प्रीलिम्स फैक्ट्स: 20 दिसंबर, 2019
गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार
Gandhi Citizenship Education Prize
हाल ही में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय समिति की दूसरी बैठक को संबोधित करते हुए पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार (Gandhi Citizenship Education Prize) की स्थापना की घोषणा की है।
पृष्ठभूमि:
भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी के आदर्शों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने तथा 150वीं जयंती मनाने के लिये वर्ष 2018 में दो समितियों का गठन किया गया था।
- राष्ट्रीय समिति (National Committee- NC)-
- इस समिति के अध्यक्ष भारत के राष्ट्रपति हैं तथा इसमें उप-राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, राजनीतिक स्पेक्ट्रम के प्रतिनिधि, गांधीवादी विचारक और सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं।
- इसके अलावा एंटोनियो कोस्टा के साथ-साथ, तुलसी गबार्ड, डेसमंड टूटू, बर्नी मेयर (अमेरिकी गांधी के रूप में जाने जाते हैं), योशीरो मोरी (जापान के पूर्व प्रधानमंत्री), कोफी अन्नान सहित अन्य विदेशी गणमान्य व्यक्ति इस समिति के सदस्य हैं।
- कार्यकारी समिति (Executive Committee- EC)-
- इस समिति के अध्यक्ष भारत के प्रधान मंत्री हैं यह समिति महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में नीतियों पर विचार करने तथा दिशा-निर्देश देने के लिए गठित की गई है।
पुरस्कार का उद्देश्य:
- इस पुरस्कार की स्थापना का उद्देश्य महात्मा गांधी के आदर्शों को शाश्वत बनाना है।
पुरस्कार के विषय में:
- यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाएगा तथा यह महात्मा गांधी के विचारों और उद्धरणों से प्रेरित होगा।
- प्रथम वर्ष के लिये यह पुरस्कार पशु कल्याण के लिये समर्पित होगा क्योंकि महात्मा गांधी का कहना था कि किसी भी राष्ट्र की महानता पशुओं के प्रति उसके व्यवहार से आँकी जा सकती है।
पिनाका निर्देशित रॉकेट प्रणाली
Pinaka Guided Rocket System
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) द्वारा विकसित ओडिशा के चाँदीपुर तट के निकट स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से पिनाका निर्देशित रॉकेट प्रणाली (Pinaka Guided Rocket System) के उन्नत संस्करण का परीक्षण किया गया।
प्रणाली के विषय में:
- पिनाका आर्टिलरी मिसाइल प्रणाली है, जिसकी मारक क्षमता पूरी सटीकता के साथ 75 किलोमीटर है।
- पिनाका के उन्नत संस्करण में नौसंचालन, नियंत्रण और दिशा-प्रणाली जोड़ी गई हैं, ताकि उसकी सटीकता और रेंज में वृद्धि हो सके।
- इसकी रेंज की ट्रैकिंग, दूरमापी (Telemetry), रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग प्रणाली (Electro-optical targeting system- EOTS) से की जाती है।
विकास:
- मिसाइल प्रणाली को DRDO की विभिन्न प्रयोगशालाओं ने विकसित किया है-
- आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (Laboratories Armament Research & Development Establishment- ARDE)
- अनुसंधान केन्द्र इमारत (Research Centre Imarat- RCI)
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (Defence Research and Development Laboratory- DRDL)
- प्रूफ एवं प्रयोगात्मक संगठन (Proof & Experimental Establishment- PXE)
- उच्च ऊर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला (High Energy Materials Research Laboratory- HEMRL)
लाभ:
- यह सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित कार्रवाई मिसाइल (Quick Reaction Surface-to-Air Missile- QRSAM) मैदानी और अर्द्ध-रेगिस्तानी इलाकों में सैन्य टुकड़ियों के लिये सहायक सिद्ध होगी।
- यह दुश्मन की उन मिसाइलों को भी निशाना बनाने में कारगर साबित होगी जो नज़दीक आकर अचानक लुप्त हो जाती हैं। इन मिसाइलों के सफल परीक्षण से भारत की सुरक्षा स्थिति मजबूत होगी।
गोवा मुक्ति दिवस
Goa Liberation Day
19 दिसंबर, 2019 को गोवा ने अपना 58वाँ मुक्ति दिवस मनाया यह भारत के स्वतंत्र होने के 14 वर्ष बाद तक पुर्तगालियों के अधीन रहा।
पृष्ठभूमि:
- पुर्तगालियों ने वर्ष 1510 में भारत के कई हिस्सों पर अपना उपनिवेश स्थापित किया परंतु 19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में पुर्तगाली उपनिवेश गोवा, दमन, दीव, दादरा, नगर हवेली और अंजेडिवा द्वीप तक ही सीमित रहा।
- गोवा मुक्ति आंदोलन ने पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की मांग की यह आंदोलन छोटे पैमाने पर एक विद्रोह के साथ शुरू हुआ लेकिन वर्ष 1940 से 1960 के बीच यह अपने चरम पर पहुँच गया।
- वर्ष 1961 में भारत द्वारा गोवा के अधिग्रहण के बाद ही यह आंदोलन समाप्त हुआ।
- राजनयिक प्रयासों की विफलता के बाद भारतीय नौसेना, वायु सेना और सेना द्वारा गोवा में ‘ऑपरेशन विजय' चलाकर 19 दिसंबर,1961 को यह राज्य पुर्तगालियों से मुक्त करा लिया गया
- पुर्तगालियों से मुक्त करने के बाद इसे दमन और दीव के साथ मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
- 30 मई, 1987 में गोवा को पूर्ण राज्य तथा दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश का दर्ज़ा दिया गया।
नदियाँ:
- गोवा के उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में मांडवी, जुआरी, चपोरा, साल आदि हैं।
प्रमुख उद्योग:
- गोवा को बायोटेक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है
- मछली पालन यहाँ का प्रमुख उद्योग है तथा यहाँ की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन है।
मुख्य भाषा:
- यहाँ की मुख्य भाषाएँ कोंकणी (राजभाषा) तथा मराठी है
- यह राज्य कोंकण रेलवे के माध्यम से मुंबई तथा मंगलुरु से जुड़ा हुआ है तथा यह मुंबई उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
सशस्त्र सीमा बल
Sashastra Seema Bal
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सशस्त्र सीमा बल (Sashastra Seema Bal- SSB) की 56वीं वर्षगाँठ का शुभारंभ किया।
स्थापना:
- सशस्त्र सीमा बल का गठन ‘विशेष सेवा ब्यूरो’ (Special Service Bureau) के रूप में वर्ष 1963 में हुआ।
- SSB को 15 जनवरी, 2001 को गृह मंत्रालय के अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल घोषित किया गया तथा 15 दिसम्बर, 2003 को इसका नाम बदलकर सशस्त्र सीमा बल कर दिया गया।
- भारत में छह अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों (असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) के साथ-साथ यह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Forces- CAPF) का हिस्सा है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है तथा तीन सीमांत मुख्यालय लखनऊ, पटना और गुवाहाटी में हैं।
कार्य:
- SSB को 19 जून, 2001 को भारत-नेपाल सीमा (1751 किलोमीटर) की सुरक्षा करने का कार्य सौंपा गया तथा इसे उस क्षेत्र की प्रमुख खुफिया एजेंसी घोषित किया गया।
- इसके अलावा भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा का दायित्व 12 मार्च, 2004 को सौंपा गया और इसके साथ ही इसे उस सीमा की भी प्रमुख खुफिया एजेंसी घोषित कर दिया गया।
- वर्तमान में SSB उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और अरुणाचल प्रदेश से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करता है।
उत्तरदायित्व:
- सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देना।
- भारतीय सीमाओं पर तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकना।
- सीमा पार अपराध को रोकना तथा भारतीय क्षेत्र में अनाधिकृत प्रवेश या उससे बाहर जाने को रोकना।
उपलब्धि:
- SSB को इसकी स्थापना के बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा में मुख्य भूमिका निभाने की मान्यता में वर्ष 2004 में प्रेसिडेंट कलर्स (President’s Colours) प्रदान किया गया।
- प्रेसिडेंट कलर्स राष्ट्र की सुरक्षा में किसी रेजिमेंट के योगदान की मान्यता में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।