प्रिलिम्स फैक्ट्स (19 Jun, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट्स : 19 जून, 2021

नमामि गंगे कार्यक्रम

(Namami Gange Programme)

हाल ही में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत पश्चिम बंगाल के महेशतला (गंगा नदी के पूर्वी तट पर स्थित शहर) में 35 MLD (मेगा लीटर प्रतिदिन) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विकास के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।

  • इस प्लांट के निर्माण हेतु हाइब्रिड वार्षिकी पीपीपी मोड के तहत हस्ताक्षर किये गए थे।

प्रमुख बिंदु

नमामि गंगे कार्यक्रम:

  • नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा 'फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प जैसे दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
  • इस कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।  
  • यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • NMCG राष्ट्रीय गंगा परिषद का कार्यान्वयन विंग है (यह वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण - NGRBA को प्रस्थापित किया)।
  • इसके पास 20,000 करोड़ रुपए का केंद्रीय वित्तपोषित, गैर-व्यपगत कोष है और इसमें लगभग 288 परियोजनाएँ शामिल हैं।
  • कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं:
    • सीवेज ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर
    • रिवर फ्रंट डेवलपमेंट
    • नदी-सतह की सफाई
    • जैव विविधता
    • वनीकरण
    • जन जागरण
    • औद्योगिक प्रवाह निगरानी
    • गंगा ग्राम

गंगा नदी प्रणाली:

  • गंगा नदी उद्गम जिसे 'भागीरथी' कहा जाता है, गंगोत्री ग्लेशियर द्वारा पोषित होता है और उत्तराखंड के देवप्रयाग में यह अलकनंदा से मिलती है।
  • हरिद्वार में गंगा पहाड़ों से निकलकर मैदानी इलाकों में प्रवेश कर जाती है।
  • गंगा में हिमालय की कई सहायक नदियाँ मिलती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नदियाँ यमुना, घाघरा, गंडक और कोसी आदि हैं।

Ganga-River-Map


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 जून, 2021

मिल्खा सिंह

बहुचर्चित एथलीट और ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से प्रसिद्ध मिल्खा सिंह का हाल ही में निधन हो गया है। 20 नवंबर, 1932 को लायलपुर,पाकिस्तान (वर्तमान फैसलाबाद) में जन्मे मिल्खा सिंह विभाजन के बाद वर्ष 1947 में भारत चले आए। इसके पश्चात् वे भारतीय सेना में शामिल हुए और इस दौरान मिल्खा सिंह ने एक धावक के रूप में अपनी पहचान बनाई। 1958 के एशियाई खेलों में सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर दोनों में जीत हासिल की। इसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर दौड़ प्रतिस्पर्द्धा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, जो खेलों के इतिहास में भारत का पहला एथलेटिक्स स्वर्ण पदक था। मिल्खा सिंह चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता थे, लेकिन उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन वर्ष 1960 के रोम में 400 मीटर फाइनल में चौथा स्थान हासिल करना था, जहाँ वे मात्र 0.1 सेकंड पीछे होने के कारण कांस्य पदक प्राप्त नहीं कर सके थे। मिल्खा सिंह को वर्ष 1959 में पद्मश्री (भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक) से सम्मानित किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने पंजाब में खेल निदेशक के रूप में कार्य किया। मिल्खा सिंह की आत्मकथा ‘द रेस ऑफ माई लाइफ’ वर्ष 2013 में प्रकाशित हुई थी।

‘इन-ईयू नेवफोर’ संयुक्त अभ्यास

पहली बार भारतीय नौसेना, अदन की खाड़ी में आयोजित यूरोपीय संघ की नौसेना बल के साथ संयुक्त अभ्यास में हिस्सा ले रही है, जिसमें फ्राँसीसी, स्पेनिश और इतालवी नौसेनाओं के युद्धपोत भी शामिल हैं। 18 जून, 2021 से शुरू हुए ‘इन-ईयू नेवफोर’ (IN EUNAVFOR) नामक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में भारतीय युद्धपोत त्रिकंड हिस्स ले लिया जा रहा है। यूरोपीय संघ नौसेना बल द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय अभ्यास में एडवांस एयर डिफेंस और एंटी सबमरीन अभ्यास, क्रॉस-डेक हेलीकॉप्टर ऑपरेशन, सामरिक युद्धाभ्यास, बोर्डिंग ऑपरेशन, खोज और बचाव तथा मैन ओवरबोर्ड अभ्यास आदि का संचालन किया जाएगा। इस संयुक्त अभ्यास में शामिल नौसेनाएँ समुद्री क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये अपने युद्ध-कौशल तथा एकीकृत बल के रूप में अपनी क्षमता को बढ़ाने और सुधारने का प्रयास करेंगी। युद्ध अभ्यास में शामिल सभी देश विश्व खाद्य कार्यक्रम (UN WFP) के चार्टर के तहत काउंटर पायरेसी ऑपरेशन और तैनात जहाज़ों की सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर एकजुट रूप से कार्य कर रहे हैं। यह अभ्यास भारत और अन्य देशों के बीच तालमेल, समन्वय और अंतर-संचालन की क्षमता बढ़ाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। 

स्टाइगारक्टस केरलेंसिस

शोधकर्त्ताओं ने स्टाइगारक्टस जीनस की एक नई ‘टार्डिग्रेड’ प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम भारतीय राज्य ‘केरल’ के नाम पर रखा गया है, जहाँ इसकी खोज की गई थी। यह खोज केरल के पनडुब्बी भूजल आवासों की पारिस्थितिकी और विविधता को लेकर राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय) द्वारा किये जा रहे अध्ययन का परिणाम है। शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, ‘स्टाइगारक्टस केरलेंसिस’ नामक यह नई प्रजाति भारतीय जल में मौजूद पहली समुद्री टार्डिग्रेड है, जो नवीनतम खोज को महत्त्वपूर्ण बनाती है। ‘स्टाइगारक्टस केरलेंसिस’ स्टाइगारक्टस जीनस के तहत नामित आठवीं प्रजाति है, जो 130 माइक्रोमीटर की लंबाई तक बढ़ती है। यह एक जलीय जीव है, लेकिन यह भूमि पर भी निवास कर सकता है और वर्ष 2008 के एक अध्ययन में पाया गया कि यह बाहरी अंतरिक्ष के ठंडे वैक्यूम में जीवित रह सकता है। टार्डिग्रेड जीवों को पानी के भालू के रूप में भी जाना जाता है, यह जीव पृथ्वी पर उपलब्ध सबसे जटिल संरचना वाले लचीले एवं कठोर जीवों में से एक है। टार्डिग्रेड इतने छोटे होते हैं कि इनके अध्ययन के लिये उच्च क्षमता वाले माइक्रोस्कोप की आवश्यकता होती है। अपने छोटे आकार के बावजूद ये पृथ्वी पर मौजूद सबसे कठोर जानवर के रूप में जाने जाते हैं। यह एक जलीय जीव है, लेकिन यह भूमि पर भी निवास कर सकता है और वर्ष 2008 के एक अध्ययन में पाया गया कि यह बाहरी अंतरिक्ष के ठंडे वैक्यूम में जीवित रह सकता है। 

डॉ. केनेथ कोंडा

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आधुनिक जाम्बिया के प्रथम राष्‍ट्रपति और संस्‍थापक डॉक्‍टर केनेथ कोंडा (97) के निधन पर दुख व्‍यक्‍त किया है। केनेथ कोंडा, अफ्रीका खासतौर पर जाम्बिया के अग्रणी नेताओं में से एक थे और उन्होंने जाम्बिया में उपनिवेशवाद को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। एक पैन-अफ्रीका गठित करने के लिये प्रतिबद्ध केनेथ कोंडा ने एक नए जाम्बिया का गठन किया, जो अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपना रास्ता तय करने के लिये स्वतंत्र था। केनेथ डेविड कोंडा का जन्म 28 अप्रैल, 1924 को तत्कालीन उत्तरी रोडेशिया और कांगो की सीमा के पास एक मिशन स्टेशन पर हुआ था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद केनेथ कोंडा ने एक शिक्षक के तौर पर कार्य करना शुरू किया।  वर्ष 1953 में वे उत्तरी रोड्सियन अफ्रीकन नेशनल काॅॅन्ग्रेस के महासचिव बने, लेकिन संगठन श्वेत-शासित फेडरेशन ऑफ रोडेशिया और न्यासालैंड के खिलाफ अश्वेत अफ्रीकियों को लामबंद करने में विफल रहा। रोडेशिया और न्यासालैंड संघ को वर्ष 1963 के अंत में भंग कर दिया गया तथा कुछ ही समय बाद केनेथ कोंडा को उत्तरी रोडेशिया का प्रधानमंत्री चुना गया। बाद में जाम्बिया के रूप में नामित इस देश ने अक्तूबर 1964 में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त की और केनेथ कोंडा इसके प्रथम राष्ट्रपति बने।