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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 20 Apr, 2022
  • 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा

अल्लूरी सीताराम राजू

भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा आंध्र प्रदेश के पंडरंगी में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू (1897 - 1924) के जन्मस्थान का दौरा किया।

 Alluri-Sitaram-Raju

अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?

  • अल्लूरी सीताराम राजू एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक सशस्त्र अभियान चलाया। वह 18 साल की उम्र में संत बन गए।
  • वर्तमान आंध्र प्रदेश में जन्मे सीताराम राजू ने वर्ष 1882 के मद्रास वन अधिनियम के खिलाफ  ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गए।
    • इस अधिनियम ने आदिवासियों (आदिवासी समुदायों) के उनके वन आवासों में मुक्त आवाजाही और उन्हें पारंपरिक रूप का पोडु (स्थानांतरित खेती झूम कृषि) को प्रतिबंधित कर दिया।
  • अंग्रेजों के प्रति बढ़ते असंतोष ने 1922 के रम्पा विद्रोह/मन्यम विद्रोह को जन्म दिया, जिसमें अल्लूरी सीताराम राजू ने एक नेतृत्वकर्त्ता के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
  • स्थानीय ग्रामीणों द्वारा उनके वीरतापूर्ण कारनामों के लिये उन्हें "मन्यम वीरुडु" (जंगल का नायक) उपनाम दिया गया था।
  • वर्ष 1924 में अल्लूरी सीताराम राजू को पुलिस हिरासत में ले लिया गया, एक पेड़ से बांँध कर  सार्वजनिक रूप से गोली मार दी गई तथा सशस्त्र विद्रोह को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

'एनएटीपीओएलआरईएक्स-VIII

हाल ही में भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard- ICG) द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास NATPOLREX-VIII के 8वें संस्करण का आयोजन गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह पर किया गया।

  • NATPOLREX के अलावा ICG चेन्नई में हिंद महासागर परिधि संघ (IORA) के सदस्य राष्ट्रों सहित 18 देशों के 45 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों हेतु समुद्री तेल प्रतिक्रिया और तैयारी (Marine Oil Response and Preparedness) में एक क्षमता निर्माण पेशेवर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित कर रही है।

NATPOLREX-VIII

  • NATPOLREX-VIII के बारे में: 
    • इस अभ्यास में टेबल-टॉप अभ्यास की विशेषता वाला दो दिवसीय कार्यक्रम, समुद्री तेल और HNS प्रसार पर प्रदूषण प्रतिक्रिया कार्यशाला के बाद समुद्र में अभ्यास शामिल था। 
    • इस अभ्यास के दौरान राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना (NOSDCP) के विभिन्न घटकों को आकस्मिक योजनाओं की पुष्टि व सुधार करने और समुद्र में किसी भी समुद्री रिसाव आपदा से निपटने हेतु संसाधन एजेंसियों के साथ-साथ हितधारकों की तैयारियों का मूल्यांकन करने के लिये लागू किया गया।
    • इस आयोजन में 50 एजेंसियों के 85 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें 22 मित्र देशों व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 29 पर्यवेक्षक और श्रीलंका व बांग्लादेश के दो तटरक्षक पोत शामिल हैं। 
  • उद्देश्य: 
    • समुद्री रिसाव से निपटने के लिये सभी हितधारकों की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाना है।
    • इसके अलावा इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (South Asia Cooperative Environment Programme-SACEP) समझौता ज्ञापन के अधीन राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना (NOSDCP) में निहित प्रक्रियाओं तथा दिशा-निर्देशों को लागू करना है, जिसमें भारत भी एक भागीदार सदस्य राष्ट्र है।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

पूर्वी तिमोर

हाल ही में पूर्वी तिमोर (तिमोर लेस्ते) जिसे एशिया के सबसे नवीनतम लोकतंत्र के रूप में भी जाना जाता है, में राष्ट्रपति चुनाव का दूसरा और अंतिम दौर संपन्न हुआ ।

East-Timor

पूर्वी तिमोर के बारे में प्रमुख बिंदु: 

  • इतिहास: 
    • 18वीं शताब्दी में पुर्तगाल द्वारा इस क्षेत्र का औपनिवेशीकरण किया गया तथा वर्ष 1975 तक यह क्षेत्र  पुर्तगाल के नियंत्रण में रहा। 
    • जब पुर्तगाली इस क्षेत्र से वापस गए, तो इंडोनेशिया के द्वारा इस पर आक्रमण किया गया और पूर्वी तिमोर को अपने 27वें प्रांत के रूप में स्थापित कर लिया।   
      • पूर्वी तिमोर की स्वतंत्रता के लिये एक लंबा और खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें कम से कम 1,00,000 लोग मारे गए।
    • वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण जनमत संग्रह में पूर्वी तिमोरीस ( East Timorese) द्वारा स्वतंत्रता के लिये मतदान किया गया लेकिन यह हिंसक गतिविधियों को तक तक बढ़ावा मिला जब तक कि इस क्षेत्र में शांति-रक्षक बलों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। 
      • वर्ष 2002 में देश को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता दी गई थी।
    • पूर्वी तिमोर द्वारा दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) का सदस्य बनने हेतु भी आवेदन किया गया है।
      • वर्तमान में इसे पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है। 
  • भौगोलिक स्थिति:
    • पूर्वी तिमोर दक्षिण-पूर्व में तिमोर सागर, उत्तर में वेटार जलडमरूमध्य, उत्तर-पश्चिम में ओमबाई जलडमरूमध्य और दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी तिमोर (पूर्वी नुसा तेंगारा के इंडोनेशियाई प्रांत का हिस्सा) से घिरा हुआ है। 
    • पूर्वी तिमोर में तिमोर द्वीप का पूर्वी भाग शामिल है, जिसका पश्चिमी आधा भाग इंडोनेशिया का हिस्सा है।
    • यह इज़रायल से थोड़ा छोटा 15,000 वर्ग किमी भूमि क्षेत्र में फैला है तथा इसके 1.3 मिलियन लोग मुख्य रूप से रोमन कैथोलिक हैं।

अर्थव्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था के बारे में:

  •  राजनीति: 
    • आज़ादी के बाद से लगभग 20 वर्षों में, पूर्वी तिमोर के राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों में एक जैसे कई लोगों का वर्चस्व रहा है।
    • इसकी राजनीतिक व्यवस्था में राष्ट्रपति कुछ कार्यकारी शक्तियों को भी साझा करता है और सरकार की नियुक्ति करता है तथा मंत्रियों को वीटो करने या संसद को भंग करने की शक्ति रखता है।
  • अर्थव्यवस्था: 
    • यह देश अपने अपतटीय तेल और गैस भंडार के राजस्व पर निर्भर करता है जो कि इसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 90% हिस्सा है।
    • ग्रेटर सनराइज गैस क्षेत्र ऑस्ट्रेलिया के साथ इसका एक समझौता है, जिसका अनुमानित मूल्य 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • बेयू अंडरन गैस क्षेत्र (Bayu Undan gas field), इसका मुख्य राजस्व क्षेत्र वर्ष 2023 तक सूखने के कगार पर है तथा देश अब इसे कार्बन कैप्चर सुविधाओं में बदलने के लिये ऑस्ट्रेलिया में कंपनियों के साथ सहयोग करने की योजना बना रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 अप्रैल, 2022

एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र

स्मार्ट सिटीज मिशन (Smart Cities Mission – SCM) के तहत देश के 100 शहरों का विकास किया जा रहा है, उनमें से 80 में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (Integrated Command and Control Centres – ICCC) को पहले ही स्थापित किया जा चुका है। 15 अगस्त 2022 तक बाकी बचे हुए शहरों में भी एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र किये जाएगे। इस परियोजना का उद्देश्य 100 आत्मनिर्भर, नागरिक अनुकूल शहरी बस्तियों को विकसित करना है। गृह मंत्रालय का उद्देश्य ICCC मॉडल को अंतिम रूप देने के साथ ही इस योजना को महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और राजस्थान राज्यों में एक पायलट परियोजनाके रूप में लागू करना है। एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्रों को वास्तविक समय की निगरानी हेतु डिज़ाइन किया गया है और पहले इसका उद्देश्य बिजली तथा पानी, यातायात, स्वच्छता, शहर की कनेक्टिविटी, एकीकृत भवन प्रबंधन तथा इंटरनेट बुनियादी ढांँचे की निगरानी और नियंत्रण करना था। हालाँकि, ICCCs को अब गृह मंत्रालय के अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) से भी जोड़ा जाएगा। COVID-19 महामारी के दौरान, ये कमांड सेंटर वॉर रूम के रूप में भी कार्य करते थे।

उत्सव पोर्टल 

केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र विकास (डीओएनईआर) मंत्री द्वारा 12 से 13 अप्रैल तक आयोजित होने वाले समागम सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान उत्सव पोर्टल का शुभारंभ किया। जिसका उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों को विश्वभर में लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा देने हेतु वैश्विक मंच पर भारत के कार्यक्रमों एवं त्योहारों के विभिन्न पहलुओं, तिथियों और विवरण को को प्रदर्शित करना है साथ ही श्रद्धालुओं और यात्रियों को लाइव दर्शन के रूप में भारत के कुछ प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थलों का दर्शन और अनुभव प्रदान करना है। उत्सव पोर्टल बेबसाइट पर कला और संस्कृति, अध्यात्म, संगीत, पाक कला, नृत्य, साहसिक खेल, फसल और एक्सपो व प्रदर्शनी जैसे विभिन्न श्रेणियों के तहत थ्री-डाइमेंशनल वाले अनुभव पर आधारित सामग्री का प्रदर्शन किया गया है।

पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया में बदलाव

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विकास परियोजनाओं के लिये पर्यावरण मंज़ूरी प्रक्रिया में कई बदलाव किये गए हैं। 39 प्रकार की विकास परियोजनाओं के लिये पर्यावरण मंज़ूरी (Environmental Clearance) की आवश्यकता है। विकासात्मक परियोजनाओं में जल विद्युत, खनन और ताप विद्युत आदि शामिल हैं। वर्ष 2006 में जारी पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment – EIA) अधिसूचना द्वारा मंज़ूरी प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार की गई। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) को निर्णय लेने से पूर्व किसी परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों की पहचान करने हेतु उपयोग किये जाने वाले उपकरण के रूप में परिभाषित किया जाता है। पर्यावरण प्रभाव आकलन का लक्ष्य परियोजना नियोजन और डिज़ाइन के प्रारंभिक चरण में पर्यावरणीय प्रभावों की भविष्यवाणी करना, प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के तरीके और साधन खोजना, परियोजनाओं को स्थानीय पर्यावरण के अनुरूप आकार देना तथा निर्णय निर्माताओं के लिये बेहतर विकल्प प्रस्तुत करना है।

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने हेतु जम्मू-कश्मीर को चुना गया

जम्मू ज़िले की पल्ली पंचायत को इस वर्ष पंचायती राज दिवस समारोह के लिये चुना गया है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू ज़िले के पल्ली गाँव से देश भर की पंचायतों को वर्चुअल रूप से संबोधित करेंगे। इस अवसर पर देश-विदेश के प्रसिद्ध उद्योगपतियों की मौजूदगी में 38 हज़ार 82 करोड़ रुपए के औद्योगिक विकास योजनाओं की आधारशिला रखी जाएगी। इससे विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार के चार लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर सृजित होंगे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के अंतर्गत कार्यरत भारत सरकार के उद्यम सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) द्वारा 20 दिनों के रिकॉर्ड समय में पल्ली में ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर (GMSP) संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इससे पल्ली पंचायत के घरों को स्वच्छ बिजली मिल सकेगी, जिससे यह भारत सरकार के ‘ग्राम ऊर्जा स्वराज’ कार्यक्रम के तहत पहली कॉर्बन न्यूट्रल पंचायत बन जाएगा। पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस वर्ष 2010 में मनाया गया था। तब से भारत में प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों का उल्लेख किया गया है और अनुच्छेद 246 में राज्य विधानमंडल को स्थानीय स्वशासन से संबंधित किसी भी विषय के संबंध में कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना करने के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution) को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।


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