प्रारंभिक परीक्षा
इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस्लामोफोबिया (Islamophobia) का मुकाबला करने के लिये 15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्थापित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।
- इस प्रस्ताव को पाकिस्तान द्वारा इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation- OIC) की ओर से पेश किया गया था।
- इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित किया गया है, जिसे लेकर भारत द्वारा चिंता व्यक्त की गई है।
प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु:
- इस प्रस्ताव/संकल्प को 193 सदस्यीय विश्व निकाय द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया, जो कि मुख्य रूप से 55 मुस्लिम देशों द्वारा प्रायोजित है।
- यह प्रस्ताव सभी देशों, संयुक्त राष्ट्र निकायों, अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र एवं आस्था-आधारित संगठनों से "इस्लामोफोबिया को रोकने के बारे में सभी स्तरों पर प्रभावी ढंग से जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न उच्च-दृश्यता कार्यक्रमों (High-Visibility Events) के आयोजन और समर्थन का आह्वान करता है।
- प्रस्ताव धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता के अधिकार पर ज़ोर देता है तथा वर्ष 1981 के एक संकल्प को दोहराता है जिसमें "धर्म या आस्था के आधार पर सभी प्रकार की असहिष्णुता एवं भेदभाव को समाप्त करने" का आह्वान किया गया था।
भारत का पक्ष:
- भारत ने एक धर्म को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के स्तर तक बढ़ावा दिये जाने के खिलाफ चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि धार्मिक फोबिया के समकालीन रूप बढ़ रहे हैं, जिसमें विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी फोबिया शामिल हैं।
- भारत ने यह भी उद्धृत किया कि इस प्रस्ताव में 'बहुलवाद' शब्द का कोई उल्लेख नहीं है।
- भारत को उम्मीद है कि अपनाया गया प्रस्ताव "एक मिसाल कायम नहीं करता" जो चुनिंदा धर्मों के आधार पर फोबिया को लेकर कई प्रस्तावों को जन्म देगा और संयुक्त राष्ट्र को धार्मिक शिविरों में विभाजित करेगा।
- ‘इस्लामोफोबिया’ शब्द की अंतर्राष्ट्रीय कानून में कोई सहमत परिभाषा नहीं है, जो धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के विपरीत है।
धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस:
- इससे पहले वर्ष 2019 में UNGA ने ‘धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (22 अगस्त) मनाने का एक प्रस्ताव भी पारित किया है।
- इसके संकल्प में धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के पीड़ितों और उनके परिवारों के सदस्यों पर लागू कानून के अनुसार उचित समर्थन और सहायता प्रदान करने के महत्त्व को मान्यता देने की परिकल्पना की गई है।
विगत वर्षों के प्रश्ननिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 मार्च, 2022
डिजिटल वॉटर डेटा बैंक एक्वेरियम
हाल ही में कर्नाटक राज्य द्वारा भारत के पहले डिजिटल वॉटर डेटा बैंक, एक्वेरियम (AQVERIUM) लॉन्च किया गया है। डिजिटल वॉटर डेटा बैंक विभिन्न संस्थानों से प्राप्त जल डेटा की एक सूची है, जो जल के विभिन्न पहलुओं के बारे में विश्वसनीय जानकारी प्रदान करती है। यह जल-सुरक्षित दुनिया के लिये साक्ष्य-आधारित नीतियांँ और निर्णय लेने में मदद करता है। यह एक्वेरियम (AQVERIUM) एक्वाक्राफ्ट वेंचर्स की एक पहल है, जो एक ऐसी कंपनी है जिसके पास सभी को पेयजल और स्वच्छता प्रदान करने हेतु स्थायी पहल में विशेषज्ञता है। एक्वेरियम का इरादा लगभग दस लाख युवाओं को जल, स्वच्छता, जल-भूवैज्ञानिक विज्ञान और डेटा विज्ञान में प्रशिक्षित करने का है। यह आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता के साथ टिकाऊ प्रौद्योगिकियों का संयोजन करने वाला एक अनूठा नवाचार है। वर्तमान में भारतीय जल बाज़ार अत्यधिक असंगठित है, अत: जल प्रबंधन की दिशा में एक व्यापक, 360-डिग्री दृष्टिकोण को अपनाने कीआवश्यकता है।
मेरी पॉलिसी मेरे हाथ
हाल ही में कर्नाटक के हसन में ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान लॉन्च किया गया है।
मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का हिस्सा है। इस अभियान का उद्देश्य देश के सभी किसानों को अपनी फसलों का बीमा करने हेतु प्रेरित करना है। इस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बीमा लेने वाले प्रत्येक किसान को पॉलिसी के दस्तावेज़ उनके दरवाज़े पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इस अभियान से किसानों और बीमा कंपनियों के बीच सीधा संवाद बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इस प्रकार यह किसानों व बीमा कंपनियों के बीच विश्वास बनाए रखने का प्रयास है। यह अभियान किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के लिये प्ररित करेगा, जिससे का बीमा कवरेज बढ़ेगा।
PMFBY को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया तथा इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जा रहा है। इसने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) तथा संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) को परिवर्तित कर दिया है। PMFBY का उद्देश्य फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करना है ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके। इसके क्षेत्र/दायरे में वे सभी खाद्य और तिलहनी फसलें तथा वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलें शामिल हैं जिनके लिये पिछली उपज के आँकड़े उपलब्ध हैं और इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम- खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है। वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है। किसानों की देयता के बाद बची बीमा किस्त की लागत का वहन राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप बराबर साझा किया जाता है, हालाँकि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत बीमा किस्त सब्सिडी का 90% हिस्सा वहन किया जाता है।
कार्बन सीमा शुल्क
हाल ही में यूरोपीय संघ (European Union- EU) के देशों द्वारा प्रदूषणकारी वस्तुओं के आयात पर विश्व का पहला कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन शुल्क लगाने का फैसला किया गया है।
वर्ष 2020 से यूरोपीय संघ (EU) द्वारा स्टील, सीमेंट, उर्वरक, एल्युमीनियम और विद्युत के आयात पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन लागत लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। इस टैरिफ को लगाने का उद्देश्य यूरोपीय उद्योग की रक्षा करना है क्योंकि यूरोपीय बाज़ार कमज़ोर पर्यावरणीय नियमों वाले देशों में निर्मित सस्ते सामानों से भरा पड़ा है। यूरोपीय संघ के अनुसार, कार्बन सीमा पर यूरोपीय संघ की कंपनियों और विदेशों में समान कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) शुल्क लगाकर एक समान अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है। यूरोपीय संघ का मानना है कि यह कदम किसी भी कार्बन रिसाव से बचने में मददगार साबित होगा और साझेदार देशों को मज़बूत पर्यावरण नियम व कार्बन-मूल्य निर्धारण नीतियों को स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करेगा। इससे यूरोपीय संघ के देशों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी मदद मिलेगी। यह कार्बन टैरिफ प्रस्ताव यूरोपीय संघ की जलवायु परिवर्तन नीतियों का हिस्सा है जिसका उद्देश्य वर्ष 1990 के स्तर से वर्ष 2030 तक यूरोपीय संघ के कार्बन उत्सर्जन को 55% तक कम करना है। यूरोपीय संघ के देशों और यूरोपीय संसद के मध्य कार्बन सीमा पर शुल्क लगाने के लिये वार्ताओं का चरण तीव्रता के साथ चल रहा है क्योंकि वर्ष 2023 से इस कार्बन टैरिफ को लगाने के लिये तीन वर्षों का संक्रमण चरण शुरू होगा।
झूलन गोस्वामी
हाल ही में भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी झूलन गोस्वामी अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट में 250 विकेट लेने वाली विश्व की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है। आईसीसी महिला विश्व कप 2022 में इंग्लैंड के विरुद्ध मुकाबले में झूलन गोस्वामी ने अपने वनडे कॅरियर का 250वांँ विकेट लिया, उन्होंने इंग्लैंड के टैमी बियूमोंट को एलबीडब्ल्यू आउट करके यह उपलब्धि हासिल की है। झूलन गोस्वामी का जन्म 25 नवंबर, 1983 को पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले में हुआ था। वर्ष 2007 में 24 वर्ष की आयु में उन्हें महिला 'क्रिकेटर ऑफ द ईयर' चुना गया। उन्हें यह अवार्ड उस समय प्राप्त हुआ जब किसी पुरुष भारतीय क्रिकेटर को भी यह सम्मान नहीं मिला था।