांत के लियानयुंगंग शहर में स्थित है। चीन और रूस ने संयुक्त रूप से चार परमाणु ऊर्जा इकाइयों का निर्माण करने के लिये जून 2018 में परमाणु ऊर्जा पर समझौतों के एक रणनीतिक पैकेज पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों के बीच अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है, जिसका कुल मूल्य 20 बिलियन युआन (लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक है। परियोजना पूरी हो जाने पर पर चारों इकाइयों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को प्रभावी ढंग से कम करने की उम्मीद है।