प्रिलिम्स फैक्ट्स: 17 अक्तूबर, 2020
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड
National Security Guard
15 अक्तूबर, 2020 को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard) का 36वाँ स्थापना दिवस मनाया गया।
प्रमुख बिंदु:
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) का गठन:
- इसकी परिकल्पना वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान भारतीय सेना को पहुँची क्षति के बाद की गई थी।
- देश में ‘आतंकी गतिविधियों का मुकाबला करने और आंतरिक गड़बड़ी के खिलाफ राज्यों की रक्षा करने’ के लिये NSG का गठन वर्ष 1984 में एक संघीय आकस्मिक बल (Federal Contingency Force) के रूप में किया गया था।
- यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। सामान्यतः इनको ब्लैक कैट (Black Cats) के नाम से जाना जाता है।
- NSG द्वारा संपन्न दायित्त्व:
- यह विशिष्ट परिस्थितियों से निपटने के लिये विशेष रूप से प्रशिक्षित और सुसज्जित होती है तथा इसका उपयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में आतंकवाद के गंभीर कृत्यों को विफल करने के लिये किया जाता है।
- NSG ने ऑपरेशन ब्लू स्टार और अक्षरधाम पर आतंकी हमले जैसे असाधारणीय स्थितियों में सफलतापूर्वक कार्य किया है।
- NSG का आदर्श वाक्य (MOTO):
- NSG का आदर्श वाक्य (MOTO) ‘सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा’ (Omnipresent Omnipotent Security) है।
- भूमिका:
- आंतरिक सुरक्षा को स्थिर रखने में NSG की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
- असाधारण स्थितियों में विशेष आतंकवाद निरोधक बल के रूप में तैनाती।
- आतंकवाद के विरुद्ध भारत की ज़ीरो टॉलरेंस (Zero Tolerance) की नीति में NSG की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- NSG में कर्मियों एवं अधिकारियों के समूह:
- NSG में कर्मियों और अधिकारियों के दो समूह हैं:
- स्पेशल एक्शन ग्रुप (Special Action Group-SAG)
- स्पेशल रेंजर ग्रुप (Special Ranger Group-SRG)
- NSG में कर्मियों और अधिकारियों के दो समूह हैं:
- SAG का कार्य आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को अंजाम देना है, वहीं SRG का प्रयोग VIP सुरक्षा के लिये किया जाता है।
गौरतलब है कि जनवरी, 2020 में NSG को वीआईपी सुरक्षा के कार्य से हटा दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक प्रमुख आतंकवाद विरोधी एवं अपहरण विरोधी बल के रूप में वह अपनी मूल भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित कर सके।
क्वानॉन
QAnon
15 अक्तूबर, 2020 को यू ट्यूब (YouTube) ने घोषणा की कि वह डोनाल्ड ट्रंप समर्थक षड्यंत्रकारी सिद्धांत (Conspiracy Theory) या आंदोलन ‘क्वानॉन’ (QAnon) को बढ़ावा देने वाली सामग्री को अवरुद्ध करने के लिये अतिरिक्त उपाय करेगा।
- उल्लेखनीय है कि ‘क्वानॉन’ (QAnon) हाल के दिनों में सुर्खियों में रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- जुलाई 2020 में ट्विटर और टिकटाॅक ने ‘क्वानॉन’ से संबंधित कुछ हैशटैग को अवरुद्ध किया था और इनसे संबंधित कुछ खातों को हटा दिया।
- अगस्त 2020 में फेसबुक ने ‘क्वानॉन’ (QAnon) समूहों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
- वर्ष 2019 में FBI ने कहा था कि ‘क्वानॉन’ सहित राजनीतिक षड्यंत्रकारी सिद्धांत संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये आतंरिक खतरे हैं जो कुछ घरेलू चरमपंथियों को पूरी तरह से या आंशिक रूप से आपराधिक या हिंसक गतिविधियों में लिप्त होने के लिये प्रेरित करते हैं।
‘क्वानॉन’ (QAnon):
- इस षड्यंत्रकारी सिद्धांत या आंदोलन की शुरुआत वर्ष 2017 के आसपास हुई थी जब ‘Q’ या ‘Q क्लीयरेंस पैट्रियट’ (Q Clearance Patriot) नामक एक अनाम उपयोगकर्त्ता ने षड्यंत्रकारी सिद्धांतों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर दिया।
- ‘Q’ मुख्य गुप्त सूचना (Top-secret Information) तक पहुँच के लिये अमेरिकी ऊर्जा विभाग द्वारा दी गई सुरक्षा मंज़ूरी को संदर्भित करता है।
- ‘Q’ जो ट्रंप प्रशासन की संवेदनशील जानकारी तक पहुँच के साथ एक उच्च पदस्थ खुफिया अधिकारी होने का दावा करता है, ने वर्ष 2017 में ‘4chan’ प्लेटफॉर्म पर सामग्री पोस्ट करना शुरू किया था किंतु अब ‘8kun प्लेटफॉर्म’ पर सामग्री पोस्ट करता है।
- ‘8kun प्लेटफॉर्म’ 8chan के संस्थापकों द्वारा संचालित एक वेबसाइट है जो वर्ष 2019 में टेक्सास के एल पासो (El Paso) में बड़े पैमाने पर फायरिंग के बाद बंद हो गई थी क्योंकि हत्यारों ने 8chan प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर घृणा फैलाने वाली सामग्री पोस्ट की थी।
षड्यंत्रकारी सिद्धांत (Conspiracy Theory) क्या है?
- ‘क्वानॉन’ (QAnon) के अनुयायियों का मानना है कि दुनिया को पीडोफाइल (Paedophiles) के एक गुप्त दल द्वारा चलाया जा रहा है जो शैतान/पिशाच की पूजा करते हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप का भी एक उद्देश्य है कि वे इस गुप्त दल को हटा दें और उन्हें दंडित करें।
- पीडोफाइल (Paedophiles) वह व्यक्ति होता है जो बच्चों के प्रति कामुकता का भाव रखता है।
- यह सिद्धांत 3 नवंबर, 2020 को अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिये होने वाले चुनाव से पहले मतदाताओं के बीच काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।
- षड्यंत्रकारी सिद्धांतकारों का मानना है कि हिलेरी क्लिंटन, बराक ओबामा और हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स एवं ओपरा विन्फ्रे जैसे डेमोक्रेट्स एक वैश्विक बाल सेक्स-ट्रैफिकिंग (Global Child Sex-Trafficking) का हिस्सा हैं।
आकाशगंगा में तारों के निर्माण संबंधी गतिविधियों में गिरावट
Declining Star formation Activity in The Milky Way
पुणे स्थित ‘नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स’ (NCRA-TIFR) और बंगलूरू के ‘रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (RRI) के खगोलविदों की एक टीम ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के कुछ समय बाद आठ अरब वर्ष पहले देखी गई आकाशगंगाओं की परमाणु हाइड्रोजन सामग्री को मापने के लिये उन्नत विशालकाय मेट्रेवेव रेडियो टेलीस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope- GMRT) का उपयोग किया है।
प्रमुख बिंदु:
- इससे आकाशगंगा में तारों की निर्माण गतिविधियों में आई गिरावट के पीछे के रहस्य को समझने में मदद मिल सकती है।
- ब्रह्मांड में आकाशगंगाएँ अधिकतर गैस और तारों से बनी होती हैं तथा आकाशगंगा के जीवनकाल के दौरान गैस, तारों में परिवर्तित हो जाती है।
- इस टेलीस्कोप द्वारा यह पता लगाया जाएगा कि समय के साथ गैस और तारे दोनों की मात्रा कैसे बदलती है?
- खगोलविदों का मानना है कि दीर्घकाल से आकाशगंगाओं ने एक उच्च दर पर तारों का गठन किया है जब ब्रह्मांड आज की तुलना में युवा था।
- आकाशगंगाओं में तारा निर्माण की गतिविधि लगभग 8-10 अरब साल पहले हुई थी किंतु यह अब लगातार घटती जा रही है।
- इस गिरावट का कारण अभी तक अज्ञात है क्योंकि शुरुआती समय के आकाशगंगाओं में परमाणु हाइड्रोजन गैस (तारों के निर्माण के लिये प्राथमिक ईंधन) की मात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
- उन तारों के विपरीत जो प्रकाशीय तरंगदैर्ध्य में दृढ़ता से प्रकाश उत्सर्जित करते हैं, परमाणु हाइड्रोजन गैस से संबंधित संकेतों की रेडियो तरंगदैर्ध्य 21 सेमी. होती है और इन्हें केवल रेडियो दूरबीनों से पता लगाया जा सकता है।
- ये 21 सेमी. की तरंगदैर्ध्य वाले संकेत बहुत कमज़ोर होते हैं, इसलिये इनका पता लगाना मुश्किल होता है।
‘स्टैकिंग’ (Stacking) तकनीक:
- 21 सेमी. की तरंगदैर्ध्य वाले संकेतों का पता लगाने के लिये टीम ने लगभग 8,000 आकाशगंगाओं के 21 सेमी. की तरंगदैर्ध्य वाले संकेतों को संयोजित करने के लिये ‘स्टैकिंग’ (Stacking) नामक एक तकनीक का उपयोग किया था जिन्हें पहले ऑप्टिकल टेलीस्कोप की मदद से पहचाना गया था।
- यह तकनीक इन आकाशगंगाओं की औसत गैस सामग्री को मापती है।
सारस के प्रवास मार्ग की ट्रैकिंग
Tracking of Crane’s Migratory Route
पहली बार देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) ने सामान्य सारस (Crane) के गुजरात से उत्तरी कज़ाखस्तान में अपने प्रजनन स्थल और पुनः गुजरात वापस आने के मार्ग को ट्रैक किया है।
- गौरतलब है कि यह सारस (Crane) 10 अक्तूबर, 2020 को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (World Migratory Bird Day) के अवसर पर वापस गुजरात लौट आया।
प्रमुख बिंदु:
- वाडला (Vadla) नाम की इस मादा सारस (एक प्रवासी पक्षी) को मार्च 2020 में एक ट्रांसमीटर के साथ टैग किया गया था ताकि वैज्ञानिक ऐसे प्रवासी पक्षियों पर विद्युत लाइनों के प्रभावों का पता लगा सकें।
- इस परियोजना का उद्देश्य सारस (Crane) और फ्लेमिंगो (flamingos) जैसे बड़े पक्षियों पर विद्युत लाइनों के प्रभाव का अध्ययन करना और ऐसे महत्त्वपूर्ण विद्युत लाइनों की पहचान करना जो संभावित रूप से इन पक्षियों को प्रभावित कर सकती हैं।
- इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य यह देखना है कि ये सारस विद्युत लाइनों को पार कैसे करते हैं क्योंकि विद्युत लाइनों में सारस एवं फ्लेमिंगो के टकराने से उनकी मृत्यु हो जाती है।
- इस परियोजना का उद्देश्य सारस (Crane) और फ्लेमिंगो (flamingos) जैसे बड़े पक्षियों पर विद्युत लाइनों के प्रभाव का अध्ययन करना और ऐसे महत्त्वपूर्ण विद्युत लाइनों की पहचान करना जो संभावित रूप से इन पक्षियों को प्रभावित कर सकती हैं।
- इस परियोजना का वित्तपोषण ‘पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ (Power Grid Corporation of India Limited) द्वारा किया गया है।
विद्युत लाइनें: पक्षियों के लिये एक खतरा:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) पर किये गए अध्ययन से संबंधित एक रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने वर्ष 2019 में जारी की थी जिसमें कहा गया था कि ऊर्ध्वाधर संरेखण के साथ ‘हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइनें’ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिये सबसे बड़ा खतरा हैं।
सारस:
- सामान्य सारस एक मध्यम आकार का सारस होता है जो भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया, अफ्रीका, यूरोप में पाया जाता है।
- ये सारस प्राकृतिक रूप से प्रवासी पक्षी हैं जो आमतौर पर मई महीने के दौरान प्रजनन करते है।
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (World Migratory Bird Day):
- वर्ष 2020 में 9 मई के अतिरिक्त 10 अक्तूबर को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया गया।
थीम:
- इस वर्ष के विश्व प्रवासी पक्षी दिवस की थीम ‘बर्ड्स कनेक्ट अवर वर्ल्ड’ (Birds Connect Our World) थी।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य प्रवासी पक्षियों के खतरों (पारिस्थितिक महत्त्व एवं संरक्षण) के बारे में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से वैश्विक जागरूकता उत्पन्न करना है।
- पहली बार ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ को वर्ष 2006 में मनाया गया था। यह दिवस वर्ष में दो बार (मई एवं अक्तूबर महीने के दूसरे शनिवार को) मनाया जाता है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 अक्तूबर , 2020
बाबा बंदा सिंह बहादुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी ने बाबा बंदा सिंह बहादुर की 350वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने गरीबों को सशक्त बनाने की दिशा में कई महत्त्वपूर्ण कार्य किये। बाबा बंदा सिंह बहादुर का जन्म वर्ष 1670 में एक राजपूत परिवार में हुआ था। वे एक सिख योद्धा थे, जिन्हें अस्सी के दशक की शुरुआत में श्री गुरु गोबिंद सिंह से मिलने के बाद मुगल साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष के लिये जाना जाता है। जब उन्होंने पंजाब में अपना अधिकार स्थापित किया तो उनके सबसे प्रमुख कार्यों में, जमींदारी व्यवस्था का उन्मूलन, और भूमि पर कार्य करने वाले लोगों को मालिकाना अधिकार प्रदान करना था। इसके अलावा बाबा बंदा सिंह बहादुर ने गुरु नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी के नाम पर सिक्कों की शुरुआत की और साथ ही मुख्लिसगढ़ का नाम बदलकर लोहागढ़ कर दिया गया, जो कि वर्ष 1710 से वर्ष 1716 के बीच सिख राज्य की राजधानी बना। वर्ष 1715 में बाबा बंदा सिंह बहादुर और उनके साथियों को मुग़ल शासकों द्वारा कैद कर लिया गया और वर्ष 1716 में उनकी मृत्यु हो गई।
मदन बी. लोकुर समिति
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबडे के नेतृत्त्व में सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ तीन राज्यों (हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश) में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम के लिये सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर (Madan B Lokur) की एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। जस्टिस मदन बी. लोकुर की एक-सदस्यीय समिति, राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), राष्ट्रीय सेवा योजना और स्काउट्स-गाइड्स में तैनात स्वयंसेवक छात्रों की मदद से दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने का प्रयास करेगी। इस संबंध में तैयार की गई योजना के अनुसार, स्वयंसेवक छात्र तीन राज्यों में राजमार्गों और अन्य क्षेत्रों में गश्त करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि खेतों में आग न लगे। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि तीन राज्यों के मुख्य सचिव, इस समिति को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करेंगे और छात्र स्वयंसेवकों के लिये पर्याप्त परिवहन की व्यवस्था करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस
प्रत्येक वर्ष 17 अक्तूबर को वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) मनाया जाता है, इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में ऐसे लोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है जो अभी भी गरीबी के अभिशाप का सामना कर रहे हैं। ध्यातव्य है कि गरीबी का उन्मूलन किये बिना मानव जाति के विकास की कल्पना करना काफी कठिन है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 22 दिसंबर, 1992 को एक प्रस्ताव के माध्यम से 17 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी का सबसे अधिक प्रभाव विश्व के गरीब और संवेदनशील वर्ग पर देखने को मिला है, विश्व बैंक ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में आगाह किया है कि महामारी के प्रभाव के कारण वर्ष 2021 तक तकरीबन 150 मिलियन लोग ‘अत्यंत गरीबी’ की श्रेणी में आ सकते हैं।
सूरोनबे जीनबेकोव
किर्गिज़स्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव (Sooronbay Jeenbekov) ने भारी विरोध प्रदर्शन के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूरोनबे जीनबेकोव का यह निर्णय किर्गिज़स्तान में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद आया है, जिसमें प्रदर्शनकारियों द्वारा एक स्वर में सूरोनबे जीनबेकोव के इस्तीफे की मांग की जा रही थी। इससे पूर्व राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने राजधानी बिश्केक (Bishkek) में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। दरअसल सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्रों में किर्गिज़स्तान की मौजूदा सरकार का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है, जिसके कारण किर्गिज़स्तान की आम जनता के बीच असंतोष पैदा हो गया था। इसी बीच किर्गिज़स्तान में संसदीय चुनाव आयोजित किये गए और विपक्षी दलों ने सूरोनबे जीनबेकोव पर चुनावी प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। यद्यपि प्रथम दृष्टया किर्गिज़स्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शन हालिया चुनावों का परिणाम लग सकते हैं, किंतु विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार विरोधी ये प्रदर्शन काफी हद तक सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्रों में किर्गिज़स्तान की मौजूदा सरकार की असफलताओं से प्रेरित हैं।