प्रीलिम्स फैक्ट्स: 19 दिसंबर, 2019
कालेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई परियोजना
Kaleshwaram Project
कालेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई परियोजना (Kaleshwaram Lift Irrigation Project- KLIP) तेलंगाना में गोदावरी नदी पर स्थित एक बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना है।
कालेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई परियोजना के बारे में:
- यह विश्व की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना है।
- इस परियोजना को जलाशयों, पानी की सुरंगों, पाइपलाइनों और नहरों की एक एक जटिल व्यवस्था से सुसज्जित किया गया है जिसके फलस्वरूप गोदावरी के पानी को ऊँचाई वाले स्थानों की ओर प्रवाहित किया जा रहा है।
- गोदावरी औसत समुद्र तल (Mean Sea Level) से 100 मीटर नीचे बहती थी जबकि तेलंगाना औसत समुद्र तल से 300 से 650 मीटर ऊपर स्थित है।
- इस परियोजना ने विश्व की सबसे लंबी पानी की सुरंगों, एक्वा नलिकाओं (Aqua Ducts), भूमिगत वृद्धि पूल (Underground Surge Pool) और सबसे बड़े पंपों के साथ कई रिकॉर्ड बनाए हैं।
- इस परियोजना के तहत कोंडापोखम्मा सागर जलाशय के पास 618 मीटर की ऊँचाई पर पानी की आपूर्ति की जाती है।
गोदावरी नदी:
- गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है। यह पश्चिमी घाट से लेकर पूर्वी घाट तक प्रवाहित होती है। इसे दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है।
- यह पश्चिमी घाट स्थित नासिक के पास त्रयंबक पहाड़ियों से निकलती है। मुख्य रूप से इस नदी का बहाव दक्षिण-पूर्व की ओर है।
- समुद्र में मिलने से 60 मील (लगभग 96 किमी.) पहले ही नदी बहुत ही सँकरी उच्च दीवारों के बीच से बहती है। बंगाल की खाड़ी में दौलेश्वरम् के पास डेल्टा बनाती हुई यह नदी सात धाराओं के रूप में समुद्र में गिरती है।
गोदावरी की सहायक नदियाँ:
- पूर्णा
- कदम
- प्राणहिता
- सबरी
- इंद्रावती
- मजीरा
- सिंधुकाना
- मनेर
- प्रवरा
कृष्णा-गोदावरी डेल्टा:
- भारत की प्रायद्वीपीय नदियाँ- गोदावरी और कृष्णा, दोनों मिलकर 'कृष्णा-गोदावरी डेल्टा' का निर्माण करती हैं, जो सुंदरबन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा डेल्टा है। इस डेल्टा को सामान्यतः 'केजी डेल्टा' भी कहा जाता है।
बालिमेला जलाशय
Balimela Reservoir
बालिमेला जलाशय को ओडिशा और आंध्र प्रदेश सरकारों की एक संयुक्त बालिमेला परियोजना (Balimela Project) के तहत स्थापित किया गया है।
- बालिमेला परियोजना मचकुंड-सिलेरू नदी के विकास का दूसरा चरण है, इसका पहला चरण मचकुंड परियोजना है।
सिलेरू नदी:
- सिलेरू, सबरी नदी की एक सहायक नदी है। इसका उद्गम आंध्र प्रदेश में होता है और यह सबरी नदी में विलय से पहले ओडिशा से होकर बहती है।
- सिलेरू को ऊपरी भाग में मचकुंड के नाम से जाना जाता है। यह आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के त्रि-जंक्शन सीमा क्षेत्र में सबरी नदी से मिलती है।
- गोदावरी नदी के साथ विलय करने के लिये सबरी नदी आंध्र प्रदेश की सीमा को पार करती है।
होउबारा बस्टर्ड
Houbara Bustard
पाकिस्तान की सरकार ने कतर के शाही परिवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित होउबारा बस्टर्ड (Houbara Bustard) पक्षी के शिकार हेतु विशेष परमिट जारी किया है।
शारीरिक विशेषताएँ:
- होउबारा बस्टर्ड बड़े आकार का स्थलीय पक्षी हैं जिसकी कई प्रजातियों होती हैं। इनमें उड़ने वाले पक्षी भी शामिल हैं। यह सामान्यतः शुष्क जलवायु में रहता है।
- प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) के अनुसार, इसकी दो अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं। उत्तरी अफ्रीका में क्लैमाइडोटिस अंडुलाटा (Chlamydotis Undulata) और एशिया में क्लैमोटोटिस मैक्केनी (Chlamydotis Macqueenii) प्रजाति पाई जाती है। यह सामान्यतः बसंत में प्रजनन करते हैं।
अधिवास और प्रवास:
- एशियाई होउबारा बस्टर्ड अरब प्रायद्वीप से लेकर सिनाई रेगिस्तान तक पाए जाते हैं।
- सर्दियों के मौसम के दौरान एशियाई बस्टर्ड दक्षिण में पाकिस्तान और अरब प्रायद्वीप के क्षेत्रों में प्रवास करते हैं।
गिरावट का कारण:
- होउबारा बस्टर्ड की संख्या कम होने का मुख्य कारण अवैध शिकार है।
मंथन
Manthan
हाल ही में मीडिया एवं मनोरंजन कौशल परिषद (Media and Entertainment Skill Council- MESC) द्वारा मानव संसाधन और विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resources and Development- MHRD) के सहयोग से मंथन (Manthan) का आयोजन किया गया।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य मीडिया और मनोरंजन उद्योग में कौशल विकास को बढ़ावा देना तथा कुशल युवाओं एवं कार्यबल को विकसित करना है।
मंथन के विषय में:
- मंथन, मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग में उपलब्ध अवसरों की अधिकता पर केंद्रित है।
- यह MESC और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की संभावनाओं को बढ़ाता है।
- MESC के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने BSC ऐनिमेशन एवं VFX, BSC परफॉर्मिंग आर्ट्स और BSC फिल्म मेकिंग जैसे रोज़गारपरक पाठ्यक्रम विकसित किये हैं।
- संबंधित विश्वविद्यालयों को अपने कॉलेजों एवं स्वायत्त कॉलेजों के माध्यम से इन पाठ्यक्रमों को चलाने के लिये सशक्त बनाया गया है।
मकाउ की 20वीं वर्षगांठ
20th Formation Anniversary of Macau
20 दिसंबर को मकाउ (Macau) ने अपनी 20वीं वर्षगांठ मनाई जायेगी। इसी दिन पूर्वी पुर्तगाली उपनिवेश (मकाउ) चीन को वापस सौंपा गया था।
- मकाउ विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (Macau Special Administrative Region- MSAR) चीन का अभिन्न भाग है और चीन के "एक देश, दो प्रणाली" मॉडल का उदाहरण है।
- “एक देश, दो प्रणालियाँ" एक संवैधानिक सिद्धांत है जो क्रमशः वर्ष 1997 और 1999 में चीन का क्षेत्र बनने के बाद हांगकांग और मकाउ के शासन का वर्णन करता है।
शासन प्रबंधन:
- यह चीन की समाजवादी आर्थिक प्रणाली का समर्थन नहीं करता है तथा विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर इसे सभी मामलों में उच्च स्तर की स्वायत्तता प्राप्त है।
अवस्थिति:
- यह हांगकांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर पर्ल नदी के मुहाने के पास चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है।
- इसके क्षेत्र में मकाउ प्रायद्वीप और ताइपा (Taipa) तथा कोलोन (Coloane) के दो द्वीप शामिल हैं।
जनसंख्या:
- मकाउ दुनिया में सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।
अर्थव्यवस्था:
- मकाउ की अर्थव्यवस्था जुआ उद्योग और कैसिनो पर निर्भर है जिसका सरकारी आय में लगभग 80% योगदान है।
प्याज की नई किस्में
Onion’s New Varieties
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agricultural University- PAU) ने व्यावसायिक खेती के लिये प्रोसेसिंग-ग्रेड व्हाइट ओनियन {Processing-grade White Onion (PWO-2)} किस्म विकसित की है।
- अभी तक पंजाब के किसान मुख्यतः लाल रंग वाली प्रो-6 (PRO-6) और पंजाब नारोया (Punjab Naroya) किस्म का उत्पादन करते हैं।
- प्रो-6 किस्म की प्याज 120 दिनों में तैयार होती थी, साथ ही औसतन 175 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार होती है।
- पंजाब नारोया किस्म 145 दिनों में तैयार होती है, साथ ही इसकी पैदावार औसतन 150 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
- नई किस्म PWO-2 की औसत उपज 165 क्विंटल प्रति एकड़ है और यह लगभग 140 दिनों में तैयार होती है।
- विश्वविद्यालय ने वर्ष 1994 में पंजाब व्हाइट (Punjab White) नामक एक प्याज की किस्म विकसित की थी। इसकी औसत उपज 135 क्विंटल प्रति एकड़ थी हालाँकि इसमें किसानों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।
- पंजाब में 2-2.1 लाख टन प्याज का उत्पादन होता है, जो राज्य की आवश्यकता का एक तिहाई हिस्सा पूरा करता है। वर्तमान में प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए PWO-2 जैसी किस्मों की आवश्यकता है क्योंकि जिनके बल्बों (Bulbs) को परिवर्तित किया जा सकता है और संसाधित रूप में संग्रहीत किया जा सकता है।