Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 अक्तूबर, 2021
राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम
भारतीय नौसेना में 34 वर्ष की सेवाकाल के बाद कमोडोर अमित रस्तोगी (सेवानिवृत्त) को हाल ही में ‘राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम’ (NRDC) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है, साथ ही वह ‘रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज’ (वेलिंगटन) और ‘कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट’ (सिकंदराबाद) के भी पूर्व छात्र हैं। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC) की स्थापना वर्ष 1953 में की गई थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/विश्वविद्यालयों में विकसित प्रौद्योगिकियों, आविष्कारों, पेटेंट और प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना, विकसित करना तथा उनका व्यावसायीकरण करना है, वर्तमान में यह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय) के प्रशासनिक नियंत्रण में है। इसने 4800 से अधिक उद्यमियों को स्वदेशी तकनीक का लाइसेंस दिया है और बड़ी संख्या में लघु एवं मध्यम स्तर के उद्योगों को स्थापित करने में मदद की है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में अग्रणी होने के साथ ही ‘राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम’ अनुसंधान के लिये प्रोत्साहन और उन्नति, आविष्कारों तथा नवाचारों को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सर सैयद अहमद खान
17 अक्तूबर, 2021 को देश भर में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 204वीं जयंती मनाई गई। सर सैयद अहमद खान का जन्म वर्ष 1817 में एक ऐसे परिवार में हुआ जो मुगल दरबार के करीब था। वह कई प्रतिभाओं के धनी (सिविल सेवक, पत्रकार, शिक्षाविद, समाज सुधारक, इतिहासकार) थे। वर्ष 1857 के विद्रोह से पहले वह ब्रिटिश प्रशासन की सेवा में कार्यरत थे। भारतीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने वर्ष 1857 के विद्रोह के कारणों को स्पष्ट करने के लिये ‘द कॉज़ेज़ ऑफ द इंडियन रिवॉल्ट’ नामक पुस्तक लिखी। सर सैयद को उन महत्त्वपूर्ण मुस्लिम सुधारकों के रूप में जाना जाता है जिन्होंने मुस्लिम समाज के सुधार के लिये शैक्षिक अवसरों को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई। सर सैयद ने महसूस किया कि मुस्लिम समुदाय की प्रगति तभी संभव है, जब वह आधुनिक शिक्षा ग्रहण करेगा। इसके लिये उन्होंने अलीगढ़ आंदोलन की शुरुआत की। यह एक व्यवस्थित आंदोलन था जिसका मूल उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक स्थिति में सुधार करना था। हालाँकि बाद के वर्षों में सर सैयद द्वारा भारतीय मुसलमानों को राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल नहीं होने के लिये प्रोत्साहित किया गया जिसके कारण आलोचकों ने उन पर सांप्रदायिकता और अलगाववाद की विचारधारा को प्रोत्साहित करने का भी आरोप लगाया।
औद्योगिक विकास हेतु जम्मू-कश्मीर और दुबई के बीच समझौता
प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र एवं अन्य व्यावसायिक उद्यमों को विकसित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल ही में दुबई सरकार के साथ रियल एस्टेट एवं औद्योगिक पार्कों के विकास हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। इस संबंध में घोषणा करते हुए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन संपूर्ण विश्व को स्पष्ट संकेत देता है कि भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में बदल रहा है तथा जम्मू-कश्मीर भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। दुबई सरकार के साथ हुआ यह समझौता रियल एस्टेट विकास, औद्योगिक पार्क, आईटी टावर, बहुउद्देशीय टावर, रसद, मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को कवर करता है। सरकार को उम्मीद है कि इस समझौते के माध्यम से प्रदेश में निवेश को भी बढ़ावा मिल सकेगा। साथ ही यह समझौता जम्मू-कश्मीर के औद्योगीकरण एवं सतत् विकास की दिशा में प्रगति करने में भी मदद करेगा।
नेब्रा स्काई डिस्क
‘ब्रिटिश संग्रहालय’ जल्द ही एक प्रमुख प्रदर्शनी में आकाशीय सितारों की दुनिया का सबसे पुराना नक्शा प्रदर्शित करेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, ‘नेब्रा स्काई डिस्क’ नामक इस डिस्कनुमा नक्शे को लगभग 3600 वर्ष पूर्व जर्मनी में ‘नेब्रा’ नामक स्थान पर पर दो तलवारों, कुल्हाड़ियों, दो सर्पिल आर्म-रिंग्स और एक कांस्य छेनी के साथ दफनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि इन वस्तुओं को देवताओं को समर्पित करने हेतु दफनाया गया था। इस डिस्क का मूल्य लगभग 11 मिलियन डॉलर है। इस नक्शे की खोज वर्ष 1999 में की गई थी। तकरीबन 30 सेमी. व्यास वाली इस डिस्क को कांस्य युग की अन्य वस्तुओं के साथ खोजा गया था। इसे 20वीं शताब्दी की सबसे महत्त्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों में से एक माना जाता है और यह 1600 ईसा पूर्व के आसपास यूरोप के कुछ हिस्सों की ‘यूनीटिस संस्कृति’ से जुड़ा हुआ है। ‘यूनीटिस संस्कृति’ में बोहेमिया, बवेरिया, दक्षिण-पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी पोलैंड सहित मध्य यूरोप में कांस्य युग के शुरुआती समुदाय शामिल थे।