प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 जून, 2019
कछुओं का संरक्षण
असम में मंदिरों के नेटवर्क को शामिल करते हुए पूरे राज्य में कछुओं के संरक्षण कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत शहर के स्थलों में से एक, उग्रतारा मंदिर ने हाल ही में ताज़े पानी के कछुए की 34 हैचलों (Hatchlings) का एक विशेष दर्शन (Special Darshan) कार्यक्रम आयोजित किया।
- हालाँकि यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई कि यह समारोह हैचलों के स्वागत के लिये किया गया है या इनको विदाई देने के लिये।
- ऐसी प्रजातियाँ जो जंगल में गायब/विलुप्त हो जाती हैं, इनके जंगल में जाने से पहले इनका मंदिरों में एक विशेष दर्शन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
- स्थानीय समुदाय के सहयोग के साथ कछुओं से जुड़े उनके पारंपरिक विश्वास ने कछुओं को मंदिरों के तालाबों में जीवित रहने में मदद की है।
- हालाँकि मंदिर के तालाबों में कछुओं की संख्या अधिक है फिर भी वहाँ के कृत्रिम सौंदर्यीकरण और समुचित अनुकूल वातावरण होने की वज़ह से वे सुरक्षित रूप से अंडे दे पाते हैं।
- इसके साथ ही मंदिर के कछुओं को रोटी और आटे की गोलियों, आदि गैर-प्राकृतिक भोजन खिलाया जाता है, जो उनकी जैविकी (Biology) को परिवर्तित कर देता है।
- भारत में कछुओं की लगभग 28 प्रजातियाँ हैं, जिनमें से 20 असम में पाई जाती हैं।
- वर्तमान में कछुओं को होने वाले प्रमुख खतरों में सबसे ज़्यादा प्रभाव इनके मांस एवं अंडे की सुरक्षा, गाद का खनन, आर्द्रभूमि का अतिक्रमण और बाढ़ के पैटर्न में बदलाव शामिल हैं।
स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप
नासा के स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप (Spitzer Space Telescope) को लगभग 16 वर्षों के बाद 30 जनवरी 2020 को बंद कर दिया जाएगा यह टेलिस्कोप अवरक्त प्रकाश में ब्रह्मांड की खोज के मिशन पर था।
- स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप नासा के ग्रेट ऑब्जर्वेटरीज़ प्रोग्राम में अंतिम मिशन है - इस प्रोग्राम में चार अन्तरिक्ष आधारित वेधशालाए है, जो चार भिन्न प्रकार के प्रकाश में ब्रह्मांड का अवलोकन करती हैं।
- इस प्रोग्राम के अन्य मिशनो में दृश्य-प्रकाश हबल स्पेस टेलीस्कोप (HST), कॉम्पटन गामा-रे ऑब्जर्वेटरी (CGRO), और चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी (CXO) भी शामिल हैं।
- वर्ष 2003 स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप को लांच किया गया था। यह एक अंतरिक्ष-जनित, क्रायोजेनिक इन्फ्रारेड वेधशाला है जो सौर प्रणाली से लेकर ब्रह्मांड की सुदूर पहुंच तक के पिंडों का अध्ययन करने में सक्षम है।
- यह टेलिस्कोप अवरक्त प्रकाश को पकड़ता है जो गर्म पिंड या वस्तुओ से उत्सर्जित होते है किंतु यह इतने गर्म नही होते की द्रश्य प्रकाश को उत्सर्जित कर सकें
- इस टेलिस्कोप ने शनि गृह के चारो ओर एक नए घेरे की खोज की है 2017 में, इसी टेलिस्कोप ने TRAPPIST-1 तारेके चारों ओर सात ग्रहों की उपस्थिति का भी खुलासा किया था।
- TRAPPIST-1 एक ग्रहीय प्रणाली है, जो सौर मंडल (39 प्रकाश वर्ष) से 12 पारसेक की दूरी पर स्थित है यह तारा सूर्य से 12 गुना छोटा और बृहस्पति ग्रह से थोड़ा ही बड़ा है। इस तारे की परिक्रमा करने वाले कम से कम सात ग्रह हैं।
- जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप नासा द्वारा 2021 में लांच किया जाना है यह टेलिस्कोप स्पिट्जर द्वारा खोजी गई समान तरंग दैर्ध्यो का अध्ययन करेगा।
‘ऑपरेशन सनराइज़ 2’
- भारत और म्यांमार की सेनाओं द्वारा एक समन्वित ऑपरेशन चलाया गया जिसे "ऑपरेशन सनराइज़ 2" नाम दिया गया।
- यह मणिपुर, नागालैंड और असम में सक्रिय कई आतंकवादी समूहों को खत्म करने के उद्देश्य से तीन सप्ताह तक चलने वाला अभियान है।
- ऑपरेशन सनराइज़” का पहला चरण तीन महीने पहले भारत-म्यांमार सीमा पर आयोजित किया गया था, जिसमें भारतीय सेना ने म्यांमार के एक विद्रोही समूह अराकान आर्मी के सदस्यों को निशाना बनाया था, जो कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के विरोध में थे। इस परियोजना को भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।
- "ऑपरेशन सनराइज 2", के अंतर्गत दोनों सेनाओं ने एक-दूसरे के साथ मिलकर कामतपुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (I) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट सहित उग्रवादी संगठनों के शिविरों को नष्ट किया।
- म्यांमार, भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और इसकी 1,740 किलोमीटर लंबी सीमा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ साझा करता है, जिसमें उग्रवाद प्रभावित नागालैंड और मणिपुर शामिल हैं।