प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 जून, 2020
फर्स्ट बेल पहल
First Bell Initiative
दो सप्ताह के सफल परीक्षण के बाद केरल राज्य सरकार द्वारा स्कूली छात्रों के लिये 'फर्स्ट बेल' नामक ऑनलाइन कार्यक्रम द्वारा नियमित कक्षाएँ प्रारंभ की गई है।
- COVID-19 महामारी के चलते शुरू की गई इस ऑनलाइन पहल के अंतर्गत केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (Kerala Infrastructure for Technical Education- KITE) द्वारा नए शैक्षणिक सत्र हेतु कक्षाओं का राज्य सरकार के शैक्षणिक टीवी चैनल विक्टर्स पर प्रसारण किया जा रहा है। ये कक्षाएँ अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से भी प्रसारित की जाएंगी।
- KITE राज्य सरकार के अधीन शैक्षणिक संस्थानों के आधुनिकीकरण को प्रोत्साहित और संवर्द्धित करने हेतु स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन (एक सेक्शन-8 कंपनी) है।
- परीक्षण हेतु इन कक्षाओं का प्रसारण 1 जून, 2020 से किया जा रहा था। परीक्षण के दौरान इस कार्यक्रम को छात्रों और अभिभावकों से काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मिली और विक्टर्स वेबसाइट के माध्यम से एक ही दिन में 27 टेराबाइट (TB) डेटा डाउनलोड किया गया था।
- उल्लेखनीय है कि पश्चिम एशिया, अमेरिका और यूरोप में भी सैकड़ों छात्रों द्वारा ये कक्षाएँ देखी गईं और कुछ कक्षाओं को 40 लाख से भी ज़्यादा लोगों से देखा।
- सभी कक्षाओं को वास्तविक समय में KITE विक्टर्स के फेसबुक पेज़ पर और बाद में यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है।
रज-पर्व
Raja Parba
पूर्वी तटीय राज्य ओडिशा में तीन दिवसीय रज-पर्व मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन से वर्षा ऋतु का आगमन माना जाता है।
- इसे मिथुन संक्राति के रूप मनाया जाता है और ओडिशा में इसे रज पर्व के नाम से मनाया जाता है जो मुख्यत: धरती माँ और व्यापक स्तर पर स्त्रीत्त्व को समर्पित उत्सव है।
- उड़िया भाषा में रज शब्द का अर्थ है- मासिक धर्म। माना जाता है कि पृथ्वी भगवान जगन्नाथ की पत्नी है और धरती माता इस अवधि के दौरान तीन दिन के मासिक धर्म पर होती हैं।
- इसलिये इस पर्व पर पृथ्वी को नुकसान पहुँचाने वाली कोई भी गतिविधि जैसे- खेत की जुताई, टाइलिंग, निर्माण या कोई अन्य कार्य नहीं किया जाता है।
- पृथ्वी के मासिक धर्म चक्र के तीन दिवसीय रज-पर्व के पहले दिन को पहिली रज, दूसरे दिन को मिथुन संक्रांति और तीसरे दिन को बासी-रज कहा जाता है।
- बसुमती स्नान के साथ इस पर्व का समापन होता है जिसका अर्थ होता है- पृथ्वी माता का स्नान।
- इस दिन संध्याकाल में लोग धरती माता की प्रतिकृति के रूप में पत्थर के टुकड़ों को स्नान कराकर पूजा करते हैं और एक समृद्ध कृषि वर्ष हेतु प्रार्थना करते हैं।
- रज पर्व में धरती माता के मासिक धर्म को उत्सव की तरह मनाने की यह परंपरा इस तथ्य की स्वीकारोक्ति है कि अतीत में भी महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर समाज में कोई वर्जना नहीं थी और मासिक धर्म को प्रजनन क्षमता का प्रतीक मानकर स्त्रीत्त्व को दूसरे जीवन को जन्म देने की शक्ति माना जाता था।
- यह रज पर्व मानव जीवन में प्रकृति के महत्त्व और प्रकृति के संरक्षण हेतु मानव के कर्त्तव्य को रेखांकित करता है। यह पारस्परिक संबंध प्रकृति के संरक्षण के साथ-साथ सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये बहुत आवश्यक है।
- इसके अतिरिक्त यह पर्व स्त्री मुक्ति, मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और लैंगिक न्याय के सतत् विकास लक्ष्य के अनुरूप है।
मैलाथियान
Malathion
सार्वजनिक क्षेत्र की कीटनाशक विनिर्माता कंपनी एचआईएल (इंडिया) लिमिटेड ने टिड्डियों के खतरे को नियंत्रित करने में सहायता करने के लिये ईरान को लगभग 25 टन मैलाथियान (95% अल्ट्रा-लॉ वॉल्यूम- ULV) की आपूर्ति की है।
- मैलाथियान एक रसायन है जिसका उपयोग मुख्य रूप से खाद्य उत्पादक पौधों को कीड़ों से बचाने के लिये किया जाता है।
- मैलाथियान कृषि, आवासीय भू-निर्माण, सार्वजनिक मनोरंजन क्षेत्रों और सार्वजनिक स्वास्थ्य कीट नियंत्रण कार्यक्रमों जैसे मच्छर उन्मूलन में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला कीटनाशक है।
- मैलाथियान एक ऑर्गनोफॉस्फेट कीटनाशक है जो मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है क्योंकि ये अपरिवर्तनीय रूप से एक एंज़ाइम को अवरुद्ध करने का काम करते हैं जो कि कीड़ों और मनुष्यों दोनों में ही तंत्रिका तंत्र के कार्य के लिये महत्त्वपूर्ण है। इस प्रकार मानव तंत्रिका तंत्र पर इनका नकारात्मक प्रभाव अधिक देखने को मिलता है।
टिड्डियों के संकट का सामना करने हेतु समन्वित प्रयास
- हॉर्न ऑफ अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप में व्यापक स्तर पर फसलों को नुकसान पहुँचाने के बाद डेज़र्ट टिड्डों ने मार्च-अप्रैल में भारत में प्रवेश किया और राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कृषि फ़सलों, बागवानी फ़सलों और अन्य वृक्षारोपण को प्रभावित किया।
- भारत ने टिड्डियों के प्रजनन स्थल पर ही इन्हे नियंत्रित करने के लिये पहल शुरू की है और समन्वित प्रयासों के तहत ईरान और पाकिस्तान से संपर्क किया था। ईरान ने इस प्रस्ताव पर अपनी इच्छा व्यक्त की थी।
- इसी के अनुपालन में विदेश मंत्रालय ने ईरान को 25 टन मैलाथियान 95% ULV के निर्माण और आपूर्ति के लिये HIL को आर्डर दिया था।
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की रिपोर्टों के अनुसार, टिड्डे के हॉपर चरण की आबादी ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र में बढ़ती जा रही है, जो आने वाले महीनों में भारत में फसल के नुकसान का कारण बन सकती है।
- एचआईएल देश में भी टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम के लिये मैलाथियान 95% ULV की आपूर्ति कर रहा है। वर्ष 2019 से अब तक, कंपनी ने इस कार्यक्रम के लिये 600 टन से अधिक मैलाथियान की आपूर्ति की है।
ताल-मद्दले
Talamaddale
COVID-19 महामारी के दौरान, ‘ताल-मद्दले’ जो कि यक्षगान रंगमंच की एक पारंपरिक कला का प्रदर्शन भी वर्चुअल रूप से किया जाने लगा है।
- ताल मद्दले, में कलाकार किसी भी वेशभूषा में मंच पर एक स्थान पर बैठ कर चुने गए कथानक के आधार पर अपनी वाक् कला का प्रदर्शन करता है।
- यह यक्षगान का एक पारंपरिक कला रूप तो है लेकिन इसमें नृत्य या विशेष वेशभूषा के बिना शब्द बोले जाते हैं। जबकि, यक्षगान में प्रदर्शन के दौरान कलाकार को विशेष वेशभूषा धारण करनी होती है तथा नृत्य अभिनय का प्रदर्शन करना होता है।
- कला का यह रूप दक्षिण भारत के कर्नाटक तथा केरल के करावली एवं मलनाड क्षेत्रों में प्रचलित है।
यक्षगान (Yakshagana)
- कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में किया जाने वाला यह प्रसिद्ध लोकनाट्य है।
- यक्षगान का शाब्दिक अर्थ है- यक्ष के गीत। कर्नाटक में यक्षगान की परंपरा लगभग 800 वर्ष पुरानी मानी जाती है।
- इसमें संगीत की अपनी शैली होती है जो भारतीय शास्त्रीय संगीत ‘कर्नाटक’ और ‘हिंदुस्तानी’ शैली दोनों से अलग है।
- यह संगीत, नृत्य, भाषण और वेशभूषा का एक समृद्ध कलात्मक मिश्रण है, इस कला में संगीत नाटक के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और जन मनोरंजन जैसी विशेषताओं को भी महत्त्व दिया जाता है।
- यक्षगान की कई सामानांतर शैलियाँ हैं जिनकी प्रस्तुति आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में की जाती है।
- इसकी सबसे लोकप्रिय प्रस्तुतियाँ महाभारत (अर्थात् द्रौपदी स्वयंवर, सुभद्रा विवाह, अभिमन्यु वध, कर्ण-अर्जुन पद) और रामायण से (अर्थात् राजयभिषेक, लव-कुश युद्ध, बाली-सुग्रीव पद और पंचवटी) से प्रेरित हैं।
- गोम्बेयेट्टा कठपुतली रंगमच/नाट्य (Gombeyatta Puppet Theatre) यक्षगान का सबसे निकट अनुसरण करता है।
भारत में रंगमंच के अन्य महत्वपूर्ण रूप:
- नौटंकी (उत्तर प्रदेश) जो अक्सर अपने विषयों के लिये फारसी साहित्य पर आधारित होता है।
- तमाशा (महाराष्ट्र)
- भवाई (गुजरात)
- जात्रा (पश्चिम बंगाल)
- कूडियाट्टम, केरल के सबसे पुराने पारंपरिक रंगमंच रूपों में से एक है, जो संस्कृत रंगमंच परंपराओं पर आधारित है
- मुदियेट्टू, केरल का पारंपरिक लोक रंगमंच
- भाओना, (असम)
- माच (मध्य प्रदेश)
- भांड पाथेर, कश्मीर का पारंपरिक रंगमंच