प्रीलिम्स फैक्ट्स: 18 मार्च, 2019
VC 11184
देश की प्रमुख जहाज़ निर्माता कंपनी हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) के प्रथम मिसाइल ट्रैकिंग जहाज़ के समुद्री परीक्षणों को उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। हर प्रकार की स्थिति में जहाज़ को सफल साबित करने के लिये हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड समुद्री परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित कर रही है।
- इस जहाज़ के निर्माण की शुरुआत 30 जून, 2014 को की गई थी। इसका निर्माण राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एक तकनीकी खुफिया एजेंसी जो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की देखरेख में काम करती है) के लिये किया गया है।
- इस परियोजना की लागत लगभग 750 करोड़ रुपए है।
- भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद इसका नामकरण किया जाएगा। फिलहाल, इसे केवल VC 11184 नाम दिया गया है।
- यह अपनी तरह का पहला महासागर निगरानी जहाज़ होगा।
- इस जहाज़ के सफल परीक्षण के साथ ही भारत ऐसे देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास इस तरह का परिष्कृत महासागर निगरानी जहाज़ है।
- 300 चालक दल वाले इस जहाज़ में उच्च तकनीकी यंत्र और संचार उपकरण लगे हुए हैं, यह दो डीज़ल इंजनों द्वारा संचालित होता है तथा हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिये इसमें पर्याप्त स्थान है।
भारत के पहले लोकपाल
- हाल ही में लोकपाल की नियुक्ति के लिये गठित समिति ने भारत के पहले लोकपाल के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष के नाम पर सहमति दर्ज़ की है।
- इस उच्च-स्तरीय समिति में भारत के प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी; भारत के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस रंजन गगोई; लोकसभा स्पीकर, श्रीमती सुमित्रा महाजन और मुख्य अधिवक्ता मुकुल रोहतगी शामिल हैं।
- जस्टिस घोष मार्च 2013 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे और मई 2017 में सेवानिवृत्त हुए तथा वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं।
- जस्टिस घोष, जस्टिस अमिताव रॉय के साथ उस पीठ का हिस्सा थे जिसने आय से अधिक संपत्ति के मामले में वी.के. शशिकला की सज़ा को बरकरार रखा था।
- गौरतलब है कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से 50% सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि के होने चाहिये।
- इस अधिनियम में सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिये एक सांविधिक निकाय के गठन का प्रावधान है।
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☞ लोकपाल पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश
‘खांदेरी’ नौसेना में शामिल होने के लिये तैयार
- स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी ‘खांदेरी’ नौसेना में शामिल होने के लिये तैयार है। इसे अप्रैल के अंत तक या मई की शुरुआत में नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
- ‘खांदेरी’ का जलावतरण जनवरी 2017 में किया गया था और तब से यह परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुज़र रही है।
- छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों को ‘प्रोजेक्ट -75I’ के तहत मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा फ्राँस से प्राप्त प्रौद्योगिकी की सहायता से बनाया जा रहा है।
- 'खांदेरी’ भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की स्टील्थ पनडुब्बियों में से दूसरी है, पहली पनडुब्बी कलवारी दिसंबर 2017 में नौसेना में शामिल हो चुकी है।
- स्कॉर्पीन क्लास की तीसरी पनडुब्बी 'करंज' भी लॉन्च की जा चुकी है। चौथी पनडुब्बी ‘वेला’ जलावतरण के लिये तैयार है।
- अंतिम दो पनडुब्बियाँ वागीर और वाग्शीर विनिर्माण के उन्नत चरणों में हैं। यह परियोजना 2020 तक पूरी होने की उम्मीद है।
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☞ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी
CAPEX
भारतीय रिज़र्व बैंक के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, 2018-19 की पहली छमाही में मंज़ूर की गई परियोजनाएँ पूंजीगत व्यय (Capital Expenditures-CapEx) चक्र में सुधार प्रदर्शित कर रही हैं।
पूंजीगत व्यय (CapEx)
- पूंजीगत व्यय (जिसे आमतौर पर CapEx के रूप में जाना जाता है) किसी कंपनी द्वारा संपत्ति, भवन, औद्योगिक संयंत्र, प्रौद्योगिकी या उपकरण जैसी भौतिक परिसंपत्तियों को हासिल करने, उनका उन्नयन करने तथा उन्हें बनाए रखने हेतु उपयोग में लाया जाता है।
- पूंजीगत व्यय में शामिल हो सकते हैं:
• संयंत्र और उपकरणों की खरीद
• भवनों का विस्तार और उनमें सुधार
• हार्डवेयर की खरीदारी, जैसे-कंप्यूटर
• माल की ढुलाई हेतु वाहन