प्रिलिम्स फैक्ट्स (19 Oct, 2022)



कार्बन डेटिंग

हाल ही में वाराणसी की एक ज़िला न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए जाने वाले विवादित ढाँचे की कार्बन-डेटिंग करने की याचिका को खारिज कर दिया है।

कार्बन डेटिंग

  • परिचय:
    • कार्बन डेटिंग कार्बनिक पदार्थों की आयु का पता करने के लिये व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि हैं।
    • सजीवों में विभिन्न रूपों में कार्बन होता है।
    • डेटिंग पद्धति इस तथ्य पर आधारित है कि कार्बन-14 (C-14) रेडियोधर्मी है और उचित दर पर इसका क्षय होता है।
      • C-14 कार्बन का समस्थानिक है जिसका परमाणु द्रव्यमान 14 है।
      • वायुमंडल में कार्बन का सबसे प्रचुर समस्थानिक C-12 है।
      • वायुमंडल में C-14 की बहुत कम मात्रा भी मौजूद होती है।
        • वातावरण में C-12 से C-14 का अनुपात लगभग स्थिर है और ज्ञात है।
    • उदाहरण के लिये, चट्टानों जैसी निर्जीव चीजों की आयु निर्धारित करने के लिये कार्बन डेटिंग पद्धति का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
    • साथ ही 40,000-50,000 वर्ष से अधिक पुरानी चीजों की आयु, कार्बन डेटिंग के माध्यम से नहीं आँकी जा सकती है।
      • ऐसा इसलिये है क्योंकि आधे जीवन के 8-10 चक्रों के बाद C-14 की मात्रा लगभग बहुत कम हो जाती है और लगभग पता नहीं चल पाता है।
  • उपयोग:
    • यह 500 से 50,000 वर्ष पुराने जीवाश्मों और पुरातात्त्विक नमूनों की डेटिंग की एक बहुमुखी तकनीक साबित हुई है।
    • इस विधि का व्यापक रूप से भूवैज्ञानिकों, मानवविज्ञानी, पुरातत्त्वविदों और संबंधित क्षेत्रों में जाँचकर्त्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है।
  • कार्बन डेटिंग का कार्य:
    • चूँकि पौधे और जानवर अपना कार्बन वायुमंडल से प्राप्त करते हैं, वे भी C-12 और C-14 को लगभग उसी अनुपात में प्राप्त करते हैं जो कि वातावरण में मौजूद है।
      • कार्बन को पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से जबकि जानवर मुख्य रूप से भोजन के माध्यम से प्राप्त करते हैं।
    • जब पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं, तो वातावरण के साथ उनका संपर्क खत्म हो जाता है।
    • रेडियोधर्मी तत्व C-14 की जीवन अवधि आधी होने के बाद भी लगभग 5,730 वर्ष होती है जिसे “हाफ लाइफ" कहा जाता है, जबकि C-12 स्थिर है।
    • किसी पौधे या जानवर के मृत होने के बाद उसके अवशेषों में C-12 से C-14 में परिवर्तन के अनुपात को मापा जा सकता है और इसका उपयोग जीव की मृत्यु के अनुमानित समय को निकालने के लिये किया जा सकता है।

निर्जीव चीजों पर डेटिंग का तरीका

  • रेडियोमेट्रिक डेटिंग के तरीके
  • इस पद्धति में, अन्य रेडियोधर्मी तत्त्वों का क्षय जो सामग्री में मौजूद हो सकता है, डेटिंग पद्धति का आधार बन जाता है।
  • इस विधि के प्रकार
    • पोटेशियम-आर्गन डेटिंग
      • पोटेशियम का रेडियोधर्मी समस्थानिक आर्गन में बदल जाता है और उनके अनुपात चट्टानों की आयु के बारे में साक्ष्य प्रदान कर सकते हैं।
    • यूरेनियम-थोरियम- लेड डेटिंग
      • यूरेनियम और थोरियम में कई रेडियोधर्मी समस्थानिक होते हैं और ये सभी स्थिर लेड परमाणु में क्षय हो जाते हैं। सामग्री में मौजूद इन तत्त्वों के अनुपात को मापा जा सकता है एवं आयु के बारे में अनुमान लगाने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


कामिकेज़ ड्रोन

हाल ही में यूक्रेन के राजधानी क्षेत्र पर ईरानी-निर्मित कामिकेज़ ड्रोन द्वारा हमला किया गया है।

  • इस प्रकार के कामिकेज़ ड्रोन की रूस के साथ चल रहे युद्ध में अमेरिका द्वारा यूक्रेन को भी आपूर्ति की गई है।

drone

कामिकेज़ ड्रोन

  • परिचय:
    • इसे स्विचब्लेड ड्रोन (Switchblade Drones) भी कहा जाता है। ये छोटे मानव रहित विमान होते हैं जो विस्फोटकों से भरे होते हैं, इन्हें सीधे एक टैंक या सैनिकों के समूह में उड़ाया जा सकता है जो लक्ष्य से टकराने व विस्फोट होने पर नष्ट हो जाते हैं।
      • इन्हें स्विचब्लेड इसलिये कहा जाता है क्योंकि इनके ब्लेड जैसे पंख लॉन्च होने पर बाहर की ओर निकले होते हैं।
    • ड्रोन में अपने लक्ष्यों पर प्रहार करने के लिये पारंपरिक मोर्चाबंदी को पार करने की क्षमता होती है और इन पर, इसके बड़े समकक्षों की लागत की तुलना में एक अंश ही खर्च होता है।।
    • इन छोटे घातक ड्रोन का रडार द्वारा पता लगाना मुश्किल होता है तथा इन्हें चेहरे की पहचान के आधार पर मानवीय हस्तक्षेप के बिना लक्ष्य को हिट करने के लिये प्रोग्राम किया जा सकता है।
  • जिन देशों के पास ऐसे ड्रोन हैं:
    • कामिकेज़ ड्रोन की इस शैली का सबसे उन्नत रूप हो सकता है तथा इसके पूर्व रूस, चीन, इज़रायल, ईरान और तुर्की के पास इसका संस्करण है।

इसकी विशिष्टताएँ:

  • हल्का वज़न:
    • छोटे वारहेड सहित सिर्फ साढ़े पाँच पाउंड वज़नी स्विचब्लेड को एक बैकपैक के सहारे युद्ध में ले जाया जा सकता है तथा लक्ष्य को हिट करने के लिये यह 7 मील तक उड़ान भर सकता है।
  • विस्फोट/ब्लास्ट रेडियस (Blast Radius) का समायोजन:
    • स्विचब्लेड में एक विशेषता होती है जो ऑपरेटर को ब्लास्ट रेडियस को समायोजित करने की अनुमति देती है। उदाहरण के लिये यह एक वाहन के चालक को मार सकता है लेकिन एक यात्री को नहीं। हथियार को विस्फोट से दो सेकंड पहले तक टाला जा सकता है।
      • विस्फोट रेडियस स्रोत से वह दूरी है जो विस्फोट होने पर प्रभावित होती है।
  • संचालन क्षेत्र के केंद्रीकृत दृश्य हेतु कैमरे:
    • ‘स्विचब्लेड’ में ऐसे कैमरे होते हैं, जो प्रभाव से कुछ सेकंड पहले के लक्ष्य को दिखाते हैं।
    • यह ड्रोन 63 मील प्रति घंटे की गति से परिभ्रमण करता है और ‘ऑपरेटरों को संचालन क्षेत्र के केंद्रीकृत दृश्य हेतु रियल-टाइम वीडियो डाउनलिंक प्रदान करता है।’

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित गतिविधियों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. खेत में फसल पर पीड़कनाशी का छिड़काव
  2. सक्रिय ज्वालामुखियों के क्रेटरों का निरीक्षण
  3. डीएनए विश्लेषण के लिये उत्क्षेपण करती हुई व्हेलों के श्वास के नमूने एकत्र करना

तकनीक के वर्तमान स्तर पर उपर्युक्त गतिविधियों में से किसे ड्रोन के प्रयोग से सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


निहोन्शू

नई दिल्ली स्थित जापान के दूतावास ने निहोन्शू/जापानी शेक के लिये भौगोलिक संकेत (GI) टैग की मांग करते हुए आवेदन किया है।

  • यह पहली बार है जब जापान ने किसी उत्पाद के भौगोलिक संकेत टैग के लिये आवेदन किया है।

निहोन्शू

  • जापान में निहोन्शू को चावल के किण्वन से बने एक विशेष और मूल्यवान पेय के रूप में माना जाता है।
  • लोग पारंपरिक रूप से त्योहारों, शादियों या अंत्येष्टि जैसे विशेष अवसरों पर निहोन्शू पीते हैं, लेकिन इसका सेवन दैनिक आधार पर भी किया जाता है।
  • इस प्रकार यह जापान में जीवन शैली और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।
  • शेक मार्केट जापान में दूसरी सबसे बड़ा शराब का बाज़ार है।

Nihonshu

भौगोलिक संकेतक (GI) टैग

  • परिचय:
    • GI एक संकेतक है, जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली विशेष विशेषताओं वाले सामानों को पहचान प्रदान करने के लिये किया जाता है।
    • वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण एवं बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
    • यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी हिस्सा है।
      • पेरिस अभिसमय के अनुच्छेद 1 (2) और 10 के तहत यह निर्णय लिया गया और यह भी कहा गया कि औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक संकेत का संरक्षण बौद्धिक संपदा के तत्त्व हैं।
    • यह मुख्य रूप से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है।
  • वैधता:
    • भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
  • भौगोलिक संकेतक का महत्त्व:
    • एक बार भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्रदान कर दिये जाने के बाद कोई अन्य निर्माता समान उत्पादों के विपणन के लिये इसके नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
    • किसी उत्पाद का भौगोलिक संकेतक अन्य पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।
    • GI टैग उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करता है।
    • यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।

स्रोत: हिंदू


डॉ. दिलीप महालनोबिस

निर्जलीकरण के लिये एक सरल, प्रभावी उपाय के रूप में ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) उपचार का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाले डॉ. दिलीप महालनोबिस का निधन हो गया है।

Dr-Dilip-Mahalanabis

 ORS

  • ORS, पानी, ग्लूकोज और नमक का एक संयोजन है जो निर्जलीकरण की समस्या से निपटने का यह एक सरल और किफायती तरीका है।
  • अंतःशिरा चिकित्सा की उपलब्धता के अभाव में दस्त से होने वाले निर्जलीकरण को रोकने और उसका इलाज करने के लिये यह चिकित्सा का एक विकल्प है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी् की गणना 60 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को बचाने के लिये की जाती है।

डॉ. दिलीप महालनोबिस

  • 12 नवंबर, 1934 को पश्चिम बंगाल में जन्मे डॉ महालनोबिस ने कोलकाता और लंदन में अध्ययन किया तथा वर्ष 1960 के दशक में कोलकाता में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल सेंटर फॉर मेडिकल रिसर्च एंड ट्रेनिंग का हिस्सा बने, जहाँ उन्होंने ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी में शोध किया।
  • डॉ. महालनोबिस वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान शरणार्थी शिविरों में काम करने के दौरान ORS का प्रयोग किया गया।
  • वर्ष 1975 से 1979 तक डॉ महालनोबिस ने अफगानिस्तान, मिस्र और यमन में WHO के लिये हैजा नियंत्रण में काम किया।
  • वर्ष 1980 के दशक के मध्य और वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में वह WHO के डायरिया रोग नियंत्रण कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारी थे।
  • वर्ष 1994 में उन्हें रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ का एक विदेशी सदस्य चुना गया।
  • वर्ष 2002 में डॉ. महालनोबिस को ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी की खोज और कार्यान्वयन में उनके योगदान के लिये बाल चिकित्सा अनुसंधान में प्रथम पोलिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 2006 में ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी के विकास और अनुप्रयोग में उनकी भूमिका के लिये उन्हें प्रिंस महिदोल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 अक्तूबर, 2022

बुकर पुरस्‍कार 2022

17 अक्तूबर, 2022 को लंदन में एक समारोह के दौरान श्रीलंका के लेखक शेहान करुणातिलका (Shehan Karunatilaka) को प्रतिष्ठित ‘बुकर पुरस्‍कार’, 2022 से सम्मानित किया गया। उन्‍हें यह पुरस्‍कार उनके उपन्‍यास ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ (The Seven Moons of Maali Almeida) के लिये प्रदान किया गया है। 47 वर्षीय करुणातिलका श्रीलंका के दूसरे उपन्‍यासकार हैं, जिन्‍हें बुकर पुरस्‍कार से सम्मानित किया गया है। इससे पूर्व वर्ष 1992 में माइकल ओन्‍डाट्से को यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘द इंग्लिश पेशेंट’ के लिये मिला था। बुकर पुरस्कार, 2022 के जूरी के अध्यक्ष नील मैकग्रेगर ने कहा कि ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ में लेखक की महत्वाकाँक्षा का दायरा और इसके कथानक को प्रस्तुत करने का तरीका प्रशंसनीय है। ‘सॉर्ट ऑफ बुक्स’ द्वारा प्रकाशित ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’, गृहयुद्ध से घिरे श्रीलंका की जानलेवा तबाही की जाँच के बीच में मृत्यु के बाद के जीवन की पड़ताल करती है। बुकर पुरस्‍कार विश्‍व के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्‍कारों में से एक है। यह पुरस्‍कार प्रत्येक वर्ष ब्रिटेन और आयरलैंड में प्रकाशित अंग्रेज़ी भाषा के साहित्य हेतु प्रदान किया जाता है। लेखक को पुरस्कार स्वरुप 50 हज़ार पाउंड की धनराशि प्राप्त होती है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस तीन दिन (19-21 अक्तूबर) की भारत  यात्रा पर 19 अक्तूबर, 2022 को मुंबई पहुँचे। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव गुतेरस ने मुंबई के ताज पैलेस होटल में 26/11 के आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धाजंलि अर्पित किया। गुतेरस 20 अक्तूबर को गुजरात के एकता नगर में प्रधानमंत्री के साथ मिशन लाइफ पुस्तिका, लोगो और टैगलाइन का शुभारंभ करेंगे। इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्री, संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव गुतेरस के साथ द्विपक्षीय चर्चा में वैश्विक मुद्दों, जी-20 देशों के सम्‍मेलन में भारत की अध्‍यक्षता सहित संयुक्‍त राष्‍ट्र के साथ भारत के सहयोग पर चर्चा करेंगे। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव भारत के पहले सौर ऊर्जा गाँव मोढेरका दौरा भी करेंगे। वे मोढेरा के सूर्य मंदिर भी जाएंगे। गुतेरस की जनवरी 2022 में दूसरी बार अपना पदभार संभालने के बाद यह पहली भारत यात्रा है। इससे पहले वे अक्‍तूबर 2018 में भारत की यात्रा पर आए थे।

दिव्यांगजनों के लिये 'सामाजिक अधिकारिता शिविर'

भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ADIP योजना के तहत 'दिव्यांगजनों' को सहायता उपकरण वितरित करने हेतु एक 'सामाजिक अधिकारिता शिविर' का आयोजन दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाद्वारा एलिम्को, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विभाग के सहयोग से 17 अक्तूबर को राजस्थान में अलवर शहर में किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिये वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार दिव्यांगों की सेवा करके उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के लिये सशक्त बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण पर कार्य कर रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने दिव्यांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 को लागू किया है, जो अब दिव्यांगों की श्रेणी को 7 से बढ़ाकर 21 करने का प्रावधान देता है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांगजनों का आरक्षण 3 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत और सरकारी नौकरियों में उनका आरक्षण 3 प्रतिशत से 4 प्रतिशत कर दिया गया है।