प्रारंभिक परीक्षा
जनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर-4
हाल ही में OpenAI ने भारतीय उपयोगकर्त्ताओं के लिये अपना ChatGPT Plus सब्सक्रिप्शन लॉन्च किया है, जो उन्हें नवीनतम भाषा मॉडल GPT-4 तक शुरुआती पहुँच प्रदान करता है।
- यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब तकनीकी दिग्गज ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ AI उत्पादक प्रदान करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
GPT-4 अन्य पिछले मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
- OpenAI के अनुसार, जब रचनात्मकता, दृश्य बोध (Visual Comprehension) और संदर्भ की बात आती है तो GPT-4 अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक उन्नत है।
- इसमें संगीत, पटकथा, तकनीकी लेखन आदि सहित विभिन्न रचनात्मक परियोजनाओं पर उपयोगकर्त्ताओं के साथ सहयोग करने की क्षमता भी है।
- यह टेक्स्ट के 25,000 शब्दों तक को प्रोसेस कर सकता है और लंबी वार्तालाप की सुविधा प्रदान कर सकता है।
- GPT-4 टेक्स्ट के अलावा और भी बहुत कुछ समाहित कर सकता है- यह छवियों को इनपुट के रूप में भी स्वीकार करता है।
- इसके विपरीत GPT-3 और GPT-3.5 केवल एक टेक्स्ट साधन के रूप में संचालित होते हैं, जिससे उपयोगकर्त्ता केवल टाइप करके प्रश्न पूछ सकते हैं।
- GPT-4 अधिक बहुभाषी है और OpenAI ने प्रदर्शित किया है कि यह 26 भाषाओं में हज़ारों बहु-विकल्पों का सटीक उत्तर देकर GPT-3.5 एवं अन्य बड़े भाषा मॉडल (Large Language Models- LLM) को बेहतर बनाता है।
- यह 85.5% सटीकता के साथ अंग्रेज़ी को सबसे अच्छी तरह से संसाधित करता है, हालाँकि तेलुगू जैसी भारतीय भाषा को भी 71.4% सटीकता के साथ संसाधित करने में पीछे नहीं है।
ChatGPT:
- ChatGPT जनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर (GPT) का एक प्रकार है जो OpenAI द्वारा विकसित एक बड़े पैमाने पर तंत्रिका नेटवर्क-आधारित भाषा प्रारूप है।
- GPT मॉडल को मानव जैसा टेक्स्ट उत्पन्न करने के लिये बड़ी मात्रा में टेक्स्ट डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है।
- यह विभिन्न विषयों पर प्रतिक्रियाएँ दे सकता है, जैसे प्रश्नों का उत्तर देना, स्पष्टीकरण प्रदान करना और संवाद में भाग लेना।
- ChatGPT "अनुवर्ती प्रश्नों" का उत्तर देने के साथ "अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है, गलत धारणाओं को चुनौती दे सकता है, साथ ही अनुचित अनुरोधों को अस्वीकार कर सकता है।"
- चैटबॉट को रीइन्फोर्समेंट लर्निंग फ्रॉम ह्यूमन फीडबैक (RLHF) का उपयोग करके भी प्रशिक्षित किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमता निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
भारत का चीनी निर्यात
पाँच वर्ष पहले तक भारत एक मामूली चीनी निर्यातक था, किंतु अब विश्व में चीनी निर्यात के संदर्भ में दूसरे पायदान पर पहुँच गया है, पहले स्थान पर ब्राज़ील है। वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच निर्यात 810.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- वर्तमान वित्त वर्ष में चीनी का निर्यात 5.5 अरब डॉलर को पार कर सकता है।
भारत में चीनी उद्योग की स्थिति:
- परिचय:
- चीनी उद्योग एक महत्त्वपूर्ण कृषि-आधारित उद्योग है जो लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों की ग्रामीण आजीविका का आधार है और लगभग 5 लाख श्रमिक प्रत्यक्ष तौर पर चीनी मिलों में कार्यरत हैं।
- अक्तूबर 2021 से सितंबर 2022 में भारत विश्व में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता तथा विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है।
- वितरण:
- चीनी उद्योग मोटे तौर पर उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्रों में वितरित है- उत्तर में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब तथा दक्षिण में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश।
- दक्षिण भारत में जलवायु उष्णकटिबंधीय है जो उत्तर भारत की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली उच्च सुक्रोज सामग्री के लिये उपयुक्त है।
- चीनी उद्योग मोटे तौर पर उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्रों में वितरित है- उत्तर में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब तथा दक्षिण में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश।
- चीनी के विकास के लिये भौगोलिक स्थितियाँ:
- तापमान: ऊष्ण और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27 डिग्री सेल्सियस के बीच।
- वर्षा: लगभग 75-100 से.मी.।
- मृदा का प्रकार: समृद्ध दोमट मिट्टी।
चीनी निर्यात की स्थिति:
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 2017-18 तक भारत ने शायद ही कोई कच्ची चीनी (गन्ने के रस के पहले क्रिस्टलीकरण के बाद उत्पादित) का निर्यात किया।
- इसने मुख्य रूप से 100-150 ICUMSA मूल्य (चीनी विश्लेषण के समान तरीकों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आयोग) के साथ सफेद चीनी (कच्ची चीनी के शोधन द्वारा उत्पादित) का निर्यात किया। इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कम गुणवत्ता वाले व्हाइट(White) या LQW के रूप में जाना जाता था।
- ICUMSA शुद्धता का एक मानक है। मूल्य जितना कम होगा, सफेदी उतनी ही अधिक होगी।
- वर्तमान स्थिति:
- वर्ष 2021-22 में भारत के कुल 110 लाख टन चीनी निर्यात में से अकेले कच्ची चीनी का हिस्सा 56.29 लाख टन था।
- भारतीय कच्ची चीनी के सबसे बड़े आयातक इंडोनेशिया (16.73 लाख टन), बांग्लादेश (12.10 लाख टन), सऊदी अरब (6.83 लाख टन), इराक (4.78 लाख टन) और मलेशिया (4.15 लाख टन) थे।
- वर्ष 2021-22 में भारत के कुल 110 लाख टन चीनी निर्यात में से अकेले कच्ची चीनी का हिस्सा 56.29 लाख टन था।
- बढ़ते निर्यात का कारण:
- बैक्टीरियल यौगिक से मुक्त: भारतीय कच्ची चीनी डेक्सट्रान से मुक्त होती है तथा बैक्टीरियल यौगिक तब बनता है जब कटाई के बाद बहुत देर तक गन्ना धूप में रहता है।
- भारतीय गन्ने की कटाई के 12-24 घंटों के भीतर पेराई की जाती है, जबकि ब्राज़ील में लगभग 48 घंटे लगते हैं।
- उच्च सुक्रोज सामग्री: ब्राज़ील, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य उत्पादकों की तुलना में भारतीय कच्ची चीनी में उच्च पोलराईज़ेशन (Polarization) (98.5-99.5%) होता है, जिससे इसे परिष्कृत करना आसान और सस्ता हो जाता है।
- पोलराईज़ेशन कच्ची चीनी में मौजूद सुक्रोज का प्रतिशत है।
- बैक्टीरियल यौगिक से मुक्त: भारतीय कच्ची चीनी डेक्सट्रान से मुक्त होती है तथा बैक्टीरियल यौगिक तब बनता है जब कटाई के बाद बहुत देर तक गन्ना धूप में रहता है।
- सीमित निर्यात:
- वर्ष 2021-22 में कम स्टॉक और उत्पादन में कमी के कारण सरकार ने घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये चालू चीनी वर्ष में भारत के निर्यात को 61 लाख टन तक सीमित कर दिया है।
- सरकार ने घरेलू उपलब्धता की गारंटी देने और खाद्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिये ये कदम उठाए लेकिन विदेशी बाज़ार एक बार खो जाने के बाद फिर से हासिल करना आसान नहीं है।
- वर्ष 2021-22 में कम स्टॉक और उत्पादन में कमी के कारण सरकार ने घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये चालू चीनी वर्ष में भारत के निर्यात को 61 लाख टन तक सीमित कर दिया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में गन्ने की खेती में वर्तमान प्रवत्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: C व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारत के दक्षिणी राज्यों में नई चीनी मिलें खोलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है? न्यायसंगत विवेचन कीजिये।(2013) |
स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 मार्च, 2023
तमिलनाडु टीबी मृत्यु-मुक्त परियोजना (TN-KET)
TN-KET (तमिलनाडु कसनोई एराप्पिला थिटम, जिसका अर्थ है टीबी मृत्यु-मुक्त परियोजना) के शुरुआती टीबी मौतों की संख्या में काफी कमी आई है। यह कार्यक्रम तमिलनाडु सरकार द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, चेन्नई में राष्ट्रीय तपेदिक अनुसंधान संस्थान (Indian Council of Medical Research- National Institute of tuberculosis research- ICMR-NIRT) और WHO भारत के सहयोग से लागू किया गया है।
इस पहल के एक भाग के रूप में 'डिफरेंशिएटेड टीबी केयर' का उद्देश्य रोगियों का आकलन कर यह तय करना है कि टीबी से पीड़ित लोगों को एम्बुलेटरी देखभाल अथवा अस्पताल में प्रवेश की आवश्यकता है या नहीं। TN-KET पहल ने पहले ही रोगियों के 80% ट्राइएजिंग (गंभीरता के स्तर का आकलन), 80% रेफरल, व्यापक मूल्यांकन और गंभीर बीमारी की पुष्टि तथा 80% प्रवेश की पुष्टि के प्रारंभिक लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है।
कुदुम्बश्री और उन्नति कार्यक्रम
हाल ही में राष्ट्रपति ने विश्व के सबसे बड़े महिला स्वयं सहायता नेटवर्क में से एक ‘कुदुम्बश्री’ के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों के युवाओं के मध्य रोज़गार एवं स्व-रोज़गार के अवसर सृजित करने के लिये एक अंब्रेला कार्यक्रम 'उन्नति' शुरू किया। कुदुम्बश्री की शुरुआत वर्ष 1998 में केरल सरकार और नाबार्ड के संयुक्त कार्यक्रम के रूप में की गई थी ताकि सामुदायिक कार्रवाई के माध्यम से पूर्ण गरीबी को समाप्त किया जा सके। यह देश की सबसे बड़ी महिला सशक्तीकरण परियोजना है। इसके तीन घटक हैं, माइक्रो क्रेडिट, उद्यमिता और सशक्तीकरण। इसकी तीन स्तरीय संरचना है- पड़ोस के समूह (SHG), क्षेत्र विकास समाज (15-20 SHG) एवं सामुदायिक विकास समाज (सभी समूहों का महासंघ)।
मतुआ महामेला
मतुआ संप्रदाय के संस्थापक श्री श्री हरिचंद ठाकुर की 212वीं जयंती मनाने के लिये पश्चिम बंगाल में मतुआ मेला आयोजित किया जा रहा है। हरिचंद ठाकुर का जन्म ठाकुर समुदाय (अनुसूचित जाति समुदाय) के किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने वैष्णव हिंदू धर्म के एक संप्रदाय की स्थापना की जिसे 'मतुआ' कहा जाता है। यह नामशूद्र समुदाय के सदस्यों द्वारा अपनाया गया था, जिन्हें चांडाल के रूप में भी जाना जाता है और अछूत माना जाता है। मूल रूप से विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान से और बांग्लादेश के निर्माण के बाद मतुआ लोग भारत आ गए। हालाँकि एक बड़ी संख्या को अभी तक भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं हुई है। मतुआ महासंघ एक धार्मिक सुधार आंदोलन है, जिसकी शुरुआत 1860 ई. के आसपास आधुनिक बांग्लादेश में उत्पीड़ितों के उत्थान के लिये हुई थी।