प्रीलिम्स फैक्ट्स: 21 मई, 2020
हंको
Hanko
पिछले कुछ दिनों में जैसे-जैसे जापान में COVID-19 के मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है वैसे-वैसे वहाँ के उद्योग जगत के नेताओं द्वारा हंको (Hanko) परंपरा को छोड़ने की मांग की जाने लगी है।
प्रमुख बिंदु:
- हंको आमतौर पर लकड़ी या प्लास्टिक से बनी एक मुहर होती है।
- यह लंबाई में छोटा होता है तथा इसका स्याही वाला सिरा गोल या चौकोर आकार का होता है। इस मुहर पैड में जिस स्याही का प्रयोग होता है उसे ‘शुनिकु’ (Shuniku) कहा जाता है और वह निशान जो किसी दस्तावेज़ पर छपता है उसे ‘इंकान’ (Inkan) कहा जाता है।
- इसका उपयोग अनुबंध, विवाह पंजीकरण और यहाँ तक कि वस्तु वितरण पर्ची से लेकर आधिकारिक दस्तावेज़ों को अधिकृत करने के लिये किया जाता है।
- वर्तमान में जब कई देश पेपरलेस सिस्टम की ओर बढ़ने और डिजिटल हस्ताक्षर अपनाने की बात कर रहे है तो वहीं जापान में सुरक्षा कारणों की वजह से हेंको आज भी लोकप्रिय बना हुआ है।
गौरतलब है कि जापान में कई कंपनियों द्वारा वर्क-फ्रॉम-होम शुरू किये जाने के बावजूद हंको जैसी सदियों पुरानी प्रथा कर्मचारियों को उनके कार्यस्थल पर जाने का कारण बन रही है क्योंकि कंपनियाँ सुरक्षा कारणों से कार्यालय परिसर में अपनी पंजीकृत मुहरें रखना पसंद करती हैं।
लेस इनवेसिव सर्फैक्टेंट एडमिनिस्ट्रेशन
Less Invasive Surfactant Administration
हाल ही में एक चिकित्सा तकनीक जिसे ‘लेस इनवेसिव सर्फैक्टेंट एडमिनिस्ट्रेशन’ (Less Invasive Surfactant Administration- LISA) के रूप में जाना जाता है, को राजस्थान के ‘जे.के. लोन गवर्नमेंट चिल्ड्रेन हॉस्पिटल’ में समय से पहले बच्चों में फेफड़ों की बीमारी या ‘रिस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम’ के उपचार के लिये शुरू किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- मैकेनिकल वेंटिलेशन के मद्देनज़र नवजात शिशुओं के अपरिपक्व फेफड़ों को होने वाले नुकसान से बचाने हेतु LISA को श्वसन प्रबंधन एवं वेंटिलेशन के लिये फेफड़े की सुरक्षात्मक रणनीति के रूप में विकसित किया गया है।
- LISA के लिये उपयुक्त माने जाने वाले शिशुओं को प्राथमिक ‘निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव’ (Continuous Positive Airway Pressure- CPAP) या श्वसन संकट बढ़ने के प्रमाण के साथ उच्च प्रवाह तथा बढ़ती ऑक्सीजन आवश्यकता के साथ प्रबंधित किया जा रहा है।
- LISA का नियमित अनुप्रयोग बहुत उपयोगी होगा और समय पूर्व शिशुओं के जीवन को बचाने में मदद करेगा।
पिनांगा अंडामैनेंसिस
Pinanga Andamanensis
दक्षिण अंडमान द्वीप की एक स्थानिक ताड़ (Palm) प्रजाति पिनांगा अंडामैनेंसिस (Pinanga Andamanensis) को एक दूसरे स्थान पर तिरुवनंतपुरम स्थित ‘जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिक गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (JNTBGRI) में स्थापित किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- इस प्रजाति की कुल संख्या लगभग 600 है जो केवल दक्षिण अंडमान के ‘माउंट हैरियट नेशनल पार्क’ में एक सदाबहार वन क्षेत्र में होती है।
- इसका यह (पिनांगा अंडामैनेंसिस) नाम ‘पेनांग’ से लिया गया है जो आधुनिक मलेशियाई राज्य है।
- इसे IUCN की रेड लिस्ट में ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ (Critically Endangered) प्रजाति की श्रेणी में रखा गया है और यह अंडमान द्वीप समूह के स्थानिक ताड़ प्रजातियों में से एक है।
माउंट हैरियट नेशनल पार्क:
- यह एक राष्ट्रीय उद्यान है जो भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित है।
- वर्ष 1969 में स्थापित यह पार्क लगभग 4.62 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- माउंट हैरियट (383 मीटर) जो इस पार्क का हिस्सा है, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में तीसरी सबसे ऊँची चोटी है। यहाँ उत्तरी अंडमान में स्थित सैडल पीक (732 मीटर) सबसे ऊँची चोटी तथा दूसरी सबसे ऊँची चोटी ग्रेट निकोबार में स्थित माउंट थुल्लियर (568 मीटर) है।
ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व
Tadoba Andhari Tiger Reserve
वर्ष 2019 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर ज़िले में ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व (Tadoba Andhari Tiger Reserve- TATR) में किये गए एक सर्वेक्षण में रिज़र्व के 1,727 वर्ग किमी. के कोर एवं बफर क्षेत्रों में 115 बाघों तथा 151 तेंदुओं की उपस्थिति दर्ज की है।
प्रमुख बिंदु:
- TATR में 625 वर्ग किमी. कोर और 1,127 वर्ग किमी. बफर क्षेत्र शामिल हैं। इस बार मानव निवास एवं दुर्गम क्षेत्रों को छोड़कर 1,700 वर्ग किमी. क्षेत्र में इनकी संख्या का अनुमान ‘मार्क रीकैप्चर’ और ‘कैमरा ट्रैप’ दोनों तरीकों से लगाया गया।
ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व
(Tadoba Andhari Tiger Reserve- TATR):
- ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व मध्य भारत में महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपुर ज़िले में स्थित है। ताडोबा वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1955 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और अंधारी वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1986 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- यह महाराष्ट्र का सबसे पुराना और सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
- ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व महाराष्ट्र राज्य में दूसरे टाइगर रिज़र्व के रूप में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत वर्ष 1994-95 में स्थापित किया गया था।
- महाराष्ट्र राज्य में स्थापित पहला टाइगर रिज़र्व मेलघाट टाइगर रिज़र्व (1973-74) है।
- वनस्पति: यहाँ उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं। इनमें मुख्य रुप से सागौन, ऐन, बीजा, धौड़ा, हल्दू, सलाई, सेमल और तेंदू आदि शामिल हैं।
- प्रमुख जीव-जंतु: भारतीय तेंदुए, स्लॉथ बीयर, गौर, नीलगाय, ढोले, धारीदार हाइना, भारतीय लघु कीच, जंगली बिल्ली, सांभर, चित्तीदार हिरण, जंगली कुत्ते आदि।
एनोगेयसुस लैटीफोलिया (Anogeissus latifolia) एवं ब्यूटा मोनोसपर्मा (Butea Monosperma):
- यहाँ उगने वाली ‘एनोगेयसुस लैटीफोलिया’ अग्नि प्रतिरोधी पौधे की प्रजाति है। और यहाँ पलाश (इसका वैज्ञानिक नाम ‘ब्यूटा मोनोसपर्मा’ है) के वृक्ष भी पाए जाते हैं। इसे ‘जंगल की आग’ भी कहते हैं।