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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 19 Feb, 2022
  • 15 min read
प्रारंभिक परीक्षा

‘न्यू गेको’ को आर्मी टैग

हाल ही में पशु चिकित्सकों की एक टीम ने मेघालय के उमरोई मिलिट्री स्टेशन के एक जंगली हिस्से में ‘बेंट-टोड गेको’ (Bent-Toed Gecko) छिपकली की एक नई प्रजाति की उपस्थिति दर्ज की है।

  • इसका वैज्ञानिक नाम ‘क्रायोडैक्टाइलस एक्सर्सिटस’ (Crytodactylus Exercitus) है और इसका अंग्रेज़ी नाम ‘इंडियन आर्मी बेंट-टोड गेको’ (Indian Army’s Bent-Toed Gecko) है।
  • इसके अलावा एक और नए ‘बेंट-टोड गेको’ को मिज़ोरम के सियाहा ज़िले (जहांँ यह पाया गया था) के नाम पर ‘साइरटोडैक्टाइलस सियाहेन्सिस’ (Cyrtodactylus Siahaensis) नाम दिया गया।
  • हर्पेटोलॉजिस्ट या सरीसृप विज्ञानवेत्ता वह व्यक्ति होता है, जो सरीसृप और उभयचरों के अध्ययन में विशेषज्ञ होता है।

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गेको (Geckos):

  • गेको, जीवों की सरीसृप श्रेणी के अंतर्गत आती है और अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में पाई जाती है।
  • इन रंगीन छिपकलियों ने वर्षावनों से लेकर रेगिस्तानों तथा ठंडे पहाड़ी ढलानों तक के आवासों के लिये स्वयं को अनुकूलित किया है।
  • बीते लंबे समय में गेको ने जीवित रहने और शिकारियों से बचने हेतु कुछ विशिष्ट भौतिक विशेषताएँ विकसित कर ली हैं।
  • गेको अपनी पूँछ से कई उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं। शाखाओं पर चढ़ते समय यह उनके वज़न को संतुलित करने में मदद करती है तथा वसा को स्टोर करने के लिये ईंधन टैंक के रूप में कार्य करती है साथ ही वातावरण में अदृश्य होने में मदद करती है।
    • शिकारी द्वारा पकड़े जाने के दौरान गेको अपनी पूँछ छोड़ने में सक्षम होते हैं।
  • गेको की अधिकाँश प्रजातियाँ रात्रिचर होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे रात में सक्रिय होती हैं, लेकिन दिन के दौरान सक्रिय रहने वाली गेको प्रजातियाँ कीटों, फलों और फूलों के पराग पर निर्भर होती हैं।
  • जब वे अपने क्षेत्र की रक्षा कर रहे होते हैं या किसी साथी को आकर्षित कर रहे होते हैं तो अधिकांश गेको चहकने, भौंकने और क्लिक की आवाज़ जैसे शोर करते हैं।
  • गेको की कई प्रजातियाँ हैं। प्रजातियों के आधार पर उनकी संरक्षण स्थिति कम चिंतनीय (Least Concern- LC) से लेकर गंभीर रूप से लुप्तप्राय तक है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

एक सींग वाला गैंडा

हाल ही में असम के काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में विश्व प्रसिद्ध ‘एक सींग वाले गैंडे’ (Greater one-Horned) के अवैध शिकार का मामला सामने आया है।

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प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • गैंडे की कुल पाँच प्रजातियाँ होती हैं- अफ्रीका में सफेद और काले राइनो (White and Black Rhinos in Africa), एक सींग वाले गैंडे (Greater one-Horned), एशिया में जावा और सुमात्रन गैंडे/राइनो (Javan and Sumatran Rhino) की प्रजातियाँ।
    • IUCN की रेड लिस्ट में स्थिति:
      • ब्लैक राइनो: गंभीर रूप से संकटग्रस्त। दोनों अफ्रीकी प्रजातियों में सबसे छोटा।
      • व्हाइट राइनो: खतरे या संकट के करीब। शोधकर्त्ताओं ने इन ‘विट्रो फर्टिलाइज़ेशन’ (IVF) प्रक्रिया का उपयोग करके उत्तरी व्हाइट राइनो का एक भ्रूण बनाया है।
      • एक सींग वाले गैंडे: सुभेद्य।
      • जावा: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
      • सुमात्रन राइनो: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
    • भारत में केवल एक-सींग वाला गैंडा पाया जाता है।
    • एक-सींग वाला गैंडा (भारतीय गैंडा) राइनो प्रजाति में सबसे बड़ा है।
    • इस गैंडे की पहचान एकल काले सींग और त्वचा के सिलवटों के साथ भूरे रंग से होती है।
    • ये मुख्य रूप से घास, पत्तियों, झाड़ियों और पेड़ों की शाखाओं, फल तथा जलीय पौधे की चराई (Graze) करते हैं।
  • आवास:
    • यह प्रजाति इंडो-नेपाल के तराई क्षेत्र, उत्तरी पश्चिम बंगाल और असम तक सीमित है।
    • भारत में गैंडे मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं।
    • असम में चार संरक्षित क्षेत्रों (पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य, राजीव गांधी ओरंग नेशनल पार्क, काज़ीरंगा नेशनल पार्क और मानस राष्ट्रीय उद्यान) में 2,640 गैंडे हैं।
      • इनमें से लगभग 2,400 गैंडे काज़ीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व (Kaziranga National Park and Tiger Reserve) में हैं।

संरक्षण की स्थिति:

  • IUCN की रेड लिस्ट: सुभेद्य (Vulnerable)।
  • CITES: परिशिष्ट I (इसमें ‘लुप्तप्राय’ प्रजातियों को शामिल किया जाता है, जिनका व्यापार किये जाने के कारण उन्हें और अधिक खतरा हो सकता है।)
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I

खतरा:

  • सींगों के लिये अवैध शिकार
  • पर्यावास की हानि
  • जनसंख्या घनत्व
  • घटती जेनेटिक विविधता

भारत द्वारा संरक्षण के प्रयास:

  • राइनो रेंज़ के पाँच देशों (भारत, भूटान, नेपाल, इंडोनेशिया और मलेशिया) ने इन प्रजातियों के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिये न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन ऑन एशियन राइनोज़ (The New Delhi Declaration on Asian Rhinos), 2019  पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने देश में सभी गैंडों के लिये डीएनए प्रोफाइल बनाने हेतु एक परियोजना शुरू की है।
  • राष्ट्रीय राइनो संरक्षण रणनीति: इसे वर्ष 2019 में एक-सींग वाले गैंडों के संरक्षण के लिये लॉन्च किया गया था।
  • इंडियन राइनो विज़न 2020: इसे वर्ष 2005 में शुरू किया गया। भारतीय राइनो विज़न 2020 के तहत वर्ष 2020 तक भारतीय राज्य असम में स्थित सात संरक्षित क्षेत्रों में फैले एक सींग वाले गैंडों की आबादी को बढ़ाकर कम-से-कम 3,000 से अधिक करने का एक महत्त्वाकांक्षी प्रयास था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 फरवरी, 2022

हरित हाइड्रोजन एवं अमोनिया नीति

हाल ही में केंद्र सरकार ने हरित हाइड्रोजन एवं अमोनिया नीति को अधिसूचित किया है, जिसमें अमोनिया निर्माताओं को बिजली एक्सचेंज से नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने की पेशकश की गई है। यह नीति बिजली संयंत्रों को 15 दिनों के भीतर बिजली खरीदने के लिये स्वतंत्र पहुँच की अनुमति प्रदान करती है। साथ ही यह अमोनिया निर्माताओं को अपनी अप्रयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा को 30 दिनों तक संरक्षित करने की भी अनुमति देती है। इस नीति का उद्देश्य सरकार को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाने में सहायता करना है। इससे वर्ष 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के विकास में मदद मिलेगी। सरकार ने इस अधिसूचना में कहा है कि हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के ईंधन के रूप में परिकल्पना की गई है, जो कि जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित कर देगा। गौरतलब है कि नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके इन ईंधनों का उत्पादन, जिसे हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया कहा जाता है, पर्यावरण की दृष्टि से राष्ट्र की स्थायी ऊर्जा सुरक्षा की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। यह नीति हरित हाइड्रोजन और अमोनिया क्षेत्र के लिये अनुकूल नियामक एवं सक्षम वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 

मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस

प्रतिवर्ष 19 फरवरी को देश भर में ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस’ का आयोजन किया जाता है। गौरतलब है कि इसी दिन वर्ष 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ शुरू की गई थी। संयोगवश उसी वर्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष’ भी आयोजित किया गया गया था। मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना का उद्देश्य किसानों को प्रत्येक दो साल में ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ जारी करना है, ताकि उर्वरक प्रथाओं में पोषण संबंधी कमियों को दूर करने हेतु एक आधार प्रदान किया जा सके। ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ योजना के तहत मृदा परीक्षण के आधार पर पोषक तत्त्व प्रबंधन को बढ़ावा दिया जा रहा है, क्योंकि सही मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से खेती की लागत में कमी के साथ उत्पादकता में बढ़ोतरी की जा सकती है। यह किसानों के लिये अतिरिक्त आय सुनिश्चित करता है और सतत् कृषि को बढ़ावा देता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को मृदा के पोषक तत्त्वों की स्थिति के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य एवं उसकी उर्वरता में सुधार हेतु पोषक तत्त्वों की उचित खुराक के विषय में जानकारी प्रदान करता है। मृदा के रासायनिक, भौतिक एवं जैविक स्वास्थ्य के बिगड़ने को भारत में कृषि उत्पादकता में कमी होने के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।

गोबर-धन (बायो-सीएनजी) प्लांट

प्रधानमंत्री जल्द ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इंदौर में ‘गोबर-धन (बायो-सीएनजी) प्लांट’ का उद्घाटन करेंगे। इंदौर स्थित इस बायो-सीएनजी संयंत्र का निर्माण संसाधन रिकवरी को अधिकतम करने हेतु ‘अपशिष्ट से धन’ और ‘परिपत्र अर्थव्यवस्था’ के व्यापक सिद्धांतों के तहत किया गया है। यह संयंत्र स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के तहत ‘अपशिष्ट मुक्त शहर’ बनाने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है। गोबर-धन संयंत्र, प्रतिदिन 550 टन गीले जैविक अपशिष्ट के उपचार की क्षमता के साथ प्रतिदिन लगभग 17,000 किलोग्राम सीएनजी और 100 टन जैविक खाद का उत्पादन करेगा। शून्य-लैंडफिल मॉडल के आधार पर यह संयंत्र संसाधन रिकवरी को अधिकतम करने का प्रयास करेगा। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, उर्वरक के रूप में जैविक खाद के साथ हरित ऊर्जा प्रदान करने जैसे कई पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त होंगे। यह परियोजना इंदौर क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, इंदौर नगर निगम (IMC) और इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड (IEISL) द्वारा स्थापित एक विशेष प्रयोजन कंपनी द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। 

यूपीआई को अपनाने वाला पहला देश नेपाल

नेपाल, भारत का यूपीआई सिस्टम अपनाने वाला विश्व का पहला देश होगा, जो नेपाल की अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की अंतर्राष्ट्रीय शाखा ‘एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड’ (NIPL) ने नेपाल में यूपीआई सेवाएँ प्रदान करने हेतु ‘गेटवे पेमेंट्स सर्विस’ (GPS) और मनम इन्फोटेक के साथ समझौता किया है। ‘गेटवे पेमेंट्स सर्विस’ नेपाल में अधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटर है और मनम इन्फोटेक नेपाल में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को तैनात करेगा। UPI एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लीकेशन (भाग लेने वाले बैंक के) द्वारा कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान की शक्ति प्रदान करती है। वर्ष 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने 21 सदस्य बैंकों के साथ UPI को लॉन्च किया था।


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