न्यू ईयर सेल | 50% डिस्काउंट | 28 से 31 दिसंबर तक   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 18 Nov, 2020
  • 18 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 18 नवंबर, 2020

लीलावती पुरस्कार-2020

Lilavati Award-2020

हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये ‘अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद’ (All India Council for Technical Education-AICTE) के अभिनव शिक्षा कार्यक्रम ‘लीलावती अवार्ड-2020’ (Lilavati Award-2020) की शुरुआत की।

Lilavati-Award-2020

प्रमुख बिंदु:

  • इस पहल के माध्यम से जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के साथ 'समानता एवं निष्पक्षता' का व्यवहार करने के लिये जन जागरूकता फैलाना है। 
  • इस पहल से AICTE द्वारा अनुमोदित संस्थानों में सभी हितधारकों (विशेषकर छात्राओं) को एक अनूठा अवसर मिलेगा।
    • इन अवसरों में लैंगिक भेदभाव के प्रचलित मुद्दों का समाधान प्रस्तुत करना है, जिसमें अशिक्षा, बेरोज़गारी, आर्थिक एवं पोषण संबंधी असमानताएँ, मातृ मृत्यु दर, मानव अधिकार आदि शामिल हैं।
  • इसके अलावा यदि किसी ने महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु बड़े पैमाने पर समाज में एक आदर्श स्थापित करने की दिशा में सफल प्रयास किया है तो वह अपने प्रयासों/योगदानों का प्रदर्शन कर सकता है।

लीलावती अवार्ड-2020 (Lilavati Award-2020): 

  • इस पुरस्कार की थीम ‘महिला सशक्तीकरण’ (Women Empowerment) है।  
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सफाई, स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण, साक्षरता, रोज़गार, प्रौद्योगिकी, ऋण, विपणन, नवाचार, कौशल विकास, प्राकृतिक संसाधनों और महिलाओं के अधिकारों जैसे मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। 
  • इस पुरस्कार के अंतर्गत बहु-विषयक क्षेत्रों को कवर किया जाएगा जिनमें महिलाओं का स्वास्थ्य, आत्म-रक्षा, स्वच्छता, साक्षरता, उद्यमशीलता और कानूनी जागरूकता संबंधी विषय शामिल हैं।
  • इस कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी और साथ ही शैक्षिक संस्थानों में उच्च पदों पर महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी। 

भारत का पहला कन्वर्जेंस प्रोजेक्ट

India’s first Convergence Project

ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (Energy Efficiency Services Limited- EESL) और गोवा सरकार ने राज्य में भारत के पहले कन्वर्जेंस प्रोजेक्ट (India’s first Convergence Project) को शुरू करने के संबंध में चर्चा के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

India-first-Convergence-Project

प्रमुख बिंदु:

  • ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (EESL), विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (Department of New & Renewable Energy- DNRE) के तहत सार्वजनिक उपक्रमों का एक संयुक्त उद्यम है। 
  • इस समझौता ज्ञापन के तहत EESL एवं DNRE व्यवहार्यता अध्ययन और उसके बाद विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन को अंजाम देंगे।
    • EESL सौर ऊर्जा परियोजनाओं को क्रियान्वित करेगा। 
    • कृषि पंपिंग के लिये इस्तेमाल की जाने वाली सरकारी ज़मीनों पर 100 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना करेगा। 
    • यह लगभग 6300 कृषि पंपों को BEE स्टार रेटेड ऊर्जा कुशल पंपों से बदल देगा और ग्रामीण इलाकों में लगभग 16 लाख एलईडी बल्ब वितरित करेगा।  
  • गोवा इस कन्वर्जेंस प्रोजेक्ट को अपनाने वाला भारत का पहला राज्य है। इस प्रोजेक्ट से बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) में सुधार किये जाने से स्वच्छ ऊर्जा की प्राप्ति होगी और आगामी 25 वर्षों की अवधि में गोवा को लगभग 2574 करोड़ रुपए की बचत होगी।
    • यह कन्वर्जेंस प्रोजेक्ट किसानों को स्वच्छ ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा कुशल पंप सेट भी उपलब्ध कराएगा, जो बिजली की खपत को कम करने के अलावा कृषि एवं ग्रामीण फीडर नेटवर्क को बिजली पहुँचाने से जुड़े पारेषण एवं वितरण घाटे को भी कम करेगा।
  • गोवा में सस्ती दरों पर स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से EESL अपने पहले कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर सौर परियोजनाएँ स्थापित करेगा। इसके लिये ग्राम पंचायतों और बिजली बोर्ड द्वारा प्रदान की गई खाली या अप्रयुक्त भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • सौर ऊर्जा संयंत्र को सब-स्टेशन के पास ही स्थापित किया जाएगा, जिसकी  क्षमता 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक होगी, हालाँकि इसका निर्धारण भूमि के आकार के आधार पर किया जाएगा। 
    • इससे वितरण कंपनियों को दिन में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा पारेषण के नुकसान को कम करने में सहायता प्राप्त होगी।

लाभ:

  • ये परियोजनाएँ विशेष रूप से गोवा में कृषि एवं ग्रामीण बिजली की खपत के लिये अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाने में तेज़ी लाएंगी। 
  • ये परियोजनाएँ ऊर्जा कुशल पंपिंग तथा उचित प्रकाश व्यवस्था के माध्यम से ऊर्जा की उच्च मांग को कम करने में भी सक्रिय योगदान देंगी।

अनाक्कायम लघु जलविद्युत परियोजना

Anakkayam Small Hydro Electric Project

केरल में पर्यावरणविद एवं आदिवासी समुदाय वज़हाचल (Vazhachal) वन प्रभाग में केरल राज्य विद्युत बोर्ड (Kerala State Electricity Board- KSEB) द्वारा संचालित अनाक्कायम लघु जलविद्युत परियोजना (Anakkayam Small Hydro Electric Project) का विरोध कर रहे हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • इस विरोध का कारण वन भूमि पर आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन और पर्यावरणीय विनाश बताया गया है।
  • KSEB ने हाल ही में वज़हाचल डिवीज़न में आवंटित वन क्षेत्र में ठोस लकड़ी और शीशम के पेड़ों को हटाने का आदेश जारी किया ताकि इस जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य को गति दी जा सके।
  • अनाक्कायम लघु जलविद्युत परियोजना के तहत शोलायर बाँध (Sholayar Dam) के जल का उपयोग करके बिजली पैदा की जाएगी।
  • KSEB के अनुसार, इस परियोजना से उत्पादित बिजली का उच्च मूल्य होगा क्योंकि शोलायर जलाशय में 12.3 टीएमसी जल के निस्तारण के कारण उत्पादन मुख्य रूप से गर्मियों के मौसम में होता है।    
  • 7.5 मेगावाट की यह परियोजना लगभग आठ हेक्टेयर वन भूमि पर परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व (Parambikulam Tiger Reserve- PTR) के बफर ज़ोन में स्थापित की जाएगी।
    • यह परियोजना सबसे पहले 1990 के दशक में चर्चा में आई थी और 139.62 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना को हाल ही में प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी।

लोअर शोलायर बाँध (Lower Sholayar Dam):

  • यह बाँध चालाकुडी नदी बेसिन में अवस्थित है। 
  • लोअर शोलयार बाँध, चालाकुडी शहर (Chalakudy Town) से लगभग 60 किमी. की दूरी पर अवस्थित है। अपर और लोअर के साथ अंतर इसलिये है क्योंकि इस बाँध में दो जलाशय हैं।
  • अपर शोलायार बाँध तमिलनाडु में अवस्थित है, जबकि लोअर शोलायार बाँध केरल में अवस्थित है।
  • पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण यह बाँध स्थानीय लोगों की जीवन रेखा है और यह बाँध शोलायर वनों से घिरा हुआ है।

परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व

(Parambikulam Tiger Reserve- PTR):

PTR

  • परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व दक्षिण भारत के केरल राज्य के पलक्कड़ ज़िले में 391 वर्ग किलोमीटर का संरक्षित क्षेत्र है।
  • यहाँ वन्यजीव अभयारण्य, जिसका क्षेत्रफल 285 वर्ग किलोमीटर है, वर्ष 1973 में स्थापित किया गया था। परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य को 19 फरवरी, 2010 को परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व के हिस्से के रूप में घोषित किया गया था।
  • यह अन्नामलाई हिल्स और नेल्लीयाम्पथी (Nelliyampathy) पहाड़ियों के बीच पहाड़ियों की सुंगम (Sungam) श्रेणी में अवस्थित है।

चालाकुडी नदी (Chalakudy River):

  • चालाकुडी नदी केरल की चौथी सबसे लंबी नदी है।
  • इस नदी का कुल बेसिन क्षेत्र तकरीबन 1704 किलोमीटर लंबा है, जिसमें से 1404 किलोमीटर का हिस्सा केरल में पड़ता है और शेष 300 किलोमीटर का हिस्सा तमिलनाडु में पड़ता है।
  • यह नदी केरल के पलक्कड़, त्रिशूर और एर्नाकुलम ज़िलों से होकर बहती है।

काकापो तोता

Kakapo Parrot

गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) काकापो तोता (Kakapo Parrot) ने अभूतपूर्व रूप से दूसरी बार न्यूज़ीलैंड बर्ड ऑफ द ईयर 2020 (New Zealand Bird of the Year 2020) प्रतियोगिता जीती है।

Kakapo-Parrot

प्रमुख बिंदु:

  • ‘बर्ड ऑफ द ईयर’ प्रतियोगिता न्यूज़ीलैंड के पक्षियों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिये न्यूज़ीलैंड के स्वतंत्र संरक्षण संगठन ‘फॉरेस्ट एंड बर्ड’ द्वारा आयोजित एक वार्षिक प्रतियोगिता है। 
  • न्यूज़ीलैंड के संरक्षण विभाग के अनुसार, यह तोते की सबसे भारी प्रजातियों में से एक है। वर्ष 2019 काकापो का सबसे सफल प्रजनन काल रहा।
    • शोधकर्त्ताओं का मानना है कि इस तोते का प्रजनन पैटर्न बदलने का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन हो सकता है।
  • काकापो तोता (जिसका माओरी भाषा में अर्थ ‘नाइट पैरेट’ है), जिसे ‘उल्लू तोता’ (Owl Parrot) के रूप में भी जाना जाता है, न्यूज़ीलैंड का रात्रिचर एवं न उड़ पाने वाला तोता है।
  • वर्तमान में इनकी कुल संख्या 147 है। 
  • इसे IUCN की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) श्रेणी में तथा CITES में परिशिष्ट 1 (Appendix 1) में सूचीबद्ध किया गया है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 नवंबर, 2020

बंगलूरू टेक समिट-2020

19 नवंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘बंगलूरू टेक समिट-2020’ (Bengaluru Tech Summit-2020) का उद्घाटन करेंगे। बंगलूरू टेक समिट, भारत का प्रमुख टेक कार्यक्रम है और इस वर्ष इस कार्यक्रम के 23वें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। वर्ष 2020 के लिये इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘नेक्‍स्‍ट इज़ नाउ’ (Next is Now) रखा गया है। इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य तौर पर कोरोना वायरस महामारी के बाद विश्व में सूचना टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स तथा बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और स्विस कॉन्‍फेडरेशन के उपाध्यक्ष गाई पार‍मेलिन समेत कई अन्य प्रसिद्ध लोग हिस्सा लेंगे। तीन दिवसीय इस टेक समिट का आयोजन कर्नाटक सरकार द्वारा कर्नाटक नवप्रवर्तन और टेक्‍नोलॉजी सोसाइटी तथा कई अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर किया जा रहा है।

स्टैच्यू ऑफ पीस

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन आचार्य श्री विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज की 151वीं जयंती के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राजस्थान के पाली ज़िले में ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का अनावरण किया। 151 इंच ऊँची यह प्रतिमा अष्टधातु से बनाई गई है, इन 8 धातुओं में तांबा प्रमुख घटक है। ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का अनावरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘स्टेचू ऑफ पीस’, विश्व में शांति, अहिंसा और सेवा का एक प्रेरणास्रोत बनेगा। जैन आचार्य श्री विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज (वर्ष 1870-1954) ने अपने संपूर्ण जीवन में जैन संत के रूप में निष्ठापूर्वक और समर्पित रूप से भगवान महावीर के संदेश को फैलाने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। श्री विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज ने जनता के कल्याण, शिक्षा के प्रसार, सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिये भी अथक परिश्रम किया। उन्होंने प्रेरणादायक साहित्य (कविता, निबंध और भक्ति भजन) की भी रचना की और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन तथा स्वदेशी को अपनाने का समर्थन किया।

गऊ कैबिनेट

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि राज्य सरकार राज्य में गायों के संरक्षण और संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिये 'गऊ कैबिनेट' (Cow Cabinet) के नाम से एक नई समिति का गठन करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक, ‘गऊ कैबिनेट’ की पहली बैठक 22 नवंबर को आयोजित की जाएगी। हालाँकि मध्य प्रदेश सरकार ने अभी तक ‘गऊ कैबिनेट’ की शक्तियों और उत्तरदायित्वों को लेकर कोई विवरण जारी नहीं किया है। गौरतलब है कि इस वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी राज्य में गौ हत्या को रोकने के लिये एक अध्यादेश पारित किया था। इस अध्यादेश के तहत उत्तर प्रदेश में गाय की हत्या पर 10 वर्ष तक की सज़ा और 3 से 5 लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

मालाबार अभ्यास 

उत्तरी अरब सागर में मालाबार नौसैनिक अभ्यास के दूसरे चरण की शुरुआत की गई , इसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की नौसेनाओं द्वारा हिस्सा लिया जा रहा है। मालाबार अभ्यास का दूसरा चरण 17- 20 नवंबर के बीच आयोजित किया जाएगा, जबकि इस अभ्यास का पहला चरण नवंबर माह के पहले सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया गया था। वर्ष 2020 का मालाबार अभ्यास इस लिहाज़ से काफी महत्त्वपूर्ण है कि इस बार ऑस्ट्रेलिया भी इस अभ्यास में हिस्सा ले रहा है, जबकि असल में यह एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास है जिसका आयोजन वार्षिक रूप से भारत-जापान-अमेरिका की नौसेनाओं के बीच किया जाता है। मालाबार नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 1992 में एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में हुई थी। वर्ष 2015 में इस अभ्यास में जापान के शामिल होने के बाद से यह एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास बन गया। 


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2